***|| जय श्री राधे ||***
** महर्षि पाराशर पंचांग **
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक :-12/07/2022, मंगलवार
त्रयोदशी, शुक्ल पक्ष,
आषाढ
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
**** दैनिक राशिफल ****
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
कर्क
आज आपको शासन सत्ता का भी गठजोड़ मिलता दिख रहा है। यदि आपके हाथ आज कई सारे काम एक साथ आएंगे, तो आपको इनमें जो जरूरी हो, उसे पहले करना बेहतर रहेगा। मेहनत का फल पूरा नहीं मिलेगा। स्वास्थ्य खराब हो सकता है। बौद्धिक कार्य सफल रहेंगे। किसी प्रबुद्ध व्यक्ति का मार्गदर्शन मिल सकता है। यात्रा मनोरंजक रहेगी। पारिवारिक मांगलिक कार्य हो सकता है। नौकरी में अधिकार बढ़ सकते हैं। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। आपका कोई कानूनी कार्य आपका सिरदर्द बन सकता है। संतान के विवाह में आ रही समस्या को लेकर आप किसी परिजन के घर भी जा सकते हैं। यदि किसी यात्रा पर जा रहे हैं,तो उसमें आपको जीवनसाथी व माता-पिता को साथ लेकर जाना बेहतर रहेगा। आपको किसी अपने के लिए कुछ रुपयों का इंतजाम भी करना पड़ सकता है।
तिथि———- त्रयोदशी 07:45:40 तक
तिथि———- चतुर्दशी 28:00:04
पक्ष————————– शुक्ल
नक्षत्र————- मूल 26:20:24
योग————– ब्रह्म 16:57:14
करण———– तैतुल 07:45:41
करण————– गर 17:54:32
करण———– वणिज 28:00:04
वार———————– मंगलवार
माह———————— आषाढ
चन्द्र राशि——————– धनु
सूर्य राशि——————- मिथुन
रितु————————– ग्रीष्म
सायन————————- वर्षा
आयन——————- उत्तरायण
सायन——————दक्षिणायण
संवत्सर——————- शुभकृत
संवत्सर (उत्तर)———————- नल
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक) ———-2078
शक संवत——————-1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:33:16
सूर्यास्त————— 19:16:15
दिन काल————- 13:42:58
रात्री काल————- 10:17:29
चंद्रास्त—————- 05:52:28
चंद्रोदय—————- 18:09:07
लग्न—- मिथुन 25°30′ , 85°30′
सूर्य नक्षत्र—————– पुनर्वसु
चन्द्र नक्षत्र——————— मूल
नक्षत्र पाया——————- ताम्र
**** पद, चरण ****
ये—- मूल 10:32:20
यो—- मूल 15:49:12
भा—- मूल 21:05:11
भी—- मूल 26:20:24
**** ग्रह गोचर ****
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य=मिथुन 25:12 पुनर्वसु , 2 को
चन्द्र = धनु 00°23, मूल , 1 ये
बुध =मिथुन 19 ° 07′ आर्द्रा ‘ 4 छ
शुक्र=वृषभ 28°05, मृगशिरा ‘ 2 वो
मंगल=मेष 10°30 ‘ अश्विनी ‘ 4 ला
गुरु=मीन 14°30 ‘ उ o भा o, 4 ञ
शनि=कुम्भ 00°33 ‘ उ o भा o ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 25°10’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 25°10 विशाखा , 2 तू
**** मुहूर्त प्रकरण ****
राहू काल 15:51 – 17:33 अशुभ
यम घंटा 08:59 – 10:42 अशुभ
गुली काल 12:25 – 14:08 अशुभ
अभिजित 11:57 – 12:52 शुभ
दूर मुहूर्त 08:18 – 09:13 अशुभ
दूर मुहूर्त 23:23 – 24:18* अशुभ
**** गंड मूल 05:33 – 26:20* अशुभ
**** चोघडिया, दिन
रोग 05:33 – 07:16 अशुभ
उद्वेग 07:16 – 08:59 अशुभ
चर 08:59 – 10:42 शुभ
लाभ 10:42 – 12:25 शुभ
अमृत 12:25 – 14:08 शुभ
काल 14:08 – 15:51 अशुभ
