चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि हाई कोर्ट की तरफ से किसानों को बीते वर्ष किए जुर्मानों की वसूली करने पर लगाई रोक के बावजूद राज्य सरकार ने पराली को आग लगाने के खतरनाक रुझान के विरुद्ध जोरदार मुहिम चलाई हुई है। उन्होंने उम्मीद जाहिर करते हुए कहा कि उनकी तरफ से दिल्ली में वायु प्रदूषण से पैदा हुई अति गंभीर स्थिति बारे लिखे पत्र को प्रधानमंत्री विचारेंगे और सकारात्मक प्रतिक्रिया देंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस समस्या से भली भांति परिचित है और पराली जलाने की घटनाएं रोकने के लिए वचनबद्धता के साथ काम कर रही है। इस मुहिम के अंतर्गत गठित की गई टीमों ने गत एक नवंबर तक पराली को आग लगाने के 11286 घटनास्थलों का दौरा किया है और 1585 मामलों में वातावरण को प्रदूषित करने के मुआवजे के तौर पर 41.62 लाख रुपए का जुर्माना किसानों पर लगाया है, 1136 मामलों में खसरा गिरदावरी में रेड एंट्री की और कानून का उल्लंघन करने वाले 202 मामलों में एफआईआर/कानूनी कार्रवाई अमल में लाई गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आग लगाने की बाकी घटनाओं की तस्दीक करने और वातावरण प्रदूषित करने का मुआवजा वसूलने की प्रक्रिया चल रही है।
उन्होंने कहा कि पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने बिना सुपर एसएमएस के चलने वाली 31 कंबाइनों को वातावरण प्रदूषित करने के मुआवजे के तौर पर 62 लाख रुपए जुमार्ना किया है। हालांकि इस समस्या से निपटने के लिए यह कदम काफी नहीं हैं, क्योंकि पंजाब में बहुत से किसान पांच एकड़ से कम जमीन के मालिक हैं, जिस कारणपराली का प्रबंधन करना उनको आर्थिक तौर पर वाजिब नहीं बैठता। बीते वर्ष किसानों पर लगाए जुमार्ने को वसूलने की प्रक्रिया को रोकने के समय हाई कोर्ट ने कहा था कि सीमांत किसानों के बढ़ रहे कर्ज और किसान आत्महत्याओं के गंभीर मसले के मद्देनजर किसानों की वित्तीय मुश्किलों को और न बढ़ाया जाए। अदालत ने यह भी हुक्म दिया था कि कानून के अनुसार वातावरण को नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए कार्रवाई को जारी रखा जा सकता है। मु यमंत्री ने कहा कि इन हालत में केंद्र सरकार की तरफ से मुआवजा देना ही एकमात्र हल है। उन्होंने कहा कि इस मसले को राजनीति के साथ नहीं जोड़ा जा सकता, बल्कि यह हमारे लोगों के भविष्य का सवाल है जिससे राजनीति बहुत परे है। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि गेंद अब केंद्र सरकार के वर्षे में है, क्योंकि बहुत से राज्यों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और उनके अपने राज्य पर कर्ज का बोझ बहुत भारी है।