सरकार की सख्ती के बावजूद सैंकड़ों जगह जलाई गई पराली
Stubble Burning in Punjab (आज समाज), चंडीगढ़ : हर साल की तरह इस बार भी धान कटाई के बाद वातावरण में प्रदूषण की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है। प्रदेश के कई हिस्सों में प्रदूषण का लेवल तेजी से बढ़ रहा है। इसका एकमात्र कारण किसानों द्वारा धान के अवशेषों में अंधाधुंध आग लगाना है। ज्ञात रहे कि धान सीजन आरंभ होने से पहले सरकार ने हर संभव प्रयास किया था कि किसान धान के अवशेषों में आग न लगाएं जबकि हो इसके उलट रहा है।
पराली जलाने के 1,113 मामले सामने आ चुके
प्रदेश में अब तक पराली जलाने के 1,113 मामले सामने आ चुके हैं। प्रदेश में बढ़ रहे मामलों के बीच वातावरण विशेषज्ञों का कहना है कि 25 अक्तूबर से रिकॉर्ड तोड़ पराली जलाने के मामले सामने आ सकते हैं। इसी के साथ पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और उत्तर भारत के अन्य मुख्य शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स लाल निशान के पास पहुंचता दिखेगा। प्रो. खाईवाल ने बताया कि पंजाब की मंडियों में धान की आवक शुरू हो गई है, जैसे ही मंडियों में धान की आवक बढ़ेगी, उसी के साथ पराली जलाने के मामले भी ज्यादा आने लगेंगे। दीपावली के आसपास उत्तर भारत का एयर क्वालिटी इंडेक्स पूरी तरह से बिगड़ता हुआ नजर आएगा।
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अवशेषों के उचित प्रबंध के लिए ऋण दे रही सरकार
धान के अवशेषों को खेत में जलाने से रोकने के लिए प्रदेश सरकार लगातार प्रयासरत्त है। इसके लिए सरकार जहां प्रदेश के किसानों से सब्सिडी पर मशीनरी मुहैया करवाने में युद्ध स्तर पर प्रयास कर रही है। वहीं अब प्रदेश सरकार ने एक और बड़ा फैसला लेते हुए प्रदेश के किसानों को फसल अवशेषों का उचित प्रबंध करने के लिए उन्हें 80 प्रतिशत तक सब्सिडी पर ऋण मुहैया करवाने की पेशकश की है। भगवंत सिंह मान ने किसानों की भलाई को हर संभव तरीके से सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता को दोहराते हुए किसानों से इस योजना का लाभ उठाने की अपील की।
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