***|| जय श्री राधे ||***
** महर्षि पाराशर पंचांग **
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:- 09/07/2022, शनिवार
दशमी, शुक्ल पक्ष,
आषाढ
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
** दैनिक राशिफल **
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
मकर
आज का दिन आपके लिए आर्थिक दृष्टिकोण से उत्तम रहने वाला है। रोजगार के लिए लंबे समय से प्रयास कर रहे लोगों को कोई शुभ सूचना सुनने को मिल सकती है। जल्दबाजी में कोई भी लेन-देन न करें। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। फालतू खर्च होगा। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। कारोबार में वृद्धि के योग हैं। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। सट्टे व लॉटरी के चक्कर में न पड़ें। नौकरी में अधिकार बढ़ेंगे। घर-बाहर प्रसन्नता का वातावरण रहेगा। आपको अपने माता-पिता का विशेष ध्यान रखना होगा कि उनके द्वारा आपको कुछ कार्य सौपे जाएंगे। रात्रि के समय आपके घर अतिथि आगमन हो सकता है, जिससे आपका धन खर्च बढ़ सकता है। परिवार में यदि कोई लड़ाई झगड़े की स्थिति उत्पन्न हो, तो उसमें आपको दोनों पक्षों की सुनकर ही कोई निर्णय लेना बेहतर रहेगा, नहीं तो आपको खरी-खोटी सुनने को मिल सकती है।
तिथि———– दशमी 16:39:02 तक
पक्ष————————- शुक्ल
नक्षत्र———– स्वाति 11:23:45
योग————– सिद्ध 06:46:50
योग———— साध्य 28:00:33
करण———– तैतुल 05:37:06
करण————– गर 16:39:02
करण———– वणिज 27:30:56
वार———————– शनिवार
माह————————आषाढ
चन्द्र राशि——- तुला 28:20:15
चन्द्र राशि—————– वृश्चिक
सूर्य राशि——————–मिथुन
रितु————————- ग्रीष्म
सायन———————— वर्षा
आयन——————- उत्तरायण
सायन—————– दक्षिणायण
संवत्सर——————— नल
संवत्सर (उत्तर)—————– राक्षस
विक्रम संवत————— 2079
विक्रम संवत (कर्तक)——— 2078
शक संवत—————– 1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:31:53
सूर्यास्त————— 19:16:50
दिन काल————- 13:44:57
रात्री काल————–10:15:29
चंद्रोदय————-&&14:39:59
चंद्रास्त————— 25:48:36
लग्न—- मिथुन 22°38′ , 82°38′
सूर्य नक्षत्र——————पुनर्वसु
चन्द्र नक्षत्र—————— स्वाति
नक्षत्र पाया——————- रजत
**** पद, चरण ****
रो—- स्वाति 05:39:52
ता—- स्वाति 11:23:45
ती—- विशाखा 17:05:04
तू—- विशाखा 22:43:53
ते—- विशाखा 28:20:15
**** ग्रह गोचर ****
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=मिथुन 22:12 पुनर्वसु , 1 के
चन्द्र = तुला 16°23, स्वाति , 3 रो
बुध =मिथुन 13 ° 07′ आर्द्रा ‘ 3 ङ
शुक्र=वृषभ 24°05, मृगशिरा ‘ 1 वे
मंगल=मेष 08°30 ‘ अश्विनी ‘ 3 चो
गुरु=मीन 13°30 ‘ उ o भा o, 4 ञ
शनि=कुम्भ 00°33 ‘ उ o भा o ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 25°25’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 25°25 विशाखा , 2 तू
**** मुहूर्त प्रकरण ****
राहू काल 08:58 – 10:41 अशुभ
यम घंटा 14:07 – 15:51 अशुभ
गुली काल 05:32 – 07:15 अशुभ
अभिजित 11:57 – 12:52 शुभ
दूर मुहूर्त 07:22 – 08:17 अशुभ
**** चोघडिया, दिन
काल 05:32 – 07:15 अशुभ
