***|| जय श्री राधे ||***
🌺🙏 महर्षि पाराशर पंचांग 🙏🌺
🙏🌺🙏 अथ पंचांगम् 🙏🌺🙏
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:- 12/10/2022, बुधवार
तृतीया, कृष्ण पक्ष,
कार्तिक
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
कर्क
रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेगे। प्रमाद न करें। जल्दबाजी न करें। कोई समस्या खड़ी हो सकती है। शरीर शिथिल हो सकता है। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। भूमि व भवन इत्यादि की खरीद-फरोख्त की योजना बनेगी। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। आय में वृद्धि होगी।
तिथि———–तृतीया 25:58:53 तक
पक्ष————————-कृष्ण
नक्षत्र———– भरणी 17:08:52
योग————–वज्र 14:18:25
करण———- वणिज 13:38:51
करण——- विष्टि भद्र 25:58:53
वार———————— बुधवार
माह———————–कार्तिक
चन्द्र राशि——– मेष 23:28:05
चन्द्र राशि——————- वृषभ
सूर्य राशि——————– कन्या
रितु————————- शरद
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर——————–शुभकृत
संवत्सर (उत्तर)——————— नल
विक्रम संवत—————- 2079
गुजराती संवत————– 2078
शक संवत—————— 1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 06:18:32
सूर्यास्त—————- 17:52:25
दिन काल————- 11:33:52
रात्री काल———— 12:26:39
चंद्रास्त—————- 08:27:49
चंद्रोदय—————- 19:30:57
लग्न—- कन्या 24°31′ , 174°31′
सूर्य नक्षत्र——————- चित्रा
चन्द्र नक्षत्र—————— भरणी
नक्षत्र पाया——————–स्वर्ण
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
ले—- भरणी 10:52:04
लो—- भरणी 17:08:52
अ—- कृत्तिका 23:28:05
ई—- कृत्तिका 29:49:41
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=कन्या 24 :49 चित्रा , 1 पे
चन्द्र =मेष 20 °23, भरणी , 3 ले
बुध =कन्या 07 ° 34′ उ o फाo ‘4 पी
शुक्र=कन्या 21°05, हस्त ‘ 4 ठ
मंगल=वृषभ 29°30 ‘ मृगशिरा’ 2 वो
गुरु=मीन 07°30 ‘ उ o भा o, 2 थ
शनि=मकर 24°43 ‘ धनिष्ठा ‘ 1 गा
राहू=(व) मेष 20°20’ भरणी , 3 ले
केतु=(व) तुला 20°20 विशाखा , 1 ती
राहू काल 12:05 – 13:32 अशुभ
यम घंटा 07:45 – 09:12 अशुभ
गुली काल 10:39 – 12:05 अशुभ
अभिजित 11:42 – 12:29 अशुभ
दूर मुहूर्त 11:42 – 12:29 अशुभ
वर्ज्यम 29:50* – 31:32* अशुभ
💮चोघडिया, दिन
लाभ 06:19 – 07:45 शुभ
अमृत 07:45 – 09:12 शुभ
काल 09:12 – 10:39 अशुभ
शुभ 10:39 – 12:05 शुभ
रोग 12:05 – 13:32 अशुभ
उद्वेग 13:32 – 14:59 अशुभ
चर 14:59 – 16:26 शुभ
लाभ 16:26 – 17:52 शुभ
🚩चोघडिया, रात
उद्वेग 17:52 – 19:26 अशुभ
शुभ 19:26 – 20:59 शुभ
अमृत 20:59 – 22:32 शुभ
चर 22:32 – 24:06* शुभ
रोग 24:06* – 25:39* अशुभ
काल 25:39* – 27:12* अशुभ
लाभ 27:12* – 28:46* शुभ
उद्वेग 28:46* – 30:19* अशुभ
💮होरा, दिन
बुध 06:19 – 07:16
चन्द्र 07:16 – 08:14
शनि 08:14 – 09:12
बृहस्पति 09:12 – 10:10
मंगल 10:10 – 11:08
सूर्य 11:08 – 12:05
शुक्र 12:05 – 13:03
बुध 13:03 – 14:01
चन्द्र 14:01 – 14:59
शनि 14:59 – 15:57
बृहस्पति 15:57 – 16:55
मंगल 16:55 – 17:52
🚩होरा, रात
सूर्य 17:52 – 18:55
शुक्र 18:55 – 19:57
बुध 19:57 – 20:59
चन्द्र 20:59 – 22:01
शनि 22:01 – 23:04
बृहस्पति 23:04 – 24:06
मंगल 24:06* – 25:08
सूर्य 25:08* – 26:10
शुक्र 26:10* – 27:12
बुध 27:12* – 28:15
चन्द्र 28:15* – 29:17
शनि 29:17* – 30:19
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
कन्या > 03:39 से 05:40 तक
तुला > 05:40 से 07:50 तक
वृश्चिक > 07:50 से 10:10 तक
धनु > 10:10 से 12:40 तक
मकर > 12:40 से 14:18 तक
कुम्भ > 14:18 से 15:46 तक
मीन > 15:46 से 16:20 तक
मेष > 16:20 से 17:54 तक
वृषभ > 17:54 से 20:40 तक
कर्क > 20:40 से 01:10 तक
सिंह > 01:10 से 03:38 तक
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 3 + 4 + 1 = 23 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
मंगल ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
18 + 18 + 5 = 41 ÷ 7 = 6 शेष
क्रीड़ायां = शोक, दुःख कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
दोपहर 13:48 से रात्रि 25:58 तक
स्वर्ग लोक = शुभ कारक
💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮
* सर्वार्थ सिद्धि योग 17:09 से
💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮
समाने शोभते प्रीतिः राज्ञि सेवा च शोभते ।
वाणिज्यंव्यवहारेषु स्त्री दिव्या शोभते गृहे ।।
।। चा o नी o।।
प्रेम और मित्रता बराबर वालों में अच्छी लगती है, राजा के यहाँ नौकरी करने वाले को ही सम्मान मिलता है, व्यवसायों में वाणिज्य सबसे अच्छा है, अवं उत्तम गुणों वाली स्त्री अपने घर में सुरक्षित रहती है।
🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩
गीता -: भक्तियोग अo-12
एवं सततयुक्ता ये भक्तास्त्वां पर्युपासते ।,
ये चाप्यक्षरमव्यक्तं तेषां के योगवित्तमाः ॥,
अर्जुन बोले- जो अनन्य प्रेमी भक्तजन पूर्वोक्त प्रकार से निरन्तर आपके भजन-ध्यान में लगे रहकर आप सगुण रूप परमेश्वर को और दूसरे जो केवल अविनाशी सच्चिदानन्दघन निराकार ब्रह्म को ही अतिश्रेष्ठ भाव से भजते हैं- उन दोनों प्रकार के उपासकों में अति उत्तम योगवेत्ता कौन हैं?॥,1॥,
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