7 ऑटोमैटिक आरएनए एक्स्ट्रेक्शन मशीनों से बढ़ेगी टेस्टिंग क्षमता
चंडीगढ़
राज्य की कोविड टेस्टिंग क्षमता को मजबूत करने के मद्देनजर पंजाब सरकार पटियाला, अमृतसर, फरीदकोट के सरकारी मेडिकल कालेजों के अलावा मोहाली, लुधियाना और जालंधर में नई स्थापित की वायरल टेस्टिंग लैब्स के लिए 7 ऑटोमेटिक आरएनए एक्स्ट्रेक्शन मशीनों की खरीद करेगी।
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की अध्यक्षता में बुधवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में राज्य में कोविड के बढ़ते मामलों के मद्देनजर अगले तीन-चार हफ्तों में इन मशीनों की खरीद किए जाने को हरी झंडी दे दी। यह कदम उठाए जाने का मकसद राज्य की कोविड के खिलाफ ‘मिशन फतेह’ के अंतर्गत जंग को मजबूत करने के लिए टेस्टिंग क्षमताको बढ़ाना और इस महामारी पर नकेल डालना है।
इन मशीनों और टेस्टिंग किटों के पर आने वाला खर्च प्रांतीय आपदा प्रबंधन फंड में से किया जाएगा और पूरी खरीद प्रक्रिया की निगरानी बाबा फरीद यूनिवर्सिटी आफ हेल्थ साइंसिज, फरीदकोट के वीसी करेंगे।
पंजाब पुलिस भर्ती बोर्ड करेगा जेलों के लिए 305 वार्डरों की प्रत्यक्ष भर्ती
पंजाब मंत्रीमंडल जेल वार्डरों के 305 पदों को अधीनस्थ सेवाएं चयन बोर्ड के अधिकार क्षेत्र से निकाल कर पंजाब पुलिस भर्ती बोर्ड द्वारा प्रत्यक्ष तौर पर भरे जाने को मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री कार्यालय के एक प्रवक्ता के अनुसार यह फैसला जेलों के प्रबंधन में सुधार के लिए उपयुक्त अमला क्षमता मुहैया करवाने में सहायक होगा। यह समूची भर्ती प्रक्रिया चार महीनों के अंदर ही मुकम्मल की जाएगी। पंजाब की जेलों में मौजूदा समय में 24 हजार से ज्यादा मुजरिम/हवालाती कैदी हैं। इन कैदियों की निगरानी के लिए जरूरी स्टाफ की कमी है। 27 नवंबर, 2016 की नाभा जेल ब्रेक की घटना के बाद स्टाफ की कमी ज्यादा महसूस की जा रही थी और कैबिनेट के अनुसार ऐसी घटनाओं को रोके जाने के लिए स्टाफ के सामथ्र्य को बढ़ाने की जरूरत है।
अमृतसर और लुधियाना के लिए विश्व बैंक की सहायता वाले 285.71 मिलियन डॉलर के नहरी जल सप्लाई प्रोजेक्ट को मंज़ूरी
मंत्रिमंडल ने बुधवार को अमृतसर और लुधियाना शहरों के लिए विश्व बैंक की सहायता वाले 285.71 मिलियन अमेरिकी डॉलर के नहरी जल सप्लाई प्रोजेक्ट को मंज़ूरी दे दी। स्थानीय निकाय विभाग की ओर से पंजाब म्युनिसिपल सर्विसिज इप्रूवमेंट प्रोजेक्ट के अंतर्गत पुनर्वास नीति फ्रेमवर्क अपनाने के प्रस्ताव के अनुसार इस प्रोजेक्ट पर आईडीबीडी कुल राशि का 70 प्रतिशत खर्चेगा, जो कि 200 मिलियन डॉलर बनता है जबकि बाकी 30 प्रतिशत राशि 85.71 मिलियन डालर पंजाब सरकार खर्चेगी। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत जहां जल संबंधी बुनियादी ढांचे में निवेश होगा, वहीं जल सप्लाई और सेनिटेशन सेवा की मजबूती के लिए नए संस्थागत मॉडल की स्थापना की जाएगी तथा वित्तीय उपयोगिता व खपतकारों के हितों को भी ध्यान में रखा जाएगा। इसके अलावा कोविड -19 की महामारी के मद्देनजर पैदा होने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए पंजाब सरकार और राज्यभर की नगर निकाय इकाइयों की क्षमता को बढ़ाने के बारे में हर तरह की मदद इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत मुहैया करवाई जाएगी। खास तौर पर शहरी क्षेत्रों की मजबूती ध्यान में रखा जाएगा।
