***|| जय श्री राधे ||***
** महर्षि पाराशर पंचांग **
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:- 25/07/2022, सोमवार
द्वादशी, कृष्ण पक्ष,
श्रावण
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
*** दैनिक राशिफल ***
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
मकर
आज का दिन आपके लिए काफी मजबूत रहेगा। छोटे-मोटे झगड़े यदि घर परिवार में चल रहे थे, तो वह समाप्त होंगे और परिवार में खुशियां आएगी। भूमि व भवन संबंधित कार्य बड़ा लाभ दे सकते हैं। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। व्यापार अच्छा चलेगा। नौकरी में अनुकूलता रहेगी। मातहतों का सहयोग मिलेगा। कर्ज की रकम चुका पाएंगे। प्रतिद्वंद्वी सक्रिय रहेंगे। आलस्य न करें। निवेश शुभ रहेगा। उनके परिवार में किसी भजन, कीर्तन, पूजा-पाठ आदि का भी आयोजन हो सकता है, लेकिन संतान की संगति को लेकर आप थोड़ा परेशान रहेंगे व बढ़ते हुए खर्चे भी आपकी परेशानी का कारण बनेंगे। वरिष्ठ सदस्य व बुजुर्ग सदस्यों की सेहत की आपको चिंता सता सकती है। आपको अत्यधिक मेहनत के बाद सायंकाल के समय थकान का अनुभव होगा, जिसके कारण आपको सिर दर्द, बुखार आदि जैसी समस्या हो सकती है।
तिथि———–द्वादशी 16:14:56 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र——— मृगशिरा 25:04:24
योग————– ध्रुव 15:01:35
करण———– तैतुल 16:14:57
करण————– गर 29:31:02
वार———————– सोमवार
माह———————— श्रावण
चन्द्र राशि—— वृषभ 11:31:25
चन्द्र राशि—————— मिथुन
सूर्य राशि——————– कर्क
रितु————————– वर्षा
आयन——————दक्षिणायण
संवत्सर—————— शुभकृत
संवत्सर (उत्तर)———————नल
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)——— 2078
शक संवत—————– 1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:39:52
सूर्यास्त—————- 19:11:20
दिन काल————- 13:31:28
रात्री काल————- 10:29:03
चंद्रास्त—————- 16:52:30
चंद्रोदय—————- 27:12:06
लग्न—- कर्क 7°54′ , 97°54′
सूर्य नक्षत्र——————– पुष्य
चन्द्र नक्षत्र—————- मृगशिरा
नक्षत्र पाया——————- लोहा
**** पद, चरण. ****
वो—- मृगशिरा 11:31:25
का—- मृगशिरा 18:17:54
की—- मृगशिरा 25:04:24
**** ग्रह गोचर ****
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य=कर्क 07:12 पुष्य , 2 हे
चन्द्र = वृषभ 27 °23, मृगशिरा , 2 वो
बुध =कर्क 17 ° 07′ आश्लेषा ‘ 1 डी
शुक्र=मिथुन 13°05, आर्द्रा ‘ 3 ड
मंगल=मेष 18°30 ‘ भरणी ‘ 2 लू
गुरु=मीन 14°30 ‘ उ o भा o, 4 ञ
शनि=कुम्भ 29°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी
राहू=(व) मेष 24°30’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 24°30 विशाखा , 2 तू
**** मुहूर्त प्रकरण ****
राहू काल 07:21 – 09:03 अशुभ
यम घंटा 10:44 – 12:26 अशुभ
गुली काल 14:07 – 15:48 अशुभ
अभिजित 11:59 – 12:53 शुभ
दूर मुहूर्त 12:53 – 13:47 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:35 – 16:29 अशुभ
**** चोघडिया, दिन
अमृत 05:40 – 07:21 शुभ
काल 07:21 – 09:03 अशुभ
शुभ 09:03 – 10:44 शुभ
रोग 10:44 – 12:26 अशुभ
उद्वेग 12:26 – 14:07 अशुभ
चर 14:07 – 15:48 शुभ
लाभ 15:48 – 17:30 शुभ
अमृत 17:30 – 19:11 शुभ
**** चोघडिया, रात
चर 19:11 – 20:30 शुभ
रोग 20:30 – 21:49 अशुभ
काल 21:49 – 23:07 अशुभ
लाभ 23:07 – 24:26* शुभ
उद्वेग 24:26* – 25:45* अशुभ
शुभ 25:45* – 27:03* शुभ
अमृत 27:03* – 28:22* शुभ
चर 28:22* – 29:40* शुभ
**** होरा, दिन
चन्द्र 05:40 – 06:47
शनि 06:47 – 07:55
बृहस्पति 07:55 – 09:03
मंगल 09:03 – 10:10
सूर्य 10:10 – 11:18
शुक्र 11:18 – 12:26
बुध 12:26 – 13:33
चन्द्र 13:33 – 14:41
शनि 14:41 – 15:48
बृहस्पति 15:48 – 16:56
मंगल 16:56 – 18:04
सूर्य 18:04 – 19:11
**** होरा, रात
शुक्र 19:11 – 20:04
बुध 20:04 – 20:56
चन्द्र 20:56 – 21:49
शनि 21:49 – 22:41
बृहस्पति 22:41 – 23:33
मंगल 23:33 – 24:26
सूर्य 24:26* – 25:18
शुक्र 25:18* – 26:11
बुध 26:11* – 27:03
चन्द्र 27:03* – 27:56
शनि 27:56* – 28:48
बृहस्पति 28:48* – 29:40
**** उदयलग्न प्रवेशकाल ****
कर्क > 04:20 से 06:36 तक
सिंह > 06:36 से 08:46 तक
कन्या > 08:46 से 10:56 तक
तुला > 10:56 से 13:11 तक
वृश्चिक > 13:11 से 15:26 तक
धनु > 15:26 से 17:46 तक
मकर > 17:46 से 19:27 तक
कुम्भ > 19:27 से 21:02 तक
मीन > 21:02 से 21:36 तक
मेष > 21:36 से 00:08 तक
वृषभ > 00:08 से 02:00 तक
मिथुन > 02:00 से 04:20 तक
**** विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट— दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
**** दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
**** अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 12 + 2 + 1 = 30 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
**** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ****
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
केतु ग्रह मुखहुति
**** शिव वास एवं फल -:
27 + 27 + 5 = 59 ÷ 7 = 3 शेष
बृषभा रूढ़ = शुभ कारक
**** भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
**** विशेष जानकारी ****
*सोम प्रदोष व्रत (शिव पूजन)
*सर्वार्थ सिद्धि ,अमृत सिद्धि योग 19:11तक
*वन सोमवार व्रत
**** शुभ विचार ****
सा भार्या या शुचिर्दक्षा सा भार्या या पतिव्रता ।
सा भार्या या पतिप्रीता साभार्या सत्यवादिनो ।।
।। चा o नी o।।
वही अच्छी पत्नी है जो शुचिपूर्ण है, पारंगत है, शुद्ध है, पति को प्रसन्न करने वाली है और सत्यवादी है.
**** सुभाषितानि ****
गीता -: मोक्षसान्यांसयोग अo-18
बुद्धेर्भेदं धृतेश्चैव गुणतस्त्रिविधं श्रृणु ।,
प्रोच्यमानमशेषेण पृथक्त्वेन धनंजय ॥,
हे धनंजय ! अब तू बुद्धि का और धृति का भी गुणों के अनुसार तीन प्रकार का भेद मेरे द्वारा सम्पूर्णता से विभागपूर्वक कहा जाने वाला सुन॥,29॥,
****आपका दिन मंगलमय हो ****
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)
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