नीरज कौशिक, महेंद्रगढ़:
कृषि विज्ञान केन्द्र, महेंद्रगढ़ द्वारा किसानो व विद्यार्थियों को गाजरघास के दुष्प्रभाव के बारे में जागरूक करने हेतु गाजरघास उन्मूलन जागरूकता सप्ताह का आयोजन दिनांक 16 से 22 अगस्त 2022 तक किया गया। इस अवसर पर केन्द्र द्वारा जागरूकता अभियान में गांव सुन्दरह व ब्राह्मणवास के किसानों तथा विद्यार्थियों के लिए कार्यक्रम आयोजित किये गये । केन्द्र के वरिष्ठ संयोजक डा. रमेश कुमार ने बताया कि गाजर घास जहां एक ओर मानव स्वास्थ्य एवं पशुओं में विभिन्न समस्याएं पैदा करती है वहीं पर्यावरण को भी दूषित करती है एवं उत्पादकता को कम करते हुए जैव विविधता को भी भारी नुकसान पहुंचता है।
कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा गाजरघास के दुष्प्रभाव से कराया अवगत
उन्होंने बताया कि गाजरघास को छूने या लगातार इसके सम्पर्क में रहने से मानव में विभिन्न प्रकार की बिमारियां जैसे खुजली, एक्जिमा, दमा, त्वचा पर लाल दाने व जलन आदि उत्पन्न हो जाती है। केंद्र के पोड रोग वैज्ञानिक डॉ. नरेन्द्र सिंह ने बताया कि जब गाजरघास के प्रारागकण श्वास के साथ मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं तो मनुष्य अस्थमा से ग्रसित हो जाता है। गाजरघास का नियन्त्रण फूल आने से पहले उखाड़कर गड्ढे में डालकर इसका उपयोग बहुत अच्छा कम्पोस्ट बनाने में कर सकते हैं । इसे उखाड़ते समय हाथ में दस्तानों तथा सुरक्षात्मक कपड़ों का प्रयोग करना चाहिये । गृह वैज्ञानिक डॉ. पूनम यादव ने बताया कि गाजर घास का पौधा हर तरह के वातावरण में उगने की क्षमता रखता है । पशुओं के लिये गाजरघास अत्यधिक विषाक्त है। इसे खाने के बाद दुधारू पशुओं के दूध में कड़वाहट के साथ-साथ दूध में भी कमी आने लगती है ।
कार्यक्रम में 85 किसानों, अध्यापक सहित 110 विद्यार्थियों ने लिया भाग
मृदा वैज्ञानिक डॉ. राजपाल यादव ने बताया कि गाजर घास की पत्तियां क्लोरोफिल की उपलब्धता को प्रभावित करती है जिससे फसलों की वृद्धि व विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है । उन्होंने गाजरघास के नियंत्रण के लिये यांत्रिक, रासायनिक व जैविक विधियों के बारे में जानकारी दी । कार्यक्रम में डॉ. अशोक ढिल्लों, डॉ. आशीष शिवरान, डॉ. अंकित यादव, आशीष यादव, गांव सुन्दरह व ब्राह्मणवास के 85 किसानों स्कूल के अध्यापक स्टाफ सहित 110 विद्यार्थियों ने भाग लिया।
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