आज समाज, नई दिल्ली: Bollywood Movies Without Songs: बॉलीवुड में गानों के बिना फिल्म अधूरी मानी जाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ फिल्मों ने बिना एक भी गाने के दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई? चलिए आईये बात करते हैं उन बॉलीवुड की 5 शानदार फिल्मों के बारे में, जिनमें एक भी गाना नहीं था, फिर भी जबरदस्त ब्लॉकबस्टर रही।
अब तक छप्पन (2004)
नाना पाटेकर स्टारर यह फिल्म एक एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की सच्ची घटनाओं पर आधारित थी। फिल्म में रॉ एक्शन और इंटेंस ड्रामा था, जो बिना गानों के भी दर्शकों को रोमांचित करने में सफल रहा।
अ वेडनेसडे (2008)
अनुपम खेर और नसीरुद्दीन शाह स्टारर इस फिल्म में न कोई गाना था, न किसी गाने की जरूरत महसूस हुई। इसकी थ्रिलर स्टोरीलाइन और टाइट स्क्रीनप्ले ने दर्शकों को पूरी तरह से बांधकर रखा।
जाने भी दो यारो (1983)
नसीरुद्दीन शाह और रवि बासवानी की यह ब्लैक कॉमेडी फिल्म आज भी कल्ट क्लासिक मानी जाती है। बिना गानों के भी इस फिल्म की डार्क ह्यूमर और सटायर ने इसे बॉलीवुड की सबसे बेहतरीन फिल्मों में शामिल कर दिया।
आई एम (2010)
ओनिर के निर्देशन में बनी इस फिल्म में चार अलग-अलग कहानियां दिखाई गईं, जो समाज के गंभीर मुद्दों पर आधारित थीं। इसमें कोई गाना नहीं था, लेकिन इसकी इमोशनल और हार्ड-हिटिंग स्टोरीलाइन ने इसे खास बना दिया।
कानून (1960)
अशोक कुमार की यह फिल्म बिना गानों के बनी पहली भारतीय फिल्मों में से एक थी। बी.आर. चोपड़ा द्वारा निर्देशित यह फिल्म लीगल ड्रामा पर आधारित थी और दर्शकों को गानों की कमी बिल्कुल भी महसूस नहीं हुई।