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मदुरै। मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने बुधवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को स्वतंत्र बनाने पर जोर दिया। जस्टिस एन किरूबकारन एवं जस्टिस बी पुगालेंधी की पीठ ने कहा, जब कभी भी कोई संवेदनशील मामला सामना आता है या कोई जघन्य अपराध होता है तो सीबीआई जांच की मांग उठती है। लोग स्थानीय पुलिस की जांच पर भरोसा नहीं करते और सीबीआई जांच की मांग करते हैं। ऐसे में इसे भी चुनाव आयोग और भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की तरह स्वायत्तता जरूर मिलनी चाहिए। पीठ ने केंद्र की मोदी सरकार के लिए कई निर्देश जारी किए हैं। अपने एक निर्देश में कोर्ट ने सीबीआई को ज्यादा अधिकार एवं क्षेत्राधिकार देने सहित जांच एजेंसी को स्वायत्त बनाने की बात कही है। कोर्ट का मानना है कि ऐसा करने से सीबीआई भी चुनाव आयोग और कैग की तरह आजादी से काम कर पाएगी। पीठ ने सीबीआई निदेशक को छह सप्ताह के भीतर कर्मचारियों की संख्या के साथ डिवीजनों और विंगों में और वृद्धि की मांग करते हुए एक विस्तृत प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया। निर्देश में कहा गया है कि प्रस्ताव प्राप्त होने पर, केंद्र तीन महीने के भीतर इस पर उचित आदेश पारित करेगा। सीबीआई को अक्सर केंद्र सरकार का ‘तोता’ कहा जाता है। मद्रास उच्च न्यायालय ने अब ‘पिंजरे में बंद इस तोते को रिहा करने’ के निर्देश दिए हैं। गौरतलब है कि वर्ष 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को ‘अपने मालिक की आवाज में बोलने वाला पिंजरे का तोता’ कहा था, जब उसने तत्कालीन यूपीए सरकार को कोयला ब्लॉक आवंटन मामले की जांच करने का काम सौंपा था।
याचिका पर सुनवाई करते हुए की टिप्पणी
पीठ ने यह टिप्पणी सीबीआई की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए की है। याचिका में कहा गया है कि वह कर्मचारियों की कमी से जूझ रही है। हाईकोर्ट ने कहा, जब लोग जांच की मांग करते हैं तो सीबीआई यह कहते हुए पीछे हट जाती है कि उसके पास संसाधनों एवं लोगों की कमी है। यह बहुत दुखद है। पीठ ने कहा, हर बार सीबीआई के पास यही रटा-रटाया जवाब होता है। न्यायाधीशों ने सीबीआई के लिए एक अलग बजटीय आवंटन की सिफारिश की और एजेंसी के निदेशक को सरकार के सचिव के बराबर शक्तियां देने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सीबीआई प्रमुख सीधे संबंधित मंत्री या प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करेंगे।