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लंदन। अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने के बाद दुनिया का भरोसा जीतने के लिए विद्रोही संगठन की बातों में काफी नरमी दिख रही है। चीन के अलावा और भी कुछ देश तालिबान को बदला हुआ बताकर मान्यता देने पर भी विचार करने लगे हैं। इस बीच ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इसको लेकर सावधान किया है। इस्लामिक कट्टरपंथियों को मान्यता देने के मामले में उन्होंने संसद में कहा कि तालिबान को उसके शब्दों से नहीं बल्कि काम से परखा जाए। बोरिस जॉनसन ने कहा, उनका देश तालिबान के शासन को उसके शब्दों की बजाय काम के आधार पर परखेगा। वह देखेंगे कि आतंकवाद, अपराध और ड्रग्स के प्रति इसका रुख क्या होता है। मानवाधिकारों और लड़कियों की शिक्षा के प्रति उसके रवैये पर भी नजर होगी। गौरतलब है कि भारत, अमेरिका, कतर, उज्बेकिस्तान, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, जर्मनी जैसे कई देशों ने ऐलान किया है कि वे अफगानिस्तान में तालिबान शासन को मान्यता नहीं देंगे। हालांकि, दूसरों को शांति का पाठ पढ़ाने वाले चीन को बंदूक की भाषा बोलने वाले तालिबानियों से ज्यादा समस्या नहीं है। उसने पहले ही साफ कर दिया था कि वह तालिबान को मान्यता देने के मूड में है। चीन के इस रवैये के कई कारण हैं।
भारत तत्काल नहीं उठाएगा कोई कदम
नई दिल्ली। तालिबान में पैदा हुई स्थिति के बाद भारत अभी तत्काल कोई बड़ा कदम उठाने के बजाय इंतजार करेगा। अफगानिस्तान में बनने वाली नई सरकार के स्वरूप और तालिबान के रुख को भारत सतर्कतापूर्वक भांपकर वार्ता या कूटनीतिक रिश्तों पर अपनी रणनीति तय करेगा। इस दौरान अमेरिका सहित यूएन के अन्य देशों से भारत का संपर्क बना रहेगा और कूटनीतिक सामंजस्य बनाने का प्रयास होगा। सूत्रों ने कहा कि अफगानिस्तान की स्थिति बहुत तेजी से बदली है। अभी वहां बहुत चीजें तय होनी है। इसमें भारत के लिए सबसे ज्यादा अहम ये है कि अफगान के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व नए शासन में नजर आता है या नहीं। साथ ही तालिबान अंतरराष्ट्रीय समुदाय से किये वायदों पर कितना खरा उतरता है ये भी देखना अहम होगा। भारत ने स्पष्ट किया है कि हिंसा और आतंकवाद के लिए अफगानिस्तान की जमीन का उपयोग नही होना चाहिए। अपने सुरक्षा हितों को लेकर भारत काफी संजीदा है।
तालिबान ने महिलाओं पर हथियारों से किया वार
काबुल। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे, तालिबान ने वादा किया है कि इस बार उनके शासन में महिलाओं के अधिकारों का सम्मान किया जाएगा, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। काबुल से सामने आई तस्वीरों में साफ दिख रहा है कि तालिबानियों ने देश छोड़ने के इरादे से हवाईअड्डे आने वाली महिलाओं और बच्चों पर नुकीले-धारदार हथियारों से वार किया है। तालिबानी लड़ाकों ने एयरपोर्ट से भीड़ को वापस भेजने के लिए फायरिंग भी की थी। लॉस एंजिलिस टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार तालिबानियों के हमले में कई लोग घायल हुए हैं।