अखिलेश बंसल, बरनाला :
जिला के सेहत विभाग में लंबे समय से फजीर्वाड़ा चलता आ रहा है। जिनकी फाइलें खुलनी शुरू हो गई हैं। फिल्हाल जाली सर्टीफिकेट के आधार पर पदोन्नति हासिल करने वाले दो फर्जी दिव्यांगों पर कुल्हाड़ा चला है। गौरतलब है कि टीम द्वारा की गई जांच के दौरान सेहत विभाग में दूसरे संदिग्ध दिव्यांग का सर्टीफिकेट भी जाली पाया गया है, जिसने जाली अंगहीणता सर्टिफिकेट के आधार पर हेल्थ वर्कर से हेल्थ सुपरवाइजर की पदोन्नति हासिल की थी। जिसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू हुई है। यह जानकारी सिविल सर्जन डाक्टर जसबीर सिंह औलख ने दी है।
यह था मामला:
गत कुछ दिन पहले सिविल सर्जन की ओर से एक दफ्तरी हुक्म जारी किया गया था कि सेहत विभाग में काम करते हर दिव्यांग अधिकारी/कर्मचारी के दिव्यांगता से संबंधित दस्तावेजों की जांच की जाएगी। जारी हुकुमानुसार सेहत विभाग की गठित जांच टीम की ओर से सभी सर्टीफिकेट की जांच पड़ताल की गई थी। जिसके दौरान दो दिव्यांग कर्मचारियों के सर्टीफिकेट संदिग्ध पाए गए थे। जिन में से एक कर्मचारी के खिलाफ कार्यवाही करते क्लर्क की आसामी पर दी गई पदोन्नती वापिस ले ली गई थी और दूसरे कर्मचारी ने 50 प्रतिशत का अपंग सर्टीफिकेट लगा कर तरक्की ले ली थी।
डा. जसबीर सिंह औलख ने बताया कि दूसरे संदिग्ध पाए गए सेहत विभाग ब्लाक धनौला के कर्मचारी ने 50 प्रतिशत का जाली अपंग सर्टीफिकेट लगा कर साल 2016 में मल्टीपर्पज हेल्थ वर्कर से मल्टीपर्पज हेल्थ सुपरवाइजर की तरक्की ले ली थी। दिव्यांगता से संबंधित सर्टीफिकेट वेरीफाई करने के लिए मेडिकल कालेज पटियाला को भेजा गया था। जो जांच के बाद मात्र 36 प्रतिशत पाया गया। जो कि अपाहिज कोटे की शर्तें पूरी नहीं करता। इस लिए सम्बन्धित कर्मचारी के विरुद्ध कार्यवाही करने के लिए पिछला सर्विस रिकार्ड खंगाला जा रहा है।
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