लखनऊ। उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारुकी ने कहा कि हम मस्जिद निर्माण के लिए जमीन लेने से मना नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह बोर्ड पर निर्भर करता है कि वह उस भूमि पर मस्जिद बनाये या नहीं। फारुकी ने कहा कि उन्होंने अयोध्या मामले में फैसला आने से पहले ही कहा था कि वह सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का सम्मान करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मस्जिद के लिए जमीन देने को कहा है तो वह इससे इनकार नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में अंतिम फैसला 24 फरवरी को बोर्ड की बैठक में लिया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘न्यायालय के आदेश में हमें यह आजादी नहीं दी गई है कि हम आवंटित जमीन को खारिज कर दें। मगर यह जरूर लिखा है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड इस बात के लिये स्वतंत्र होगा कि वह उस जमीन पर मस्जिद बनाये या नहीं।’ फारुकी ने कहा, ‘हमारा शुरू से ही रुख है कि हम उच्चतम न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) के आदेश का पालन करेंगे। इसलिए हमने उसके आदेश को लेकर पुनरीक्षण याचिका भी नहीं दाखिल की।’ उन्होंने बताया, ‘बोर्ड की बैठक में सरकार की तरफ से जमीन आवंटन के बारे में आये पत्र पर विचार-विमर्श किया जाएगा।’उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने मस्जिद के लिए ट्रस्ट बनाने की पेशकश की थी जिसके बारे में फारुखी ने कह कि ‘सरकार ने अयोध्या में मंदिर के लिए ट्रस्ट का गठन उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर किया है। मस्जिद के लिए तो ऐसा कोई आदेश नहीं दिया गया है।’ बहरहाल, बोर्ड की बैठक में इस पेशकश पर भी गौर किया जाएगा। मस्जिद के लिए यूपी सरकार ने जमीन जिला मुख्यालय से काफी दूर सोहावल में उपलब्ध कराई है। जिसके लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड के पूर्व वकील जफरयाब जीलानी ने आपत्ति के बारे में कहा कि ‘जीलानी ने इस बारे में उनसे तो कुछ नहीं कहा। अगर कहते तो हम सोच सकते थे।’
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