भिवानी : हीरानंद आर्य के 84वें जन्मदिवस पर पुस्तक का हुआ विमोचन

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Hiranand Arya
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पंकज सोनी, भिवानी :
एक राजनैतिक व्यक्ति से अधिक सामाजिक व्यक्ति के रूप में पहचान रखने वाले पूर्व शिक्षा मंत्री हीरानंद आर्य के 84वें जन्मदिवस पर भिवानी की जाट धर्मशाला में आयोजित एक कार्यक्रम में उनके नाम से एक पुस्तक का विमोचन कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें आर्य प्रतिनिधि सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी आर्यवेश ने ‘एक सहज व्यक्तित्वझ् नामक एक पुस्तक का विमोचन किया गया। 168 पृष्ठों की इस पुस्तक में पूर्व मंत्री हीरानंद आर्य के संघर्ष व जीवन की गाथा को लेखक मनीराम खरबास द्वारा लिखा गया। इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम में विभिन्न समाजसेवी व प्रबुद्ध व्यक्तियों ने उनके जीवन आदर्शो पर अपने व्यक्तव्य दिए तथा उनके जीवन से प्रेरणा लेने की बात कही। इस कार्यक्रम में मुख्यअतिथि के रूप में पहुंचे स्वामी आर्यवेश, पुस्तक के लेखक मनीराम खरबास ने बताया कि चौ. हीरानंद आर्य एक गृहस्थ सन्यासी की तरह अपना जीवन बिताया। वे मजदूर, किसान व आम आदमी के नेता था। वे राजीनतिक से अधिक एक सामाजिक व्यक्ति थे, जिनके जीवन से युवाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए। जो भी कोई पीड़ित व्यक्ति उनके पास मदद के लिए पहुंचता तो वे उसके लिए अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर लड़ाई लड़ते, धरने-प्रदर्शन करते तथा पीड़ित को न्याय दिलाते। उन्होंने हमेशा सादे जीवन को प्राथमिकता दी। उन्होंने अपने बेटे-बेटियों की शादी बिना दान-दहेज के की। उन्होंने वे ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने मृत्यु भोज, दहेज प्रथा व शराब बंदी के खिलाफ सामाजकि जनजागरण का कार्य किया। राजनीतिक रूप से वे चौ. बंसीलाल के धुर विरोधी थे। इसके बावजूद भी जब चौ. बंसीलाल ने 1996 में शराबबंदी की, तब उन्होंने हर मंच से चौ. बंसीलाल के शराबबंदी के निर्णय को सराहा, लेकिन जब राजनैतिक कारणों के चलते 1999 में शराबबंदी वापिस ली गई तो उन्होंने दुख प्रकट किया तथा दो दिन तक खाना नहीं खाया तथा कहा कि शराबबंदी जैसे कड़े निर्णय इस कानून को वापिस लेने के बाद शायद नहीं लिए जा सकेंगे। वे 1967, 1977, 1982 व 1986 में चार बार लोहारू विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने। उनका मुख्य कार्य क्षेत्र लोहारू रहा। वे आपातकाल के दौरान 1975 में जेल में गए। 1981 में किसानों के बिजली आंदोलन के दौरान तथा किसानों द्वारा शुरू किए गए बिजली की स्लैब प्रणाली कानून को लेकर भी जेल में रहे। इस मौके पर कामरेड ओमप्रकाश ने बताया कि पं. नेकीराम व लाला लाजपत राय के बाद वे भिवानी के तीसरे ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने किसान, मजदूर व आदमी की आवाज को बुलंद करने का कार्य किया। इस मौके पर चौ. हीरानंद आर्य के पुत्र संदीप पायलेट ने पुस्तक के लेखक सहित विभिन्न प्रबुद्ध व्यक्तियों का आभार प्रकट किया तथा चौ. हीरानंद आर्य के जीवन आदर्शो को आगे बढ़ाने की बात कही। इस मौके पर आर्य प्रतिनिधि सभा के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी आर्यवेश, एडवोकेट एनके जैन, विंग कमांडर संदीप आर्य, पुस्तक के लेखक मनीराम खरबास, कामरेड ओमप्रकाश, कमल सिंह प्रधान, डॉ. केडी शर्मा, प्रो. मनोज सिवाच सहित गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।