Himachal Pradesh में नए आपराधिक कानूनों के तहत दर्ज होंगे मामले

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Himachal Pradesh में नए आपराधिक कानूनों के तहत दर्ज होंगे मामले
3 नए कानूनों के प्रावधानों के बारे में मीडिया को परिचित करवाते हुए।

Himachal Pradesh : शिमला। 3 नए आपराधिक कानूनों अर्थात भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023, भारतीय न्याय संहिता-2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम-2023 के कार्यान्वयन से क्या बदलने जा रहा है? इन कानूनों की मुख्य विशेषताएं क्या हैं और इनका उद्देश्य क्या हासिल करना है?

भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के तहत प्रेस इनफॉर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) ने 3 नए कानूनों के प्रावधानों के बारे में मीडिया को परिचित करवाने के लिए बुधवार को यहां वार्तालाप का आयोजन किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि Himachal Pradesh के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, कानून एवं व्यवस्था अभिषेक त्रिवेदी थे।

कमांडेंट, प्रथम एचपीएपी बटालियन जुंगा, शिमला, रोहित मालपानी; एचपी नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, शिमला के लॉ के प्रोफेसर प्रो. (डॉ.) गिरजेश शुक्ला और एचपी नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी शिमला के लॉ के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. संतोष कुमार शर्मा अन्य विषय-वस्तु विशेषज्ञों ने मीडिया को संबोधित किया। Himachal Pradesh के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, कानून एवं व्यवस्था अभिषेक त्रिवेदी ने कहा कि 1 जुलाई, 2024 से दर्ज सभी मामलों का निपटारा नए आपराधिक कानूनों के तहत किया जाएगा।

नई व्यवस्था में जाने की तैयारियां जोरों पर

एडीजीपी Himachal Pradesh ने बताया कि नई व्यवस्था में जाने की तैयारी जोरों पर चल रही है। सभी स्तरों पर सभी अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है जो जल्द ही पूरा हो जाएगा। न्यायिक अधिकारी, फॉरेंसिक अधिकारी, जेल अधिकारी जो भी आपराधिक न्याय के प्रशासन में शामिल हैं, उन्हें प्रशिक्षण की आवश्यकता है। हमने मास्टर ट्रेनर बनाए हैं और हर पुलिस स्टेशन में मास्टर ट्रेनर बनाए गए हैं। हेड कांस्टेबल और उससे ऊपर के रैंक के अधिकारियों को उन्नत स्तर का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

जब्ती की वीडियोग्राफी करनी होगी

त्रिवेदी ने कहा कि बदलते समय की जरूरतों के अनुसार कई बदलाव किए गए हैं। उन्होंने कहा कि नए कानूनों के तहत तकनीक पर बहुत बल दिया गया है। नए कानून ई-एफआईआर दाखिल करने में पूरे देश में एकरूपता लाएंगे। मोबाइल फोन और एप्लीकेशन पर जोर दिया जा रहा है। अब किसी भी जब्ती की वीडियोग्राफी करनी होगी। उन्होंने कहा कि पुलिस के साथ-साथ अन्य लोगों को भी कड़ी मेहनत करनी होगी और अधिक तकनीक के अनुकूल बनना होगा।

संकलन नाम से मुफ्त ऐप

एडीजीपी Himachal Pradesh ने बताया कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने संकलन नाम से एक मुफ्त ऐप बनाया है जो भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की पुरानी धाराओं और संबंधित नए आपराधिक कानून के तहत उनकी संबंधित नई धाराओं के बारे में जानकारी प्रदान करता है।

जन जागरूकता के महत्व पर एडीजीपी ने कहा कि इसका हर व्यक्ति पर प्रभाव पड़ता है। सभी को कानूनों के बारे में सीखना चाहिए और जागरूकता फैलानी चाहिए। पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो ने वीडियो उपलब्ध करवाए हैं। इसका प्रभाव बहुत बड़ा है और आने वाले कुछ सालों में इसका असर दिखेगा। यह बहुत जरूरी था।

हमने इससे जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए हेल्पलाइन शुरू की है। तकनीक भी इसमें बहुत मदद कर रही है और रिफे्रशर ट्रेनिंग भी आयोजित की गई है। एडीजीपी ने बताया कि नए कानूनों से आपराधिक न्याय प्रणाली और समाज को फायदा होगा। इससे व्यवस्था पारदर्शी, मजबूत और प्रभावी बनेगी।

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नए कानूनों का मूल उद्देश्य न्याय प्रदान

कमांडेंट, प्रथम एचपीएपी बटालियन जुंगा, रोहित मालपानी ने बताया कि नए कानूनों का मूल उद्देश्य न्याय प्रदान करना है, न कि सजा देना, जहां न्याय में पीड़ित, आरोपी और समाज, जिसमें महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। उन्होंने कहा कि ई-एफआईआर और जीरो-एफआईआर के प्रावधान पहले से ही मौजूद हैं। इन्हें नए कानून के तहत औपचारिक रूप दिया गया है जिससे ग्रे एरिया खत्म हो जाएगा। अब कोई भी अधिकारी इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि अपराध कहीं और हुआ है इसलिए उस एफआईआर को उसके पुलिस स्टेशन में दर्ज नहीं किया जा सकता।

छोटे अपराधों की सीमा बढ़ाई

Himachal Pradesh राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय शिमला के विधि विभाग के प्रोफेसर (डॉ.) गिरजेश शुक्ला ने कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के तहत अदालतों के स्तर पर चाहे मेट्रो हो या नॉन-मेट्रो, एक ही नाम होगा। सजा की मात्रा बढ़ा दी गई है और छोटे अपराधों की सीमा (रेंज) बढ़ा दी गई है। छोटे अपराधों के लिए संशोधित सीमा से न्यायिक प्रणाली पर बोझ कम होगा। प्रोफेसर ने कहा कि इस प्रकार अदालतों को सुव्यवस्थित किया गया है। पीआईबी चंडीगढ़ के मीडिया और संचार अधिकारी अहमद खान ने धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया।

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