Cancer Horoscope 10 April 2022

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***|| जय श्री राधे ||***

**** महर्षि पाराशर पंचांग ****
**** अथ पंचांगम् ****
****ll जय श्री राधे ll****
**** **** **** **** **** ****

दिनाँक:-10/04/2022, रविवार
नवमी, शुक्ल पक्ष
चैत्र
**** **** **** **** **** **** (समाप्ति काल)

*** दैनिक राशिफल *** 

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

कर्क

Cancer Horoscope 10 April 2022: आज का दिन आपके लिए विशेष रूप से फलदायक रहेगा। किसी अपने के व्यवहार से स्वाभिमान को ठेस पहुंच सकती है। शारीरिक कष्ट संभव है। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। शत्रु पस्त होंगे। वाणी पर नियंत्रण रखें। स्थायी संपत्ति के कार्य बड़ा लाभ दे सकते हैं। आर्थिक उन्नति के प्रयास सफल होंगे। निवेश शुभ रहेगा। व्यापार में वृद्धि होगी। आपको अपने व्यापार के लिए कड़वाहट को मिठास में बदलने की कला को अपनाना होगा,तभी आप लोगों से अपना काम निकलवाने में कामयाब रहेंगे। जीवनसाथी का सहयोग व सानिध्य पाकर आप अपनी काफी समस्याओं का हल खोजेंगे। ससुराल पक्ष से आपको धन लाभ मिलता दिख रहा है। विद्यार्थियों के उच्च शिक्षा के मार्ग प्रशस्त होंगे। यदि वह किसी प्रतियोगिता में भाग लेंगे,तो उसमें भी उन्हें सफलता अवश्य प्राप्त होगी। सायंकाल के समय आप अपने जीवनसाथी को शॉपिंग पर लेकर जा सकते हैं।

 

तिथि———– नवमी 27:15:03 तक
पक्ष————————- शुक्ल
नक्षत्र———— पुष्य 30:49:55
योग———— सुकर्मा 12:01:33
करण———- बालव 14:23:18
करण———– कौलव 27:15:03
वार———————— रविवार
माह————————— चैत्र
चन्द्र राशि——————– कर्क
सूर्य राशि———————-मीन
रितु————————- वसंत
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर———————– नल
संवत्सर (उत्तर) ——————राक्षस
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)——— 2078
शाका संवत—————- 1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 06:01:25
सूर्यास्त————— 18:39:59
दिन काल————- 12:38:34
रात्री काल————- 11:20:21
चंद्रोदय—————- 12:29:45
चंद्रास्त—————–26:44:23

लग्न—-मीन 25°58′ , 355°58′

सूर्य नक्षत्र—————— रेवती
चन्द्र नक्षत्र——————- पुष्य
नक्षत्र पाया——————- रजत

**** पद, चरण ****

हु—-पुष्य 11:07:38

हे—-पुष्य 17:43:50

हो—- पुष्य 24:17:58

??? ग्रह गोचर ???

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=मीन 25:12 रेवती , 3 च
चन्द्र =कर्क 04°23, पुष्य, 1 हु
बुध = मीन 03 ° 07′ अश्विनी ‘ 2 चे
शुक्र=कुम्भ 10°05, शतभिषा ‘ 2 सा
मंगल=कुम्भ 01°30 ‘ धनिष्ठा’ 3 गु
गुरु=कुम्भ 29°30 ‘ पू o भा o, 3 दा
शनि=मकर 27°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी
राहू=(व)वृषभ 00°10’ कृतिका , 2 ई
केतु=(व)वृश्चिक 00°10 विशाखा , 4 तो

**** मुहूर्त प्रकरण ****

राहू काल 17:05 – 18:40 अशुभ
यम घंटा 12:21 – 13:56 अशुभ
गुली काल 15:30 – 17: 05अशुभ
अभिजित 11:55 -12:46 शुभ
दूर मुहूर्त 16:59 – 17:49 अशुभ

चोघडिया, दिन
उद्वेग 06:01 – 07:36 अशुभ
चर 07:36 – 09:11 शुभ
लाभ 09:11 – 10:46 शुभ
अमृत 10:46 – 12:21 शुभ
काल 12:21 – 13:56 अशुभ
शुभ 13:56 – 15:30 शुभ
रोग 15:30 – 17:05 अशुभ
उद्वेग 17:05 – 18:40 अशुभ

