ईशा
अगर गोभी खा-खा उकता चुके हैं, तो आपको ब्रोकोली की सब्जी खानी चाहिए। यह कई पोषक तत्वों से भरपूर है। यह कई बीमारियों से बचाने के साथ ब्रेस्ट कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर के भी खतरे को कम करती है। अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत और वजन कम करने की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए ब्रोकोली अच्छा विकल्प है। ऐसा माना जाता है कि ब्रोकोली भूमध्यसागरीय उपज है। ब्रोकोली लैटिन शब्द ‘ब्रैक्यिम’ से बना है जिसका मतलब है शाखा। इसमें शक्तिशाली फाइटोकेमिकल (प्लांट-केमिकल) पाए जाते हैं, जो कैंसर जैसी घातक बीमारी से लड़ने में मदद करते हैं।
ब्रोकोली में विटामिन्स और मिनरल्स की भरपूर मात्रा होती है। रोग-विज्ञान अध्ययन में यह भी बात सामने आई है कि ‘ब्रासिका परिवार’ की सब्जियां कैंसर से बचाने में मदद करती हैं, लेकिन तब जब उनमें ग्लूकोसिनोलेट्स की भरपूर मात्रा हो। सलफोरफेन और ग्लूकोसिनोलेट्स में कैंसर से लड़ने के प्राकृतिक तत्व मौजूद होते हैं। ब्रोकोली को काटने और चबाने के बाद यह ग्लूकोसिनोलेट्स हमारे शरीर में जाता है। और ये फाइटोन्यूट्रियंट्स में बदल जाते हैं जिसे ‘आइसोथायोसाइनेट’ कहा जाता है। यह शरीर में ट्यूमर बनने से रोकने में मदद करता है।
एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि ‘सल्फोरफेन’ ब्रेस्ट कैंसर की कोशिकाओं को बनने से रोकने में अहम् भूमिका निभाता है यहां तक कि ब्रेस्ट कैंसर के आखिरी चरण में भी। अध्ययन में यह भी बात सामने आई कि ‘एच फाइलोरी’ बैक्टीरिया जिस कारण पौष्टिक अल्सर और संभवतः गैस्ट्रिक अल्सर होता है, उसमें ब्रोकोली सुरक्षात्मक भूमिका निभाता है। इसमें मौजूद ग्लूकोसिनोलेट्स हार्ट संबंधित बीमारी से भी लड़ने में मदद करती है।
ब्रोकोली के दूसरे फायदों की बात करें तो इसमें एंटीआक्सीडेंट जैसे विटामिन ‘सी’ और बीटा कैरोटिन की भरपूर मात्रा पाई जाती है इसमें मौजूद लुटीन नामक कैरोटिनॉयड हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को दुरूस्त कर जटिल बीमारियों से लड़ने और बुढ़ापे को रोकने में मदद करता है। पोषक तत्वों से भरी इस सब्जी में आयरन और फॉलिक एसिड भी होता है। यह एनिमिया को दूर रखने में मदद करती है। इसके अलावा इसमें मौजूद विटामिन-बी-कॉम्प्लेक्स जैसे विटामिन बी-टू (राइवोक्लैविन) त्वचा को स्वस्थ रखता है। विटामिन-बी-थ्री (लियासिन) और विटामिन बी-6 (पाइरीडॉक्सिन) हृदय को भी स्वस्थ रखते हैं। इसमें मौजूद पोटाशियम की उच्च मात्रा ब्लड प्रेशर की नियंत्रित करती है। विटामिन ‘के’ की मौजूदगी खून के थक्के बनने से रोकने में सहायक होती है।
इस सब्जी में मौजूद फाइटोकेमिकल्स तभी असर करते हैं, जब इसे कच्चा या हल्का उबाल कर खाया जाए। फाइटोकेमिकल कच्ची ब्रोकोली में तीन गुना तक अधिक होता है, वनिस्पत पकी हुई ब्रोकोली के मुकाबले। ब्रोकोली को उबालने के बाद भी इसमें मौजूद विटामिन सी की मात्रा लगभग आधी हो जाती है। ब्रोकोली को अक्सर लोग उबाल कर, माइक्रोवेव में और फ्राई कर बनाते हैं। पर हाल ही में किए गए अध्ययन में यह साबित हुआ है कि स्टीमिंग को छोड़कर जितनी तरह से भी इसे पकाया जाता है, इसका पौष्टिक गुण खोता जाता है, यहां तक कि इसमें मौजूद क्रोलोरोफिल विटामिन ‘सी’ और ग्लूकोसिनोलेट्स भी खत्म हो जाता है।