शुभ 07:15 – 08:58 शुभ
रोग 08:58 – 10:41 अशुभ
उद्वेग 10:41 – 12:24 अशुभ
चर 12:24 – 14:07 शुभ
लाभ 14:07 – 15:51 शुभ
अमृत 15:51 – 17:34 शुभ
काल 17:34 – 19:17 अशुभ
**** चोघडिया, रात
लाभ 19:17 – 20:34 शुभ
उद्वेग 20:34 – 21:51 अशुभ
शुभ 21:51 – 23:08 शुभ
अमृत 23:08 – 24:25* शुभ
चर 24:25* – 25:42* शुभ
रोग 25:42* – 26:58* अशुभ
काल 26:58* – 28:15* अशुभ
लाभ 28:15* – 29:32* शुभ
**** होरा, दिन
शनि 05:32 – 06:41
बृहस्पति 06:41 – 07:49
मंगल 07:49 – 08:58
सूर्य 08:58 – 10:07
शुक्र 10:07 – 11:16
बुध 11:16 – 12:24
चन्द्र 12:24 – 13:33
शनि 13:33 – 14:42
बृहस्पति 14:42 – 15:51
मंगल 15:51 – 16:59
सूर्य 16:59 – 18:08
शुक्र 18:08 – 19:17
**** होरा, रात
बुध 19:17 – 20:08
चन्द्र 20:08 – 20:59
शनि 20:59 – 21:51
बृहस्पति 21:51 – 22:42
मंगल 22:42 – 23:33
सूर्य 23:33 – 24:25
शुक्र 24:25* – 25:16
बुध 25:16* – 26:07
चन्द्र 26:07* – 26:58
शनि 26:58* – 27:50
बृहस्पति 27:50* – 28:41
मंगल 28:41* – 29:32
**** उदयलग्न प्रवेशकाल ****
मिथुन > 03:07 से 05:26 तक
कर्क > 05:26 से 07:52 तक
सिंह > 07:52 से 09:54 तक
कन्या > 09:54 से 12:10 तक
तुला > 12:10 से 14:23 तक
वृश्चिक > 14:23 से 16:40 तक
धनु > 16:40 से 18:52 तक
मकर > 18:52 से 20:32 तक
कुम्भ > 20:32 से 22:06 तक
मीन > 22:06 से 22:36 तक
मेष > 22:36 से 01:16 तक
वृषभ > 01:16 से 03:07 तक
**** विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
**** दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
**** अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
10 + 7 + 1 = 18 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
**** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ****
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
शुक्र ग्रह मुखहुति
**** शिव वास एवं फल -:
10 + 10 + 5 = 25 ÷ 7 = 4 शेष
सभायां = संताप कारक
**** भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
रात्रि 27:26 से प्रारम्भ
पाताल लोक = धनलाभ कारक
**** विशेष जानकारी ****
*आशा दशमी
*गिरजा दशमी
*सर्वार्थ सिद्धि योग 11:24 तक
*माधवाचार्य पाटोत्सव
*द्वितीय शनिवार
**** शुभ विचार ****
कोऽतिभारः समर्थानां किं दूरं व्यवसायिनाम्।
को विदेशः सुविद्यानां कः परः प्रियवादिनाम् ।।
।। चा o नी o।।
शक्तिशाली लोगों के लिए कौनसा कार्य कठिन है ? व्यापारिओं के लिए कौनसा जगह दूर है, विद्वानों के लिए कोई देश विदेश नहीं है, मधुभाषियों का कोई शत्रु नहीं.
**** सुभाषितानि ****
गीता -: मोक्षसान्यांसयोग अo-18
पञ्चैतानि महाबाहो कारणानि निबोध मे ।,
साङ्ख्ये कृतान्ते प्रोक्तानि सिद्धये सर्वकर्मणाम् ॥,
हे महाबाहो! सम्पूर्ण कर्मों की सिद्धि के ये पाँच हेतु कर्मों का अंत करने के लिए उपाय बतलाने वाले सांख्य-शास्त्र में कहे गए हैं, उनको तू मुझसे भलीभाँति जान॥,13॥,
****आपका दिन मंगलमय हो ****
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)
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