सामने आए चौंकाने वाले तथ्य, पाई गई कई खामियां

Delhi Breaking News (आज समाज), नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली के लोगों को सस्ती दरों पर घर के नजदीक बेहतर चिकित्सा सुविधाएं देने का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी अपने उसी दावे में फंसती नजर आ रही है। एक समय राजधानी के स्वास्थ्य मॉडल को विश्व के सामने एक उदाहरण के रूप में पेश करने वाली आप सरकार की इस फील्ड में कारगुजारी की परतें अब खुलने लगी हैं।

राजधानी दिल्ली में आप सरकार के कार्यकाल के दौरान संचालित मोहल्ला क्लीनिकों को लेकर आई कैग रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिणी दिल्ली का दवा भंडार बेसमेंट में है, जिसमें एयर कंडीशन व वेंटिलेशन की भी व्यवस्था नहीं है। दवाओं का बॉक्स जमीन पर, शौचालय परिसर व सीढ़ियों पर रखे पाए गए।

कैग रिपोर्ट में ये तथ्य आए सामने

जनवरी, 2022 से अप्रैल, 2023 के बीच उत्तर पूर्वी जिले के दवा स्टोर में एक से 16 माह तक 26 आवश्यक दवाएं उपलब्ध नहीं थी। इस तरह जिलों के स्टोर में डिस्पेंसरियों के लिए 10 से 37 प्रतिशत दवाएं नहीं थीं। वहीं, वर्ष 2016 से 2020 के बीच करीब 17 लाख स्कूली छात्रों में से सिर्फ 2.81 लाख से 3.51 लाख छात्रों की स्वास्थ्य जांच हो पाई। जिलों के दवा भंडार केंद्र में दवा रखने के लिए जगह की कमी है। मोहल्ला क्लीनिकों की निगरानी में भी लापरवाही बरती गई। इनका निरीक्षण न के बराबर हुआ। मार्च, 2018 से मार्च, 2023 के बीच 218 मोहल्ला क्लीनिकों के 11,191 निरीक्षण हो जाने चाहिए थे, जबकि महज 175 निरीक्षण किए गए।

डॉक्टरों व बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण आयुष की डिस्पेंसरियां भी बदहाल हैं। 68 प्रतिशत आयुर्वेदिक, 72 प्रतिशत यूनानी व 17 प्रतिशत होम्योपैथी डिस्पेंसरियों में सप्ताह में छह दिन ओपीडी नहीं चल पाती हैं। इससे इनमें मरीजों की संख्या 19 प्रतिशत कम हो गई है। वर्ष 2016-17 में इन डिस्पेंसरियों में करीब 34.72 लाख मरीजों ने इलाज कराया था, जो वर्ष 2022-23 में घटकर 28.13 लाख रह गया। डिस्पेंसरियों में 42 प्रतिशत आयुर्वेदिक दवाएं व 56 प्रतिशत यूनानी दवाएं नहीं हैं।

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