Aaj Samaj (आज समाज), Captive Elephants Case, नई दिल्ली: देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ केरल में बंदी बनाए गए हाथियों से संबंधित दायर अंतरिम याचिका को लेकर नाराज हो गए और उन्होंने कहा कि जिन मुद्दों से शीर्ष अदालत का काम ठप हो जाए, हम उनकी सुनवाई नहीं कर सकते।
- हर मामले में दखल नहीं दे सकता सुप्रीम कोर्ट
जिस मुद्दे से काम ठप हो जाए, उसे नहीं सुन सकते : CJI
बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक सीनियर एडवोकेट सीयू सिंह ने केरल में बंदी हाथियों की मौत से जुड़ा एक हस्तक्षेप आवेदन (आईए-अंतरिम याचिका) दायर किया गया था। जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस पारदीवाला की पीठ ने इस याचिका पर कहा कि हजारों ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर ध्यान दिया जाना चाहिए, लेकिन सभी की सुनवाई करके सुप्रीम कोर्ट को निष्क्रिय नहीं कर सकते।
स्थानीय मामलों की सुनवाई उच्च न्यायालयों में होनी चाहिए
पीठ ने केरल में बंदी बनाए गए हाथियों के मामले में कहा, यह स्थानीय मामले हैं, जिनकी सुनवाई उच्च न्यायालयों में होनी चाहिए। उन्होंने कहा, देश में सुप्रीम कोर्ट की क्या भूमिका है? आप जानते हैं, हमें पूरे देश में उठने वाले मुद्दों के माइक्रो मैनेजमेंट से नहीं निपटना है। यदि हाईकोर्ट कोई गलती करता है तो हम उस गलती को सुधारेंगे। सीनियर एडवोकेट सीयू सिंह ने जब दलील दी कि इस पूरे मामले में नियमों की अनदेखी हुई है तो सीजेआई ने सवाल किया, आप इस मामले को केरल हाईकोर्ट के सामने क्यों नहीं उठाते हैं? इस पर एडवोकेट ने कहा कि इस मामले से संबंधित और भी याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट के सामने लंबित हैं।
2018 से 2022 के बीच हो चुकी है 135 हाथियों की मौत
उन्होंने कहा कि 2018 से 2022 के बीच केरल में 135 हाथियों की मौत हो चुकी है। हालांकि सीजेआई वकील की दलील से सहमत नहीं नजर आए। उन्होंने कहा, सुप्रीम कोर्ट हर मामले में दखल नहीं दे सकता है। हम छोटी-छोटी चीजें थोड़ी मैनेज कर सकते हैं और न तो देश चला सकते हैं। हाईकोर्ट में एक से बढ़कर एक विद्वान जज हैं। पीठ ने कहा, हमारा विचार है कि ऐसे हस्तक्षेप आवेदन पर विचार करना संभव नहीं होगा। रिट याचिका सूचीबद्ध होने पर हस्तक्षेपकर्ता को महत्वपूर्ण मुद्दों पर सुना जा सकता है। मुख्य मामले को दिसंबर के पहले सप्ताह के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
हाथियों की मौत का बड़ा कारण उनसे क्रूरता
बता दें कि केरल में बंदी हाथियों की संख्या लगातार कम होती जा रही है। साल 2008 में यहां करीब 900 बंदी हाथी थे, लेकिन अब केवल 448 हाथी ही बचे हैं। बीते पांच साल में 115 बंदी हाथियों की मौत हुई है। इसके पीछे कारण बताते हुए हैरिटेज एनिमल टास्क फोर्स के सचिव वीके वेंकटचलम कहते हैं कि जो हाथी बंदी हैं, उनके खिलाफ क्रूरता बढ़ती जा रही है। केरल में हर साल औसतन 25 बंदी हाथियों की मौत होती है। केरल वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार बंदी हाथियों की मौत का सबसे बड़ा कारण उनके मालिकों द्वारा किया जा रहा खराब व्यवहार है।
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