पुलिस अकादमी मधुबन में भारतीय पुनर्वास परिषद के सहयोग दिव्यांगता एवं दिव्यांगजनों से संबंधित मामलों के प्रति पुलिसकर्मियों के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में विशेष शिक्षा विशेषज्ञ प्रोफेसर डॉ सुषमा शर्मा ने प्रतिभागियों को विषय संबंधी जानकारी प्रदान की। इसमें प्रशिक्षणाधीन उप निरीक्षक बैच संख्या 20 के प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया। इस अवसर पर डॉ सुषमा ने अपने संबोधन मे कहा कि दिव्यंगता की आरंभ में ही पहचान होने से बच्चे को मुख्यधारा में लाने और गरिमापूर्ण जीवन के लिए तैयार करने में सहायता मिलती है।
उन्होंने कहा कि बौद्धिक, दृष्टि श्रवण, वाणी, शारीरिक, स्वास्थ्य, व्यवहार संबधी अयोग्यताएं व्यक्ति में हो सकती हैं। इन सभी में से कोई अयोग्ता किसी बच्चे में भी हो सकती है। बच्चों में सीखने की अयोग्यता ऐसी है जो प्रत्यक्ष दिखाई नहीं देती हैं और बच्चे पर पढऩे-लिखने का भारी दबाव रहता है। कुछ बच्चों को अक्षरों की बनावट को पहचानने में समस्या आती है कुछ ऐसे हैं जिनको लिखने की समस्या होती है। इसी प्रकार से कुछ बच्चे ऐसे हैं जो गणित संबंधी कार्य नहीं सीख पाते हैं परंतु ये सभी बच्चे इनके अतिरिक्त किसी अन्य विषय में अच्छे होते हैं। यदि कोई बच्चा पांचवी कक्षा तक गणित नहीं समझ पा रहा है तो उसे उस विषय की ओर बढ़ाना हितकारी होगा जहां व अच्छा कर सकता है।
उन्होंने कहा कि हमें दिव्यंगता संबंधी मामलों कीजानकारी होने से दिव्यंजनों के साथ सही और उनके हित में व्यवहार करने में सहातया मिलेगी। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि दिव्यांजनों के प्रति सहानुभूति नहीं, समानुभूति कीजिए। उन्हें समान अवसर प्रदान करने में भागीदार बनें। दिव्यांगजनों को सामान्य विद्यालयों में शिक्षा उपलब्ध कराने से उनके व्यक्तित्व में अधिक निखार आता है। इस अवसर पर इस कार्यक्रम के संयोजक निरीक्षक ओमप्रकाश ने अतिथि वक्ता एवं अकादमी के निदेशक डॉ सीएस राव का आभार व्यक्त किया।
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