जीवन में खुश और सुखी रहने के कुछ बहुत साधारण उपाय हैं। कई लोग जाने-अनजाने इनका पालन करते हैं और खुश रहते हैं। परंतु बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो इन नियमों का मर्म नहीं समझ पाते और हमेशा दुखी रहते हैं, कभी दुनिया को और कभी खुद को कोसते हैं। अक्सर वे अपने उन करीबी रिश्तेदारों को कोसते हैं जो उन्हें नहीं समझ पाते, उनकी बातोंकी गहराई नहीं समझ पाते, उन्हें पूरी तरह समझे बिना उनसे अहसमत हो जाते हैं।
ऐसे लोगों को सारी दुनिया से, खासकर अपने करीबी लोगों से हमेशा शिकायत रहती है। वे सारी दुनिया को तो बदलना चाहते हैं पर खुद बदलने को तैयार नहीं हैं। परिणाम यह होता है कि वे हमेशा तनावग्रस्त रहते हैं, उदास तो होते ही हैं, कभी-कभी हताश भी हो जाते हैं। ऐसे में वे सिर्फ अपना और अपने परिवार का ही नुकसान करते हैं। तो ऐसी स्थिति से बचने के लिए हम क्या करें? अपनी बात मैं एक छोटी-सी कहानी से शुरू करूंगा। एक शहर में एक ऐसा व्यक्ति रहता था जो अपने जीवन से खुश नहीं था, वह हर समय किसी न किसी समस्या से परेशान रहता था। एक बार शहर से कुछ दूरी पर एक महात्मा का काफिला रुका। शहर में चारों ओर उन्हीं की चर्चा थी। बहुत से लोग अपनी समस्याएं लेकर उनके पास पहुंचने लगे। उस आदमी ने भी महात्मा के दर्शन करने का निश्चय किया।
छुट्टी वाले दिन वह सुबह-सुबह ही उनके काफिले तक पहुंचा, तो भी वहां लंबी लाइन लगी थी। बहुत इंतजार के बाद उसका नंबर आया। वह बाबा से बोला — बाबा, मैं अपने जीवन से बहुत दुखी हूं। हर समय समस्याएं मुझे घेरे रहती हैं, कभी दफ्तर का तनाव होता है, तो कभी घर पर अनबन हो जाती है और कभी अपनी सेहत को लेकर परेशान रहता हूं। कृपया मुझे कोई ऐसा उपास बताइये कि मेरे जीवन से सभी समस्याएं खत्म हो जाएं और मैं चैन से जी सकूं। बाबा मुस्कुराए और बोले — बेटा, आज बहुत देर हो गई है। मैं तुम्हारे प्रश्न का उत्तर कल दूंगा।
लेकिन सिर्फ आज रात के लिए तुम मेरा एक छोटा-सा काम करोगे? वह व्यक्ति उत्साहपूर्वक बोला — हां, हां, क्यों नहीं, बाबा? आप जो काम सौंपेंगे, मैं खुशी-खुशी करूंगा। अब बाबा ने कहा — देखो बेटा, मेरे काफिले में सौ ऊंट हैं, मैं चाहता हूं कि आज रात तुम इनका $खयाल रखो। जब सौ के सौ ऊंट बैठ जाएं तो तुम भी सो जाना। ऐसा कहकर वे अपने तंबू में चले गए। अगली सुबह महात्मा उस आदमी से मिले और पूछा — कहो बेटा, नींद अच्छी आई? वह व्यक्ति दुखी होते हुए बोला — कहाँ बाबा, मैं तो एक पल भी नहीं सो पाया।
मैंने बहुत कोशिश की पर मैं सभी ऊंटों को नहीं बैठा पाया, कोई न कोई ऊंट खड़ा हो ही जाता था। तब उन महात्मा जी ने मीठे स्वर में कहा — बेटा, कल रात तुमने अनुभव किया कि चाहे कितनी भी कोशिश कर लो सारे ऊंट एक साथ नहीं बैठ सकते। तुम एक को बैठाओगे तो कहीं और कोई दूसरा खड़ा हो जाएगा। इसी तरह तुम एक समस्या का समाधान करोगे तो किसी कारणवश दूसरी खड़ी हो जाएगी .. पुत्र, जब तक जीवन है, ये समस्याएं तो बनी ही रहती हैं, कभी कम तो कभी ज्यादा। तो हमें क्या करना चाहिए? — आदमी ने जिज्ञासावश पूछा।
