***|| जय श्री राधे ||***
🌺🙏 महर्षि पाराशर पंचांग 🙏🌺
🙏🌺🙏 अथ पंचांगम् 🙏🌺🙏
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक :- 18/11/2022, शुक्रवार
नवमी, कृष्ण पक्ष,
मार्गशीर्ष
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
कर्क
संतान पक्ष की चिंता रहेगी। चोट व दुर्घटना से बचें। लेन-देन में सावधानी रखें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। खर्च का बोझ बढ़ेगा। किसी पर अत्यधिक भरोसा न करें। व्यापार, नौकरी में अड़चनें आने से मनोबल में कमी आ सकती है।
तिथि———– नवमी 09:32:46 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र—–पूर्वा फाल्गुनी 23:07:09
योग———— वैधृति 25:09:29
करण————– गर 09:32:46
करण———– वणिज 22:06:22
वार———————– शुक्रवार
माह———————- मार्गशीर्ष
चन्द्र राशि——– सिंह 29:27:46
चन्द्र राशि—————– कन्या
सूर्य राशि—————– वृश्चिक
रितु————————- हेमंत
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर——————- शुभकृत
संवत्सर (उत्तर)——————— नल
विक्रम संवत—————- 2079
गुजराती संवत————– 2079
शक संवत—————– 1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 06:43:24
सूर्यास्त—————- 17:25:01
दिन काल————- 10:41:37
रात्री काल————- 13:19:09
चंद्रास्त—————- 14:05:49
चंद्रोदय—————- 25:51:33
लग्न—- वृश्चिक 1°29′ , 211°29′
सूर्य नक्षत्र—————- विशाखा
चन्द्र नक्षत्र———– पूर्वा फाल्गुनी
नक्षत्र पाया——————- रजत
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
टा—- पूर्वा फाल्गुनी 10:18:14
टी—- पूर्वा फाल्गुनी 16:43:57
टू—- पूर्वा फाल्गुनी 23:07:09
टे—- उत्तरा फाल्गुनी 29:27:46
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=वृश्चिक 01 :29 विशाखा , 4 तो
चन्द्र =सिंह 18°23, पू o फाo, 2 टा
बुध =वृश्चिक 06 ° 34′ अनुराधा ‘2 नी
शुक्र=वृश्चिक 08°05, अनुराधा ‘ 2 नी
मंगल=वृषभ 29°30 ‘ मृगशिरा’ 2 वो
गुरु=मीन 04°30 ‘ उ o भा o, 1 दू
शनि=मकर 24°43 ‘ धनिष्ठा ‘ 1 गा
राहू=(व) मेष 18°20 भरणी , 2 लू
केतु=(व) तुला 18°20 विशाखा , 4 ता
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल 10:44 – 12:04 अशुभ
यम घंटा 14:45 – 16:05 अशुभ
गुली काल 08:04 – 09:24 अशुभ
अभिजित 11:43 – 12:26 शुभ
दूर मुहूर्त 08:52 – 09:34 अशुभ
दूर मुहूर्त 12:26 – 13:08 अशुभ
वर्ज्यम 30:44* – 32:24* अशुभ
💮चोघडिया, दिन
चर 06:43 – 08:04 शुभ
लाभ 08:04 – 09:24 शुभ
अमृत 09:24 – 10:44 शुभ
काल 10:44 – 12:04 अशुभ
शुभ 12:04 – 13:24 शुभ
रोग 13:24 – 14:45 अशुभ
उद्वेग 14:45 – 16:05 अशुभ
चर 16:05 – 17:25 शुभ
🚩चोघडिया, रात
रोग 17:25 – 19:05 अशुभ
काल 19:05 – 20:45 अशुभ
लाभ 20:45 – 22:25 शुभ
उद्वेग 22:25 – 24:05* अशुभ
शुभ 24:05* – 25:44* शुभ
अमृत 25:44* – 27:24* शुभ
चर 27:24* – 29:04* शुभ
रोग 29:04* – 30:44* अशुभ
💮होरा, दिन
शुक्र 06:43 – 07:37
बुध 07:37 – 08:30
चन्द्र 08:30 – 09:24
शनि 09:24 – 10:17
बृहस्पति 10:17 – 11:11
मंगल 11:11 – 12:04
सूर्य 12:04 – 12:58
शुक्र 12:58 – 13:51
बुध 13:51 – 14:45
चन्द्र 14:45 – 15:38
शनि 15:38 – 16:32
बृहस्पति 16:32 – 17:25
🚩होरा, रात
मंगल 17:25 – 18:32
सूर्य 18:32 – 19:38
शुक्र 19:38 – 20:45
बुध 20:45 – 21:51
चन्द्र 21:51 – 22:58
शनि 22:58 – 24:05
बृहस्पति 24:05* – 25:11
मंगल 25:11* – 26:18
सूर्य 26:18* – 27:24
शुक्र 27:24* – 28:31
बुध 28:31* – 29:38
चन्द्र 29:38* – 30:44
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
तुला > 03:22 से 05:33 तक
वृश्चिक > 05:33 से 07:54 तक
धनु > 07:54 से 10:24 तक
मकर > 10:24 से 12:02 तक
कुम्भ > 12:02 से 13:32 तक
मीन > 13:32 से 14:04 तक
मेष > 14:04 से 15:38 तक
वृषभ > 15:38 से 18:24 तक
कर्क > 18:24 से 22:54 तक
सिंह > 22:54 से 01:08 तक
कन्या > 01:08 से 03:12 तक
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 9 + 6 + 1 = 31 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
राहु ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
24 + 24 + 5 = 53 ÷ 7 = 4 शेष
सभायां = संताप कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
रात्रि 2206 से प्रारम्भ
मृत्यु लोक = सर्वकार्य विनाशिनी
💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮
*श्री जम्भोजी पुण्य तिथि
*वैधृति पुण्य
💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮
अग्निहोत्रं विना वेदाः न च दानं विना क्रियाः ।
न भावेनविना सिध्दिस्तस्माद्भावो हि कारणम् ।।
।। चा o नी o।।
यह बाते बेकार है. वेद मंत्रो का उच्चारण करना लेकिन निहित यज्ञ कर्मो को ना करना. यज्ञ करना लेकिन बाद में लोगो को दान दे कर तृप्त ना करना. पूर्णता तो भक्ति से ही आती है. भक्ति ही सभी सफलताओ का मूल है.
🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩
गीता -: विश्वरूपदर्शनयोग अo-11
द्यावापृथिव्योरिदमन्तरं हि व्याप्तं त्वयैकेन दिशश्च सर्वाः ।,
दृष्ट्वाद्भुतं रूपमुग्रं तवेदंलोकत्रयं प्रव्यथितं महात्मन् ॥,
हे महात्मन्! यह स्वर्ग और पृथ्वी के बीच का सम्पूर्ण आकाश तथा सब दिशाएँ एक आपसे ही परिपूर्ण हैं तथा आपके इस अलौकिक और भयंकर रूप को देखकर तीनों लोक अतिव्यथा को प्राप्त हो रहे हैं॥,20॥,
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