शुभ 15:51 – 17:33 शुभ
रोग 17:33 – 19:16 अशुभ
**** चोघडिया, रात
काल 19:16 – 20:33 अशुभ
लाभ 20:33 – 21:51 शुभ
उद्वेग 21:51 – 23:08 अशुभ
शुभ 23:08 – 24:25* शुभ
अमृत 24:25* – 25:42* शुभ
चर 25:42* – 26:59* शुभ
रोग 26:59* – 28:17* अशुभ
काल 28:17* – 29:34* अशुभ
**** होरा, दिन
मंगल 05:33 – 06:42
सूर्य 06:42 – 07:50
शुक्र 07:50 – 08:59
बुध 08:59 – 10:08
चन्द्र 10:08 – 11:16
शनि 11:16 – 12:25
बृहस्पति 12:25 – 13:33
मंगल 13:33 – 14:42
सूर्य 14:42 – 15:51
शुक्र 15:51 – 16:59
बुध 16:59 – 18:08
चन्द्र 18:08 – 19:16
**** होरा, रात
शनि 19:16 – 20:08
बृहस्पति 20:08 – 20:59
मंगल 20:59 – 21:51
सूर्य 21:51 – 22:42
शुक्र 22:42 – 23:34
बुध 23:34 – 24:25
चन्द्र 24:25* – 25:16
शनि 25:16* – 26:08
बृहस्पति 26:08* – 26:59
मंगल 26:59* – 27:51
सूर्य 27:51* – 28:42
शुक्र 28:42* – 29:34
**** उदयलग्न प्रवेशकाल ****
मिथुन > 02:55 से 05:07 तक
कर्क > 05:07 से 07:34 तक
सिंह > 07:34 से 09:36 तक
कन्या > 09:36 से 11:52 तक
तुला > 11:52 से 14:05 तक
वृश्चिक > 14:05 से 16:18 तक
धनु > 16:18 से 18:34 तक
मकर > 18:34 से 20:18 तक
कुम्भ > 20:18 से 21:52 तक
मीन > 21:52 से 22:24 तक
मेष > 22:24 से 00:58 तक
वृषभ > 00:58 से 02:55 तक
**** विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट— दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
**** दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
**** अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
13 + 3 + 1 = 17 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
**** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ****
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
चन्द्र ग्रह मुखहुति
**** शिव वास एवं फल -:
13 + 13 + 5 = 31 ÷ 7 = 3 शेष
वृषभा रूढ़ = शुभ कारक
**** भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
प्रातः 08:00 से प्रारम्भ
पाताल लोक= धनलाभ कारक
**** विशेष जानकारी ****
* चतुर्दशीक्षय
* शिव शयनचतुर्दशी (उड़ीसा)
**** शुभ विचार ****
किं जातैर्बहुभिः पुत्रैः शोकसन्तापकारकैः ।
वरमेकः कुलालम्बी यत्र विश्राम्यते कुलम् ।।
।। चा o नी o।।
ऐसे अनेक पुत्र किस काम के जो दुःख और निराशा पैदा करे. इससे तो वह एक ही पुत्र अच्छा है जो समपूणर घर को सहारा और शांति पदान करे.
**** सुभाषितानि ****
गीता -: मोक्षसान्यांसयोग अo-18
तत्रैवं सति कर्तारमात्मानं केवलं तु यः ।,
पश्यत्यकृतबुद्धित्वान्न स पश्यति दुर्मतिः ॥,
परन्तु ऐसा होने पर भी जो मनुष्य अशुद्ध बुद्धि (सत्संग और शास्त्र के अभ्यास से तथा भगवदर्थ कर्म और उपासना के करने से मनुष्य की बुद्धि शुद्ध होती है, इसलिए जो उपर्युक्त साधनों से रहित है, उसकी बुद्धि अशुद्ध है, ऐसा समझना चाहिए।,) होने के कारण उस विषय में यानी कर्मों के होने में केवल शुद्ध स्वरूप आत्मा को कर्ता समझता है, वह मलीन बुद्धि वाला अज्ञानी यथार्थ नहीं समझता॥,16॥,
****आपका दिन मंगलमय हो ****
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)
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