***|| जय श्री राधे ||***
🌺🙏 महर्षि पाराशर पंचांग 🙏🌺
🙏🌺🙏 अथ पंचांगम् 🙏🌺🙏
****ll जय श्री राधे ll****
🌺🌺🙏🙏🌺🌺🙏🙏🌺🌺
दिनाँक:-09/10/2022, रविवार
पूर्णिमा, शुक्ल पक्ष,
आश्विन
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
मकर
नवीन वस्त्राभूषण की प्राप्ति पर व्यय होगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। भाइयों का सहयोग प्राप्त होगा। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। घर-बाहर प्रसन्नता का वातावरण रहेगा। नए मित्र बनेंगे। नया उपक्रम प्रारंभ करने की योजना बन सकती है। व्यवसाय लाभदायक रहेगा। शुभ समय।
तिथि———- पूर्णिमा 26:23:53 तक
पक्ष————————– शुक्ल
नक्षत्र—–उत्तरा भाद्रपदा16:19:34
योग————– ध्रुव 18:34:58
करण——- विष्टि भद्र 14:59:03
करण————–बव 26:23:53
वार———————— रविवार
माह———————– आश्विन
चन्द्र राशि—————— मीन
सूर्य राशि—————– कन्या
रितु————————– शरद
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर——————- शुभकृत
संवत्सर (उत्तर)——————– नल
विक्रम संवत————— 2079
गुजराती संवत————– 2078
शक संवत—————– 1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 06:16:56
सूर्यास्त—————- 17:55:36
दिन काल————- 11:38:39
रात्री काल————- 12:21:51
चंद्रोदय—————- 17:49:44
चंद्रास्त—————- 30:28:48
लग्न—-कन्या 21°33′ , 171°33′
सूर्य नक्षत्र——————– हस्त
चन्द्र नक्षत्र———–उत्तरा भाद्रपदा
नक्षत्र पाया——————– ताम्र
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
झ—- उत्तरा भाद्रपदा 10:28:58
ञ—- उत्तरा भाद्रपदा 16:19:34
दे—- रेवती 22:11:58
दो—- रेवती 28:06:15
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=कन्या 21 :49 हस्त , 4 ठ
चन्द्र =मीन 10 °23, उ o भा o , 3 झ
बुध =कन्या 03 ° 34′ उ o फाo ‘3 पा
शुक्र=कन्या 17°05, हस्त ‘ 3 ण
मंगल=वृषभ 28°30 ‘ मृगशिरा’ 2 वो
गुरु=मीन 07°30 ‘ उ o भा o, 2 थ
शनि=मकर 24°43 ‘ धनिष्ठा ‘ 1 गा
राहू=(व) मेष 20°40’ भरणी , 3 ले
केतु=(व) तुला 20°40 विशाखा , 1 ती
राहू काल 16:28 – 17:56 अशुभ
यम घंटा 12:06 – 13:34 अशुभ
गुली काल 15:01 – 16:28 अशुभ
अभिजित 11:43 – 12:30 शुभ
दूर मुहूर्त 16:22 – 17:09 अशुभ
वर्ज्यम 28:06* – 29:41* अशुभ
💮गंड मूल 16:20 – अहोरात्र अशुभ
🚩पंचक अहोरात्र अशुभ
💮चोघडिया, दिन
उद्वेग 06:17 – 07:44 अशुभ
चर 07:44 – 09:12 शुभ
लाभ 09:12 – 10:39 शुभ
अमृत 10:39 – 12:06 शुभ
काल 12:06 – 13:34 अशुभ
शुभ 13:34 – 15:01 शुभ
रोग 15:01 – 16:28 अशुभ
उद्वेग 16:28 – 17:56 अशुभ
🚩चोघडिया, रात
शुभ 17:56 – 19:28 शुभ
अमृत 19:28 – 21:01 शुभ
चर 21:01 – 22:34 शुभ
रोग 22:34 – 24:07* अशुभ
काल 24:07* – 25:39* अशुभ
लाभ 25:39* – 27:12* शुभ
उद्वेग 27:12* – 28:45* अशुभ
शुभ 28:45* – 30:17* शुभ
💮होरा, दिन
सूर्य 06:17 – 07:15
शुक्र 07:15 – 08:13
बुध 08:13 – 09:12
चन्द्र 09:12 – 10:10
शनि 10:10 – 11:08
बृहस्पति 11:08 – 12:06
मंगल 12:06 – 13:04
सूर्य 13:04 – 14:03
शुक्र 14:03 – 15:01
बुध 15:01 – 15:59
चन्द्र 15:59 – 16:57
शनि 16:57 – 17:56
🚩होरा, रात
बृहस्पति 17:56 – 18:57
मंगल 18:57 – 19:59
सूर्य 19:59 – 21:01
शुक्र 21:01 – 22:03
बुध 22:03 – 23:05
चन्द्र 23:05 – 24:07
शनि 24:07* – 25:08
बृहस्पति 25:08* – 26:10
मंगल 26:10* – 27:12
सूर्य 27:12* – 28:14
शुक्र 28:14* – 29:16
बुध 29:16* – 30:17
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
कन्या > 03:48 से 05:52 तक
तुला > 05:52 से 08:02 तक
वृश्चिक > 08:02 से 10:22 तक
धनु > 10:22 से 12:52 तक
मकर > 12:52 से 14:30 तक
कुम्भ > 14:30 से 15:58 तक
मीन > 15:58 से 16:32 तक
मेष > 16:32 से 18:06 तक
वृषभ > 18:06 से 20:52 तक
कर्क > 20:52 से 01:22 तक
सिंह > 01:22 से 03:42 तक
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा चिरौजी खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 1 + 1 = 17 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
चंद्र ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
15 + 15 + 5 = 35 ÷ 7 = 0 शेष
शमशान वास = मृत्यु कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
दोपहर 14:59 तक समाप्त
मृत्यु लोक = सर्वकार्य विनाशिनी
💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮
* पूर्णिमा व्रत
* शरद पूर्णिमा
* रास पूर्णिमा
* सर्वार्थ सिद्धि योग 16:20 तक
* बाल्मीक जयंती
* बृज परिक्रमा (कार्तिक स्नान प्रारम्भ)
*बिहारिजी कटी ,काछनी मुरली धारण
💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮
निर्धनं पुरुषं वेश्या प्रजा भग्नं नृपं त्यजेत् ।
खगा वीतफलं वृक्षं भुक्त्वाचाभ्यागतोगृहम् ।।
।। चा o नी o।।
वेश्या को निर्धन व्यक्ति को त्याग देना चाहिए, प्रजा को पराजित राजा को त्याग देना चाहिए, पक्षियों को फलरहित वृक्ष त्याग देना चाहिए एवं अतिथियों को भोजन करने के पश्चात् मेजबान के घर से निकल देना चाहिए।
🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩
गीता -: क्षेत्र-क्षेत्रज्ञविज्ञानयोग अo-13
यथा सर्वगतं सौक्ष्म्यादाकाशं नोपलिप्यते ।,
सर्वत्रावस्थितो देहे तथात्मा नोपलिप्यते ॥,
जिस प्रकार सर्वत्र व्याप्त आकाश सूक्ष्म होने के कारण लिप्त नहीं होता, वैसे ही देह में सर्वत्र स्थित आत्मा निर्गुण होने के कारण देह के गुणों से लिप्त नहीं होता॥,32॥
ये भी पढ़ें : राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के उपलक्ष्य में 10 को सभागार में व्याख्यान/कार्यशाला का आयोजन