Budget 2024 For Agriculture Sector | वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए आम बजट पेश किया। वर्गों को ध्यान में रखकर बजट में आवंटन किया गया है। वित्त मंत्री ने बजट में कृषि और इससे संबंधित सेक्टर के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि कृषि सरकार का प्रमुख एजेंडा है और नीतियां बनाते समय प्रोडक्शन को बढ़ाने और लचीलापन पर ध्यान दिया जाएगा, जिसमें डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, तिलहन के लिए आत्मनिर्भरता, बड़े पैमाने पर सब्जी उत्पादन केन्द्रों की स्थापना और झींगा ब्रूड-स्टॉक्स के लिए न्यूक्लियस ब्रीडिंग केन्द्रों का नेटवर्क स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता शामिल हैं।
बजट में एग्रीकल्चर को मिली ये सुविधा
- कृषि एवं संबंधित क्षेत्रों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये
- किसानों के लिए 32 कृषि और बागवानी में फसलों की 109 उच्च-पैदावार और जलवायु-अनुकूल किस्में जारी की जाएंगी।
- देश भर में एक करोड़ किसानों को प्रमाणीकरण और ब्रांडिंग के माध्यम से प्राकृतिक खेती को सपोर्ट किया जाएगा।
- क्रियान्वयन में सहायता के लिए 10 हजार आवश्यकता आधारित जैव-इनपुट संसाधन केंद्र स्थापित किए जाएंगे।
दलहन और तिलहन मिशन
दलहनों और तिलहनों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए सरकार इन फसलों के उत्पादन, स्टोरेज और मार्केटिंग को मजबूत बनाएगी। आज संसद में केंद्रीय बजट 2024-25 पेश करते हुए केंद्रीय मंत्री सीतारमण ने बताया कि सरसों, मूंगफली, तिल, सोयाबीन और सूरजमुखी जैसी तिलहनों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए एक कार्यनीति बनाई जा रही है, जिसकी अंतरिम बजट में भी घोषणा की गई थी।
सब्जी उत्पादन और सप्लाई चैन
वित्त मंत्री ने बताया कि प्रमुख उपभोक्ता केंद्रों के नजदीक सब्जी उत्पादन केन्द्रों की स्थापना की जाएगी। सरकार उपज के संग्रहण, भंडारण और मार्केटिंग सहित सब्जी सप्लाई चैन के लिए किसान-उत्पादक संगठनों, सहकारी समितियों और स्टार्टअप को बढ़ावा देगी।
झींगा उत्पादन और निर्यात
केन्द्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि झींगा ब्रूड-स्टॉक्स न्यूक्लियस ब्रीडिंग केंद्रों का नेटवर्क स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि झींगा पालन, उनके प्रसंस्करण और निर्यात के लिए नाबार्ड के माध्यम से फंडिंग की जाएगी।
भूमि रजिस्ट्रेशन दफ्तर
वित्त मंत्री ने कहा कि भूमि सुधार के लिए शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में भूमि रिकॉर्ड का जीआईएस मैपिंग के साथ डिजिटलीकरण किया जाएगा। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि रजिस्ट्रेशन कार्यालय बनाए जाएंगे और सभी जमीनों को एक यूनिक भूखंड पहचान संख्या दी जाएगी।
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