Celebration Of Guru Purnima : अखिल भारतीय साहित्य परिषद् जिला इकाई द्वारा गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में गुरु वंदन विचार एवं काव्य-गोष्ठी आयोजित

0
131
सराहनीय सेवाओं के लिए सम्मानित होते हुए कवि।

Aaj Samaj (आज समाज), Celebration Of Guru Purnima , मनोज वर्मा,कैथल:
अखिल भारतीय साहित्य परिषद् जि़ला इकाई कैथल द्वारा गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में ग्राम पुस्तकालय में गुरु वंदन विचार एवं काव्य गोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम में डॉ0 जगदीप शर्मा राही , प्रांत संगठन मंत्री , अखिल भारतीय साहित्य परिषद् , हरियाणा ने मुख्य अतिथि के रूप में और समर्पित शिक्षक एवं साहित्यकार सतप्रकाश सारस्वत काण्व द्विवेदी ने मुख्य वक्ता के रूप में भाग लिया। कार्यक्रम में शिक्षाविद् एवं साहित्यकार सतीश कुमार विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन सतपाल पराशर आनन्द ने किया।

कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित करके किया गया। महेंद्र पाल सारस्वत ने गुरु वंदना प्रस्तुत की। इसके पश्चात् सतपाल सारस्वत काण्व द्विवेदी का गुरु रूप में वंदन और सम्मान किया गया। मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए मास्टर सतप्रकाश सारस्वत काण्व द्विवेदी ने कहा कि गुरु वह दीपक होता है जो स्वयं जलकर अपने शिष्यों को प्रकाशित करता है। मुख्य अतिथि डॉ0 जगदीप शर्मा राही ने इस अवसर पर कहा कि गुरु कभी लघु नहीं होता।

रटो प्रेम का नाम सदा, सद्गुरु ही सिखाता है : महेंद्र पाल सारस्वत

यदि कोई लघु भी गुरु के सम्पर्क में आकर जाता है तो वह भी गुरू हो जाता है। इकाई अध्यक्ष डॉ0 तेजिंद्र ने कहा कि गुरुवर सतप्रकाश सारस्वत ने गाँव क्योडक़ में वर्षों तक निष्ठा और लग्न से शिक्षण कार्य किया। उनके बहुत से शिष्य उच्च एवं सम्मानित पदों से सेवा-निवृत्त हो चुके हैं। गुरु की एक लम्बी शिष्य-श्रृंखला है। इनका शिष्य होना गर्व की बात है। गोष्ठी के आरंभ में महेंद्र पाल सारस्वत ने गुरु की महता बताते हुए कहा : रटो प्रेम का नाम सदा, सद्गुरु ही सिखाता है। संसार और शरीर की नश्वरता को लेकर धर्म पाल ढुल ने कहा : माट्टी मैं मिलै माट्टी,पाणी मैं पाणी। अरे ओ अभिमानी, पाणी का बुलबुला , तेरी जिंदगानी।

पिता के रिश्ते की अहमियत बताते हुए सतबीर सिंह जागलान ने कहा : बाबू जैसा रिश्ता कोई, दुनियां मैं ना पावैगा। माया की शक्ति का वर्णन करते हुए कृष्ण दत्त ने कहा : ऋषि-मुनि, सन्यासी-योगी, सबका करया सफाया। कैसा खेल रचाया ऐ री , माया, कैसा खेल रचाया। जिंदगी का शुक्रिया अदा करते हुए सुरेंद्र कंवल हरियाणवी ने कहा : जि़ंदगी शुक्रिया, एक पल तो हँसता दे दिया। खारदारों में फँसे दामन को रस्ता दे दिया। गुरु के प्रति कृतज्ञता का भाव प्रकट करते हुए सतपाल पराशर आनन्द ने कहा : आज तलक जिसनै दिया, हीरयां बरगा ज्ञान।

गुरु पूर्णिमा व्यास में, खुलें ज्ञान भंडार : रामकुमार भारतीय

सौ जनमां मैं भी नहीं, तार सकूं एहसान ।। गुरु व्यास का परिचय देते हुए डॉ0 तेजिंद्र ने कहा : महाभारत लिखा। महाभारत देखा। नीति गीत थे गाये । वेदों का था , किया विभाजन, वेद व्यास कहलाये। गुरु पूर्णिमा की बधाई देते हुए कविराज रामकुमार भारतीय ने कहा : गुरु पूर्णिमा व्यास में, खुलें ज्ञान भंडार। बधाई सब कवियों को, देते रामकुमार। गुरु से आग्रह करते हुए डॉ0 जगदीप शर्मा राही ने कहा : हे गुरुवर तू मेरे देश में, ज्ञान की ज्योत जला दे। वातावरण को हल्का-फुल्का बनाते हुए मास्टर सतप्रकाश सारस्वत ने कहा : यदि पक्षियों की तरह , हमें भी उडऩा आ जाये , तो मज़ा आ जाये ।

इनके अतिरिक्त कार्यक्रम में कृष्ण चंद, ओम प्रकाश , राजेश भारती,दिलबाग अकेला , डॉ0 विकास आनन्द एवं सतीश कुमार ने भी अपने रचना-पाठ से उपस्थित-जनों को आनन्दित किया।

यह भी पढ़ें : Sanjog Marriage Center : परिवारों को मिला रहा पंजाबी वैल्फेयर सभा का संजोग विवाह केंद्र

यह भी पढ़ें : Free Medical Camp : रिवासा में निशुल्क परामर्श व चिकत्सा शिविर आयोजित

Connect With Us: Twitter Facebook