नीरज कौशिक, महेंद्रगढ़:
ब्रह्माण सभा महेंद्रगढ़ की ओर से रविवार को ओंम साईं राम स्कूल के तरणताल में श्रावणी पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस पर्व पर नगर के सैकड़ों विप्र जनों ने यज्ञोपवीत धारण किया। पर्व के दिन हवन यज्ञ के साथ प्रसाद भी वितरित किया गया। इस कार्यक्रम में आचार्य मामचंद मिश्रा कुलताजपुर व उनके सहयोगी शरद जोशी द्वारा वैदिक परम्पराओं के माध्यम से मंत्रोचारण के साथ यज्ञोपवीत श्रावणी पूजन व हवन यज्ञ करवाया। ब्राह्मण सभा द्वारा मनाए गए श्रावणी पर्व के महत्व के बारे में बताते हुए आचार्य ने कहा कि श्रावण सुदी पूर्णमासी को श्रावणी का त्योहार होता है। यह ज्ञान का पर्व है। सद्ज्ञान, बुद्धि, विवेक और धर्म की बुद्धि के लिए इसे बनाया गया है। इस लिए इसे ब्राह्म पर्व भी कहते हैं। वेद का प्रारंभ इस त्योहार से किया जाता है। इस दिन से लेकर भाद्रपद बदी सप्तमी तक एक सप्ताह वेद प्रचार की प्रथा चिरकाल से प्रचलित है। प्राचीन काल में इस त्योहार के अवसर पर गुरूकुलों में नए छात्र प्रवेश होते थे। जिनका यज्ञोपवीत नहीं हुआ, उन्हें यज्ञोपवीत दिये जाते थे। गुरू शिष्य के परम पवित्र एवं अत्यंत आवश्यक संबंध की स्थापना होती थी। वेद मंत्रों से मंत्रीत किया हुआ रक्षा सूत्र आचार्य लोग अपने शिष्यों के हाथ में बांधते थे, यह सूत्र उनकी रक्षा करता था और उन्हें धर्म प्रतिज्ञा के बंधन में बांधता था। उस दिन नए-नए लता, पुष्प वृक्ष आदि लगाकर संसार की शोभा और समृद्धि बढ़ाने के लिए प्रयत्न किया जाता था।
प्राचीन काल में श्रावणी पर्व का यह महत्व था उस पर आज तो पूजा चिन्ह मात्र रह गई है। अब हमें अपने पूजनीय पूर्वजों द्वारा बड़े गंभीर सोच विचार के साथ बनाये हुए इस त्योहार का महत्व समझना और उनके द्वारा चलाई गई परम्परा से लाभ उठाना होगा। तभी हम अपने गौरव को पुन: प्राप्त कर सकेंगे और अज्ञान निशा को नष्ट कर सकेंगे। ब्राह्मण सभा की ओर से इस पर्व को मनाए जाने के सहयोग के लिए ओंम साईं राम स्कूल के संचालक रमेश सैनी का आभार प्रकट किया तथा सभा के सदस्यों द्वारा उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। सर्व प्रथम विप्र जनों द्वारा तरणताल में विधि विधान के साथ यज्ञोपवीत धारण किया गया साथ ही वेदों की परम्परा के इस महा पर्व पर अखंड भारत के निर्माण का संकल्प भी लिया गया।
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