CBI investigation accelerates in scholarship scam : स्कॉलरशिप घोटाले में सीबीआई की जांच में आई तेजी

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शिमला। 250 करोड़ रुपए से अधिक के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले की तह तक जाने के लिए सीबीआई ने जांच में और तेजी लाई है। सीबीआई ने गुरुवार को शिक्षा विभाग के जिस अधीक्षक के आवासों पर दबिश दी थी, उससे शुक्रवार को कई घंटे पूछताछ की गई। शिमला स्थित सीबीआई कार्यालय में यह पूछताछ हुई है। बताते हैं कि पूछताछ सुबह शुरू हुई और शाम तक चलती रही और यह सिलसिला आगे भी जारी रह सकता है। उधर, सीबीआई दबिश के दौरान कब्जे में लिए गए लैपटाप, हार्ड डिस्क, पैन ड्राइव की जांच अपनी लैब में करवाएगी, ताकि रिपोर्ट जल्द प्राप्त कर आगामी कार्रवाई अमल में लाई जा सके। बताते हैं कि कई चरणों में हुई पूछताछ में सीबीआई ने शिक्षा विभाग के अधीक्षक अरविंद राज्टा से कई सवाल पूछे। सीबीआई की जांच टीम ने उसे शनिवार को फिर पूछताछ के लिए तलब किया है। मिली जानकारी के मुताबिक जांच अधिकारियों ने राज्टा से स्कॉलरशिप घोटाले से जुड़े कई सवाल पूछे। साथ ही जानना चाहा कि इस घोटाले में कौन-कौन संलिप्त है। साथ ही सवाल किया कि किसके इशारों पर यह सब होता रहा। यानी इस घोटाले का मास्टरमाइड कौन है।
पूरी प्रक्रिया की जानकारी दी
सूत्रों के मुताबिक इस दौरान अधिकारी ने छात्रवृत्ति आंवटन की पूरी प्रक्रिया से जांच एजेंसी को अवगत कराया। इस अधिकारी से पूछताछ पूरी होने के बाद इस मामले में और खुलासे हो सकते हैं। साथ ही शिक्षा निदेशालय के और अधिकारी भी जांच के दायरे में आ सकते हैं। बताते हैं कि इस अधिकारी के पास शिक्षण संस्थानों को बजट जारी करने की अहम जिम्मेदारी थी। इसके साथ ही छात्रवृत्ति के आवेदनों के लिए जो पोर्टल बनाया था, उसे चलाने का प्रशिक्षण भी अधिकारी को मिला था। ऐसे में जांच एजेंसी ने अलग-अलग चरणों में पूछताछ कर पूरे घोटाले की परतें उधेड़ने के प्रयास किए।
उक्त अधिकारी की संपत्ति की जांच कर रही एजेंसी
बताते हैं कि सीबीआई उक्त अधिकारी की सारी संपत्ति की भी जांच कर रही है और उसके विदेशी दौरे और राज्य से बाहर इसकी आवभगत जैसे मामलों की भी जांच हो रही है। साथ ही वह यह भी पता लगा रही है कि वे कौन हैं जो इनके संपर्क में थे और मददगार थे। ऐसे में उन अफसरों पर भी शिकंजा कसा जा सकती है जिनके पास छात्रवृत्ति जारी करने की वित्तीय शक्ति थी। बताते हैं कि सीबीआई इस सवाल का जवाब खोज रही है कि इतने बड़े स्तर पर छात्रवृत्ति घोटाला हुआ और विभाग के अधिकारियों को क्या सही में इसका पता ही नहीं था। यह कैसे संभव हुआ कि कई साल तक यह घोटाला होता रहा और अधिकारी इससे बेखकर रहे। सूत्रों के मुताबिक छात्रवृत्ति घोटाले की अवधि के दौरान नियुक्त रहे एक दर्जन से अधिक अधिकारियों व कर्मचारियों पर भी जांच एजेंसी को शिंकजा कस सकता है।

लोकिन्दर बेक्टा