मोहाली।   मटौर थाना पुलिस ने 1991 में आईएएस के बेटे बलवंत सिंह मुल्तानी का गैर कानूनी ढंग से किडनैप करने के मामले में पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी सहित कुल 8 लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 364, 201, 344, 330, 219 व 120बी के तहत मामला दर्ज किया है। यह मामला बलवंत सिंह मुल्तानी के भाई की पलविंदर सिंह मुल्तानी शिकायत पर पूर्व डीजीपी सुमेध सैनी, डीएसपी बलदेव सिंह सैनी, सब इंस्पेक्टर सतवीर सिंह, सब इंस्पेक्टर हरसहाय शर्मा, सब इंस्पेक्टर जगीर सिंह, सब इंस्पेक्टर अनूप सिंह, सब इंस्पेक्टर कुलदीप सिंह व अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किया है। जिक्रयोग है कि वर्ष 1991 में सैनी उस समय चंडीगढ़ में एसएसपी हुआ करते थे। मुल्तानी को चंडीगढ़ में सैनी पर एक आतंकवादी हमले के आरोप में दो पुलिस अधिकारियों द्वारा उठाया गया था जिसमें उनकी सुरक्षा में चार पुलिस कर्मी मारे गए थे।
पलविंदर सिंह मुल्तानी ने पुलिस को दी शिकायत में बताया था कि उसका भाई बलवंत सिंह मुल्तानी चंडीगढ़ इंडस्ट्रियल एंड टूरिज्म कार्पोरेशन (सिटको) में बतौर जेई तैनात था जोकि फेज-7 में मकान नंबर -1741 में पहली मंजिल पर परिवार सहित रहता था। उसने बताया कि 11 दिसंबर 1991 को सुबह 4 बजे चंडीगढ़ पुलिस की एक टीम उनके घर पर आई और उसके भाई को अवैध रुप से बिना कोई दस्तावेज या कारण बताए उसे किडनैप करके साथ ले गई। उसने बताया कि उसके भाई के साथ-साथ डीएसपी बलदेव सिंह व सब इंस्पेक्टर सतबीर सिंह ने फेज-10 के मकान नंबर -1878 से जसप्रीत इंदरजीत सिंह व उसके पिता मंजीत सिंह का भी गैर कानूनी ढंग से अपहरण किया। सुमेध सैनी ने बटाला में बलवंत सिंह के खिलाफ एक मामला दर्ज करवाया कि रेड पर लेके जाने दौरान उसने भागने की कोशिश की। पलविंदर सिंह मुल्तानी ने आरोप लगाया कि एक पूर्व पुलिस अधिकारी गुरमीत सिंह उर्फ पिंकी ने खुलासा किया था कि गैर कानूनी ढंग से उठाए लोगों पर सुमेध सैनी ने किस तरह टॉर्चर किया था। पलविंद मुल्तानी ने आरोप लगाया था कि उसके भाई इलेक्ट्रीक शॉर्ट दिए गए और उसे बूरी तरह से पीटा गया, जिस कारण उसके भाई की मौत हो गई थी। लेकिन उस समय सुमेध सैनी पावर में होने के कारण उन्हें न्याय नहीं मिला था। उसने बताया कि सुमेध सिंह सैनी के रिटायर्ड होने के बाद उन्होंने दोबारा से इंसाफ के लिए सबूत इक्ट्ठे किए।
मुल्तानी के अपहरण के बारे में उनके भाई द्वारा शिकायत दर्ज कराई गई थी। इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के निर्देश पर सैनी के खिलाफ 2007 में कार्रवाई शुरू की थी, लेकिन बाद में इसे सर्वोच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया था। सूत्रों के अनुसार बताया जा रहा है कि इस मामले में कैप्टन अमरिंदर सिंह के हस्तक्षेप के बाद 21 साल बाद मामला दर्ज किया गया है।