रिहायशी सेक्टर के लिए गमाडा की लैंड पूलिंग नीति को और आकर्षित बनाया
-औद्योगिक सैक्टर के लिए भी नई लैंड पूलिंग नीति
विकास प्रोजेक्टों के लिए स्वेच्छा से अपनी जायदाद देने वालों के लिए लैंड पूलिंग पॉलिसी को और आकर्षित बनाते हुए पंजाब सरकार ने ऐसे व्यक्तियों को मुआवजे के तौर पर अतिरिक्त जमीन देने का फैसला किया है। मंत्रिमंडल ने औद्योगिक सेक्टर के लिए भी ऐसी ही नई नीति को मंजूरी दी है। मंत्रिमंडल ने ग्रेटर मोहाली एरिया डवलपमेंट अथॉरिटी (गमाडा) के अधिकार क्षेत्र में रिहायशी सेक्टर संबंधी लैंड पुलिंग नीति को सुधारने और इस नीति को इंडस्ट्रियल सेक्टर में भी लागू करने की मंजूरी दी। यह फैसला गमाडा की तरफ से ऐरोट्रोपोलिस एस्टेट के विकास के लिए पहले पड़ाव में 1680 एकड़ जमीन एक्ुवायर करने के की प्रक्रिया के तहत लिया गया है। यह संशोधित नीति मोहाली में 101 और 103 सेक्टरों में औद्योगिक एस्टेट के विकास के लिए भी सहायक होगी, जहां प्रोजेक्टों को समय पर चलाने के लिए जमीन अधिग्रहण करने की प्रक्रिया सुविधाजनक बना दी गई है।
संशोधित लैंड पूलिंग नीति के अंतर्गत नई बन रही एरोट्रोपोलिस रेजिडेंशियल एस्टेट के लिए जमीन मालिकों से अधिग्रहित किए जाने वाले हर एक एकड़ के लिए नकद मुआवजे के बदले विकसित किए प्लाटों में से 1000 वर्ग गज रिहायशी और 200 वर्ग गज कॉमर्शियल प्लाट (पार्किंग बिना) दिए जाएंगे। औद्योगिक सेक्टर के विकास के लिए पहली बार लागू की जाने वाली लैंड पूलिंग नीति के अंतर्गत हर एकड़ के लिए मुआवजे के बदले जमीन मालिक को औद्योगिक प्लॉटों में से 1100 वर्ग गज औद्योगिक और 200 वर्ग गज कॉमर्शियल प्लॉट (पार्किंग बिना) अलॉट किए जाएंगे।
इसी तरह जो जमीन मालिक लैंड पूलिंग नीति के अंतर्गत प्राप्त किए प्लॉट को बेचने के बाद यदि उक्त पैसे के साथ कहीं और कृषि वाली जमीन खरीदता है, तो उसे लाभ मुहैया करवाने के लिए विभाग की तरफ से ‘सहूलियत सर्टिफिकेट’ जारी किया जाता है। नई नीति के अंतर्गत इस सर्टिफिकेट की मियाद को जमीन मालिक को अलॉट किए प्लॉट की तारीख से माना जाएगा। इससे पहले इसकी मियाद अवार्ड घोषित होने की तारीख से 2 सालों तक होती थी। इस सर्टिफिकेट से जमीन मालिक की तरफ से लैंड पूलिंग के अधीन मिले प्लॉट को बेच कर कृषि ज़मीन खरीदने के लिए स्टैंप ड्यूटी से छूट मिलने के अलावा अन्य कई लाभ मिलते हैं। यह कदम इस कारण उठाया गया है, क्योंकि जमीन मालिकों की मांग थी कि सर्टिफिकेट की मियाद को प्लॉट देने की व्यावहारिक कब्जे की पेशकश की तारी़ से लागू किया जाए, जिससे बुनियादी ढांचे की स्थापना से इसकी संभावित कीमत बढ़ जाती है।