अपनी गहरी-गंभीर वाणी में बाबा बोले — इन समस्याओं के बावजूद जीवन का आनंद लेना सीखो। देखो, कल रात क्या हुआ? कई ऊंट रात होते-होते खुद ही बैठ गए, दूसरे कई ऊंट तुमने अपने प्रयास से बैठा दिए, लेकिन बहुत से ऊंट तुम्हारे बहुत प्रयास के बाद भी नहीं बैठे और बाद में तुमने पाया कि उनमें से कुछ खुद ही बैठ गए। समस्याएं भी ऐसी ही होती हैं। कुछ तो अपने आप ही खत्म हो जाती हैं, कुछ को तुम अपने प्रयास से हल कर लेते हो। लेकिन कुछ समस्याएं ऐसी हैँ जो तुम्हारे बहुत कोशिश करने पर भी हल नहीं होतीं, ऐसी समस्याओं को समय पर छोड़ दो। उचित समय पर वे खुद ही खत्म हो जाती हैं। याद रखो, जीवन है तो कुछ समस्याएं रहेंगी ही रहेंगी, पर इसका यह मतलब नहीं कि तुम दिन-रात उन्हीं के बारे में सोचते रहो। समस्याओं को एक तरफ रखो और जीवन का आनंद लो, चैन की नींद सोने का यही तरीका है कि समस्याओं को लेकर चिंतित मत होओ, उनका विश्लेषण करो, उनके कारण खोजो और उन्हें हल करने का प्रयास करो, परंतु यदि तुम्हारे पास उनका हल नहीं है तो चिंता में घुलते मत रहो, जब उनका समय आएगा वे खुद ही हल हो जाएँगी। बिंदास जीने का यही तरीका है। बहुत वर्ष पहले रोटरी क्लब का एक आदर्श वाक्य हुआ करता था। वह वाक्य वस्तुत: एक प्रार्थना है और यह इतनी अर्थपूर्ण है कि सारे जीवन का फलसफा उसमें समाया हुआ है। वह आदर्श वाक्य है — हे प्रभु, मैं जिन चीजों का बदल नहीं सकता, मुझे उन्हें सहन करने की शक्ति दीजिए, जो बदल सकता हूं उसे बदलने का साहस दीजिए और इन दोनों का अंतर जानने की समझ दीजिए। आइये, अब हम जीवन में सफलता के दूसरे मंत्र की बात करें। जंगल में सबसे बड़ा जानवर हाथी है, सबसे ऊंचा जानवर जिराफ है, सबसे चतुर जानवर लोमड़ी है, सबसे तेज दौड़े वाला जानवर चीता है।
इन सब विशेषताओं में से शेर में एक भी विशेषता नहीं है, फिर भी हम उसे जंगल का राजा इसलिए कहते हैं क्योंकि शेर साहसी होता है, वह चुनौतियों और अड़चनों से नहीं घबराता, बड़े आकार के और अपने से कई गुना शक्तिशाली जानवर को भी मार गिराने की हिम्मत रखता है और हर अवसर का लाभ उठाने की कोशिश करता है। शेर का यह चमत्कार ही उसे जंगल का राजा बनाने के लिए काफी है। इससे हमें यही सीख मिलती है कि जीवन में सफल होने के लिए आपको सर्वश्रेष्ठ होने, सर्वाधिक बुद्धिमान होने, सबसे ज्य़ादा चुस्त होने या आकर्षक होने या महान होने की आवश्यकता नहीं है। आपमें सिर्फ धैर्य और साहस होना चाहिए। असफलता की दशा में धैर्य और नई चुनौतियों का मुकाबला करने का साहस, ये दो गुण ही आपको जीवन में सफल बनाने के लिए काफी हैं। किसी भी चुनौती से डरिये मत, उसका हल ढूंढ?े का अवसर हाथ से न जाने दीजिए, खुद पर विश्वास रखिए और प्रयास करते रहिए। चुनौती से डरते रहेंगे तो बैठे रह जाएंगे और चुनौती के हल की संभावना तलाश करेंगे तो संभव है कि हल मिल जाए।
पी. के. खुराना
(लेखक मोटिवेशनल एक्सपर्ट हैं। यह इनके निजी विचार हैं।)