रोहतक:
Call Of The Canals Mission: नहरों के पानी का प्रदूषण से बचाने के लिए ‘सुनो नहरों की पुकार’ मिशन से जुड़े विद्यार्थी व पदाधिकारी शहर के पार्कों व सार्वजनिक स्थलों पर जाकर जनता को नुक्कड़ नाटक के माध्यम से जागरूक कर रहे हैं कि अंध विश्वास के चलते पानी को प्रदूषित न करें, इसे आने वाली पीढिय़ों के लिए स्वच्छ व निर्मल रहने दें।
‘सुनो नहरों की पुकार’ मिशन के पदाधिकारियों ने की लोगों से अपील (Call Of The Canals Mission)
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पिछले सात महीनों से शहर की साथ लगती नहरों पर तो लोगों को पेयजल प्रदूषित न करने के लिए जागरूक किया जा रहा है। वहीं अब प्रतिदिन सायंकाल को शहर के पार्कों में जाकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। इसी कड़ी में मानसरोवर पार्क, हुडा सिटी पार्क, देवीलाल पार्क में कई स्थानों पर नाटक किए जा चुके हंै।
‘सुनो नहरों की पुकार’ मिशन के पदाधिकारी डॉ. जसमेर सिंह व दीपक छारा ने बताया कि 12 मिनट के नुक्कड़ नाटक को चार भागों में बांटा गया है।
खेतों में सिंचाई के लिए किसानों को परेशानी (Street show)
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जिसमें हरियाणा बना पात्र बताता है कि मेरी हरियाली और स्मृद्धि सिर्फ और सिर्फ नहरों की बदौलत है। वहीं नहर बनी पात्र लोगों से पुकार करती है कि मैं आप सभी के लिए सैकड़ों किलोमीटर से दो पाटों के बीच बांधकर स्वच्छ व निर्मल जल लाने का कार्य करती हूं। परंतु आप अंधविश्वास चलते पानी को दूषित करके अपने पैरों पर कुल्हाड़ी लगाते हैं। इस प्रकार खेतों में सिंचाई के लिए एक किसान को क्या-क्या परेशानी उठानी पड़ती है उसका भी वर्णन किया गया है।
नाटक के जरिए दिया संदेश (Call Of The Canals Mission)
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परंतु एक परिवार विभिन्न पेयजल जनित बीमारियों से किस प्रकार की परेशानियां झेलता है यह व्यथा भी नाटक में दर्शाई गई है। उन्होंने बताया कि नाटक के जरिए यह संदेश भी दिया गया है कि नहरों को प्रदूषित न करें और विभिन्न प्रकार के सामान को प्रवाहित न करके पेड़-पौधों में डालें व कहीं गड्डा खोदकर उसका निस्पादन करें। साथ ही डेंगू व मलेरिया से बचाव के उपाय भी बताते हैं। मिशन के पदाधिकारी साइकिलिस्ट मुकेश नैनकवाल, रक्तवीर अजय हुड्डा, शिक्षिका स्वीटी मलिक, रविंद्र मलिक, राजेश नरवाल, स्वामी गोविंद करतार, हरियाणवी कलाकार निर्मल पन्नू आदि मौजूद रहते हैं।
इस नाटक में ये सभी रहे मुख्य पात्रों के रूप में (Call Of The Canals Mission)
नुक्कड़ नाटक में छात्र जतिन मलिक सूत्रधार के रूप में बीच-बीच में आकर बताता है कि अंध विश्वास के चलते हम कितना धार्मिक अनुष्ठान के बाद का सामान नहरों में डालते हैं जिसके चलते पेयजल तो दूषित कर रहे हैं और आने वाली पीढिय़ों को भी स्वच्छ जल से वंचित कर रहे हैं। इस नाटक के मुख्य पात्रों में जतिन मलिक, रोहित राठौर, लेखा, करण, अंशु, वीरेंद्र, आदित्य, अर्पण, अजय हुड्डा रहे।
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