कुलतार सिंह संधवां ने यूटी सलाहकार के पद को मुख्य सचिव के रूप में नामित करने के फैसले की निंदा की
Punjab News Update (आज समाज), चंडीगढ़ : पंजाब और केंद्र के बीच नए विवाद की शुरुआत हो गई है। इस बार यह विवाद केंद्र द्वारा यूटी सलाहकार के पद को मुख्य सचिव के रूप में नामित करने को लेकर शुरू हुआ है। इसे लेकर जैसे ही केंद्र सरकार मंजूरी दी। पंजाब की राजनीति में उबाल आ गया। सभी ने केंद्र के इस निर्णय की आलोचना की। इसी बीच पंजाब विधानसभा के स्पीकर कुलतार सिंह संधवां ने यूटी सलाहकार के पद को मुख्य सचिव के रूप में नामित करने के फैसले की कड़ी निंदा करते हुए इसे चंडीगढ़ पर पंजाब के अधिकारों को कुचलने वाला कदम करार दिया है।
स्पीकर ने कहा कि इस कदम को चंडीगढ़ की स्थिति के संवेदनशील मुद्दे की घोर अनदेखी के रूप में देखा जा रहा है, जो लंबे समय से पंजाब और केंद्र सरकार के बीच विवाद का विषय रहा है। संधवां ने जोर देकर कहा कि पुन: नामांकन न केवल प्रशासनिक गड़बड़ है, बल्कि चंडीगढ़ पर पंजाब के वैध अधिकारों को कमजोर करने का प्रयास भी है। उन्होंने आगे कहा कि हम केंद्र सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने और पंजाब के लोगों के अधिकारों का सम्मान करने की अपील करते हैं।
पंजाब के अधिकार को कमजोर करने की कोशिश : आप
केंद्र सरकार द्वारा चंडीगढ़ में सलाहकार की जगह मुख्य सचिव लगाने के फैसले का आम आदमी पार्टी (आप) ने सख्त विरोध किया है। पार्टी ने कहा कि कहा कि इस फैसले से केंद्र का पंजाब विरोधी रवैया एक बार फिर उजागर हुआ है। यह फैसला चंडीगढ़ पर पंजाब के अधिकार को कमजोर करने की कोशिश है। आप पंजाब के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता नील गर्ग ने कहा कि मुख्य सचिव की नियुक्ति राज्य के लिए होती है।
चंडीगढ़ कोई राज्य नहीं है और न ही यहां कोई मुख्यमंत्री है। फिर चीफ सेक्रेटरी की नियुक्ति की जरूरत क्यों पड़ गई उन्होंने कहा कि पंजाब के लोग इस फैसले को कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे। केंद्र सरकार इस पर पुनर्विचार करे और फैसले को वापस ले। आप प्रवक्ता ने कहा कि चंडीगढ़ पर पंजाब का अधिकार है। 1966 में हरियाणा के बंटवारे के समय स्पष्ट तौर पर कहा गया था कि जब तक हरियाणा अपनी नई राजधानी नहीं बना लेता, तब तक चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश रहेगा उसके बाद इसे पंजाब को सौंप दिया जाएगा।
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