कर्क राशिफल 21 जुलाई 2022

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Cancer Horoscope 31 August 2022

***|| जय श्री राधे ||***

** महर्षि पाराशर पंचांग **
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
*******************

दिनाँक:- 21/07/2022, गुरुवार
अष्टमी, कृष्ण पक्ष,
श्रावण
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

*** दैनिक राशिफल ***

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

कर्क 

आज का दिन आपके लिए मध्यम रूप से फलदायक रहने वाला है। आपको शीघ्रता व भावुकता में लिए गए किसी निर्णय के लिए बाद में पछतावा होगा, इसलिए सावधान रहें। किसी भी तरह के विवाद में पड़ने से बचें। जल्दबाजी से हानि होगी। राजभय रहेगा। दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। घर में मेहमानों का आगमन होगा। व्यय होगा। सही काम का भी विरोध हो सकता है। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। निवेश शुभ रहेगा। सट्टे व लॉटरी के चक्कर में न पड़ें। कार्य व्यवसाय में बड़ी मात्रा में धन हाथ लगने से आप अपने कुछ पुराने कर्ज भी उतारने में सफल रहेंगे। संतान का धार्मिक कार्य के प्रति रुझान देखकर आपका मन प्रसन्न होगा,जो लोग प्रेम जीवन जी रहे हैं, वह आज विवाह बंधन में बध सकते हैं।  राज्य मान व प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। सायंकाल से लेकर रात्रि तक आपको देव दर्शन का लाभ मिलेगा।

तिथि———– अष्टमी 08:11:29 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र———-अश्विनी 14:16:01
योग————– धृति 12:18:14
करण———– कौलव 08:11:29
करण———– तैतुल 20:46:37
वार———————– गुरूवार
माह———————— श्रावण
चन्द्र राशि——————– मेष
सूर्य राशि——————– कर्क
रितु————————- वर्षा
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर——————- शुभकृत
संवत्सर (उत्तर)——————— नल
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)——— 2078
शक संवत—————— 1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:37:46
सूर्यास्त—————- 19:13:15
दिन काल————- 13:35:29
रात्री काल————- 10:25:02
चंद्रास्त—————- 13:10:00
चंद्रोदय—————- 24:30:52

लग्न—- कर्क 4°5′ , 94°5′

सूर्य नक्षत्र——————– पुष्य
चन्द्र नक्षत्र—————– अश्विनी
नक्षत्र पाया——————- स्वर्ण

**** पद, चरण ****

चो—- अश्विनी 07:50:10

ला—- अश्विनी 14:16:01

ली—- भरणी 20:44:26

लू—- भरणी 27:15:16

**** ग्रह गोचर ****

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=कर्क 04:12 पुष्य , 1 हु
चन्द्र = मेष 08 °23, रेवती , 3 चो
बुध =कर्क 08 ° 07′ पुष्य ‘ 2 हे
शुक्र=मिथुन 09°05, आर्द्रा ‘ 1 कु
मंगल=मेष 16°30 ‘ भरणी ‘ 1 ली
गुरु=मीन 15°30 ‘ उ o भा o, 4 ञ
शनि=कुम्भ 29°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी
राहू=(व) मेष 24°40’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 24°40 विशाखा , 2 तू

**** मुहूर्त प्रकरण ****

राहू काल 14:07 – 15:49 अशुभ
यम घंटा 05:38 – 07:20 अशुभ
गुली काल 09:02 – 10:44 अशुभ
अभिजित 11:58 – 12:53 शुभ
दूर मुहूर्त 10:10 – 11:04 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:36 – 16:30 अशुभ

**** गंड मूल 05:38 – 14:16 अशुभ

**** चोघडिया, दिन
शुभ 05:38 – 07:20 शुभ
रोग 07:20 – 09:02 अशुभ
उद्वेग 09:02 – 10:44 अशुभ
चर 10:44 – 12:26 शुभ
लाभ 12:26 – 14:07 शुभ
अमृत 14:07 – 15:49 शुभ
काल 15:49 – 17:31 अशुभ
शुभ 17:31 – 19:13 शुभ