चोघडिया, रात
शुभ 18:40 – 20:05 शुभ
अमृत 20:05 – 21:30 शुभ
चर 21:30 – 22:55 शुभ
रोग 22:55 – 24:20* अशुभ
काल 24:20* – 25:45* अशुभ
लाभ 25:45* – 27:10* शुभ
उद्वेग 27:10* – 28:35* अशुभ
शुभ 28:35* – 30:00* शुभ

होरा, दिन
सूर्य 06:01 – 07:05
शुक्र 07:05 – 08:08
बुध 08:08 – 09:11
चन्द्र 09:11 – 10:14
शनि 10:14 – 11:17
बृहस्पति 11:17 – 12:21
मंगल 12:21 – 13:24
सूर्य 13:24 – 14:27
शुक्र 14:27 – 15:30
बुध 15:30 – 16:34
चन्द्र 16:34 – 17:37
शनि 17:37 – 18:40

होरा, रात
बृहस्पति 18:40 – 19:37
मंगल 19:37 – 20:33
सूर्य 20:33 – 21:30
शुक्र 21:30 – 22:27
बुध 22:27 – 23:23
चन्द्र 23:23 – 24:20
शनि 24:20* – 25:17
बृहस्पति 25:17* – 26:14
मंगल 26:14* – 27:10
सूर्य 27:10* – 28:07
शुक्र 28:07* – 29:04
बुध 29:04* – 30:00

**** उदयलग्न प्रवेशकाल **** 

मीन > 03:16 से 05:12 तक
मेष > 05:12 से 07:03 तक
वृषभ > 07:03 से 09:01 तक
मिथुन > 09:01 से 11:15 तक
कर्क > 11:15 से 13:31 तक
सिंह > 13:31 से 15:44 तक
कन्या > 15:44 से 07:55 तक
तुला > 07:55 से 08:10 तक
वृश्चिक > 08:10 से 10:27 तक
धनु > 10:27 से 00:32 तक
मकर > 00:32 से 02:18 तक
कुम्भ > 02:18 से 03:16 तक

विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा चिरौजी खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

9 + 1 + 1 = 11 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

****  ग्रह मुख आहुति ज्ञान ****

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

शुक्र ग्रह मुखहुति

 शिव वास एवं फल -:

9 + 9 + 5 = 23 ÷ 7 = 2 शेष

गौरि सन्निधौ = शुभ कारक

भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

**** विशेष जानकारी ****

*नवरात्रि नवम दिवस सिद्धिधात्री पूजन

*श्री रामनवमी महोत्सव

*नवरात्रि समाप्त

* रविपुष्य योग आहोरात्र

* सर्वार्थ सिद्धि योग

*स्वामीनारायण जयन्ती

*समर्थ गुरु रामदास जयन्ती

*जल संसाधन दिवस

**** शुभ विचार ****

यत्रोदकस्तत्र वसन्ति हंसा-
स्तथव शुष्कं परिवर्जयन्ति ।
नहंतुल्येन नरेण भाव्यं
पुनस्त्यजन्तः पुनराश्र यन्तः ।।
।। चा o नी o।।

हंस वहा रहते है जहा पानी होता है. पानी सूखने पर वे उस जगह को छोड़ देते है. आप किसी आदमी को ऐसा व्यवहार ना करने दे की वह आपके पास आता जाता रहे.

**** सुभाषितानि ****

गीता -: गुणत्रयविभागयोग अo-14

सत्त्वात्सञ्जायते ज्ञानं रजसो लोभ एव च ।,
प्रमादमोहौ तमसो भवतोऽज्ञानमेव च ॥,

सत्त्वगुण से ज्ञान उत्पन्न होता है और रजोगुण से निःसन्देह लोभ तथा तमोगुण से प्रमाद (इसी अध्याय के श्लोक 13 में देखना चाहिए) और मोह (इसी अध्याय के श्लोक 13 में देखना चाहिए।,) उत्पन्न होते हैं और अज्ञान भी होता है॥,17॥,

**** आपका दिन मंगलमय हो****
**** **** **** **** ****
आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

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