कोरोना वायरस महामारी के कारण देश में संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़रही है। इसे देखते हुए इस महामारी के कठिन समय में परीक्षाएं रद्द करने की मांग अभिवावक कर रहे हैं। इसी संदर्भ में कुछ अभिवावकों ने शीर्ष अदालत मेंयाचिका दायर की थी। अभिवावकों ने याािचका में मांग की कि 1 से 15 जुलाई तक होने वाली बोर्ड परीक्षाओं को रद्द किया जाए और इंटरनल असेसमेंट के आधार पर छात्रों का रिजल्ट बनाया जाए। बच्चों को परीक्षा के लिए जाने पर कोविड-19 से संक्रमित होने का खतरा होने की बात भी अभिभावकों नेकही। सुप्रीम कोर्ट ने 17 जून को अभिभावकों की याचिका के आधार पर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से परीक्षाएं रद्द करने और इंटरनल असेसमेंट के आधार पर रिजल्ट जारी करनेपर विचार करने को कहा था। सीबीएसईकी ओर सेकहा गया कि निर्णय की प्रक्रिया काफी आगे पहुंच चुकी है। हम विद्यार्थियों की चिंता से वाकिफ हैं। हम कोर्ट को निर्णय के बारे में परसों सूचित कर सकते हैं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी।
-अभिवावकोंकी याचिका पर सुनवाई तीन जजों की बेंच एएम खानविलकर, दिनेश महेश्वरी और संजीव खन्ना ने की। सीबीएसई 10वीं और 12वींकक्षा के बचे हुए विषयों की परीक्षा को रद्द करने के संदर्भ में सुनवाई कोर्ट में दोपहर दो बजे के आस-पास शुरू हुई। सीबीएसई ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी है कि 10वीं परीक्षाएं रद्द कर दी गईं है। वहीं सीबीएसई 12वीं की परीक्षाएं वैकल्पिक होंगी। सीबीएसई और सरकार की तरफ से सॉलिस्टर जनरल तुषार मेहता हैं।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने 10वीं और 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं के विषय में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को एक पत्र लिखा है। मनीष सिसोदिया ने केंद्र सरकार से कहा है कि 1०वीं और 12वीं की शेष रह गई बोर्ड परीक्षाएं नहीं करवाई जाएं।
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