**** चोघडिया, रात
अमृत 19:13 – 20:31 शुभ
चर 20:31 – 21:50 शुभ
रोग 21:50 – 23:08 अशुभ
काल 23:08 – 24:26* अशुभ
लाभ 24:26* – 25:44* शुभ
उद्वेग 25:44* – 27:02* अशुभ
शुभ 27:02* – 28:20* शुभ
अमृत 28:20* – 29:38* शुभ

**** होरा, दिन
बृहस्पति 05:38 – 06:46
मंगल 06:46 – 07:54
सूर्य 07:54 – 09:02
शुक्र 09:02 – 10:10
बुध 10:10 – 11:18
चन्द्र 11:18 – 12:26
शनि 12:26 – 13:33
बृहस्पति 13:33 – 14:41
मंगल 14:41 – 15:49
सूर्य 15:49 – 16:57
शुक्र 16:57 – 18:05
बुध 18:05 – 19:13

**** होरा, रात
चन्द्र 19:13 – 20:05
शनि 20:05 – 20:57
बृहस्पति 20:57 – 21:50
मंगल 21:50 – 22:42
सूर्य 22:42 – 23:34
शुक्र 23:34 – 24:26
बुध 24:26* – 25:18
चन्द्र 25:18* – 26:10
शनि 26:10* – 27:02
बृहस्पति 27:02* – 27:54
मंगल 27:54* – 28:46
सूर्य 28:46* – 29:38

**** उदयलग्न प्रवेशकाल ****

कर्क > 04:30 से 06:48 तक
सिंह > 06:48 से 09:04 तक
कन्या > 09:04 से 11:14 तक
तुला > 11:14 से 13:29 तक
वृश्चिक > 13:29 से 15:42 तक
धनु > 15:42 से 18:00 तक
मकर > 18:00 से 19:42 तक
कुम्भ > 19:42 से 21:16 तक
मीन > 21:16 से 21:50 तक
मेष > 21:50 से 00:22 तक
वृषभ > 00:22 से 02:13 तक
मिथुन > 02:13 से 04:30 तक

**** विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट— दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करोव्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

**** दिशा शूल ज्ञान————-दक्षिण
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा केशर खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

**** अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

15 + 8 + 5 + 1 = 29 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l

**** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ****

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

गुरु ग्रह मुखहुति 14: 17तक
उपरान्त राहु

**** शिव वास एवं फल -:

23 + 23 + 5 = 51 ÷ 7 = 2 शेष

गौरि सन्निधौ = शुभ कारक

**** भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च नी धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

**** विशेष जानकारी ****

*सर्वार्थ सिद्धि योग 14:16 तक

**** शुभ विचार ****

मूर्खश्चिरायुर्जातोऽपि तस्माज्जातमृतो वरः ।
मृतः स चाऽल्पदुःखाय यावज्जीवं जडोदहेत् ।।
।। चा o नी o।।

एक ऐसा बालक जो जन्मते वक़्त मृत था, एक मुर्ख दीर्घायु बालक से बेहतर है. पहला बालक तो एक क्षण के लिए दुःख देता है, दूसरा बालक उसके माँ बाप को जिंदगी भर दुःख की अग्नि में जलाता है.

**** सुभाषितानि ****

गीता -: मोक्षसान्यांसयोग अo-18

अनुबन्धं क्षयं हिंसामनवेक्ष्य च पौरुषम्‌ ।,
मोहादारभ्यते कर्म यत्तत्तामसमुच्यते॥,

जो कर्म परिणाम, हानि, हिंसा और सामर्थ्य को न विचारकर केवल अज्ञान से आरंभ किया जाता है, वह तामस कहा जाता है॥,25॥,

****आपका दिन मंगलमय हो ****
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

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