उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन वह शोएब अख्तर का रिकॉर्ड तोड़ देंगे। हम बात किसी क्रिकेटर की नहीं बल्कि एक यू ट्यूबर की कर रहे हैं जिन्होंने महज़ 40 मिनट में एक लाख और एक दिन में दस लाख सबसक्राइबर बनाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम किया जबकि इस काम को करने के लिए शोएब अख्तर को 28 दिन लग गए थे। सेलिब्रिटीज़ की श्रेणी में आ चुके गौरव तनेजा की हम बात कर रहे हैं जो जाने माने बॉडी बिल्डर हैं। प्रस्तुत है उनसे एक बातचीत और उनकी देश के बॉडीबिल्डरों और खिलाड़ियों को टिप्स –
सवाल – आईआईटी से बी टैक, फिर पायलेट, फिर व्लागर और साथ में बॉडीबिल्डर – कैसा महसूस हुआ जब आपने शोएब अख्तर के रिकॉर्ड तो तोड़ा ?
जवाब– टॉप ऑफ द वर्ल्ड…उस समय मैं असमंजस में था। यकीन नहीं हो रहा था। मुझे कोई भी काम शुरू करने से पहले अंदर से फीलिंग आ जाती है कि इसमें मुझे क़ामयाबी मिलेगी। मुझे अपने अंदर से ही आत्मबल आता है। इसके लिए मैं कोई मोटिवेशन वीडियो नहीं देखता। लाइफ में कुछ ठान लेना और उसे पूरा करके ही दम लेना मेरी इस क़ामयाबी के पीछे का सच है।
सवाल – आपके खेल पर आते हैं। आप इंडियन बॉडीबिल्डिंग फेडरेशन के नैशनल प्रो एथलीट हैं। कुछ साल पहले दिल्ली बॉडीबिल्डिंग का आपने खिताब भी जीता लेकिन अब व्यस्तता के चलते कैसे वक्त निकाल पाते हैं ?
जवाब – अब मैं फिटनेस के लिए ही बॉडीबिल्डिंग करता हूं। युवाओं को इस खेल के प्रति प्रेरित करता हूं लेकिन मंच पर आकर प्रतियोगिताओं में भाग लेना बंद कर दिया है। वैसे भी किसी प्रतियोगिता से पहले चार से पांच हफ्ते का एक कड़ी दिनचर्या होती है। अब दरअसल ज्यादा लोग मेरे साथ जुड़ गए हैं जिससे ज़िम्मेदारी भी बढ़ गई है।
सवाल – इन दिनों देश भर के जिम बंद हैं। ऐसी स्थिति में वेटलिफ्टरों, पॉवरलिफ्टरों, बॉडीबिल्डरों और एक आम आदमी के लिए फिट रहना कितना चुनौतीपूर्ण हो गया है ?
जवाब – मार्च में लॉकडाउन के दस दिन बाद मिस्टर इंडिया की चैम्पियनशिप थी जिसमें देश भर से दूरदराज के खिलाड़ियों ने भी हिस्सा लिया था। उनमें कई ऐसे खिलाड़ी थे जिन्होंने उस चैम्पियनशिप की तैयारी के लिए तीन से साढ़े तीन लाख रुपये अपने शरीर पर खर्च किए थे जिसमें जिम की फीस, ट्रेनिंग और खुराक का खर्च शामिल है। इनमें से कितनों ने लोन लिया था। खिलाड़ियों के लिए चैम्पियनशिप की प्राइज़ मनी आकर्षण का मुख्य केंद्र होती है। उनसे लेकर एक आम आदमी का इस लॉकडाउन में खासा नुकसान हुआ। इससे जुड़े खेल तो बुरी तरह से प्रभावित हुए।
सवाल – आपने अपने एक व्लाग में बताया था कि आपने आईआईटी खड़गपुर में अपनी पढ़ाई के दौरान हॉस्टल रूम में हीटर रखा था, जिसमें आप अंडे खाया करते थे। क्या हॉस्टल के बुफेक की डाइट काफी नहीं है।
जवाब –सवाल एक आम आदमी की फिट बॉडी में और एक बॉडीबिल्डर की बॉडी में ज़मीन-आसमान का अंतर होता है। आप मारूति की तुलना में फरारी में हाई क्वालिटी तेल डालते हैं। यही स्थिति शरीर की है।
सवाल – आम आदमी की डाइट को लेकर क्या टिप्स देंगे ?
जवाब- घर का खाना खाइए। सब्जियों को बहुत ज्यादा मत पकाइए। उससे न्यूट्रैंट खत्म हो जाते हैं। जो शाकाहारी हैं, वे पनीर, फूड सप्लिमेंट्स और प्रोटीन स्कूप ले सकते हैं लेकिन व्यायाम बहुत ज़रूरी है, तभी आप इन्हें पचा सकते हैं।
सवाल– देश में बॉडीबिल्डिंग की कई-कई फेडरेशन हैं। सभी खुद को अधिकृत कहती हैं। आखिर एक युवा खिलाड़ी किस पर भरोसा करे।
जवाब- इसी समस्या का एक युवा को सबसे ज़्यादा सामना करना पड़ता है। यही वजह है कि आज कई मिस्टर इंडिया और कई मिस्टर दिल्ली बन रहे हैं। उनमें कौन असली है और कौन नकली, इसे लेकर हमेशा भ्रम की स्थिति बनी रहती है। अधिकृत संस्थाएं ही तीन लाख रुपये की ईनामी राशि रखती है, जबकि कई प्रतियोगिताओं में 30 हज़ार रुपये की ईनामी राशि होती है। यहां दोष खिलाड़ियों का भी है। कई खिलाड़ी सोचते हैं कि कम प्राइज़ मनी की प्रतियोगिता में कम प्रतियोगी होंगे जिससे उनके नाम के आगे मिस्टर इंडिया का टैग लगना आसान हो जाएगा।
सवाल – फूड सप्लिमेंट्स को लेकर भी बाज़ार में अंधेरगर्दी है ?
जवाब अगर आपकी ज़िंदगी भर की कमाई से खरीदी फरारी खराब हो गई तो भी वह दूसरी आ सकती है लेकिन शरीर खराब हो जाए तो उसे नहीं बदला जा सकता इसलिए अच्छे ब्रांड के प्रोडक्ट्स सही जगह से लेने चाहिए।
सवाल – बॉडीबिल्डिंग के खेल में अक्सर डोपिंग के आरोप लगते हैं ?
जवाब – कुछ लोग अगर ग़लत करते हैं तो सभी को इसी दायरे में नहीं समझना चाहिए। हर व्यक्ति डांसर या सिंगर नहीं बन सकता। इसी तरह हर कोई बॉडीबिल्डर नहीं बन सकता। आप क्रिकेट में अच्छे न हों तो हो सकता है कि आप साइक्लिंग में अच्छे हों। जिसका शरीर बॉडीबिल्डंग के लिए बना है, उसे मेहनत करके दो महीने में परिणाम मिल सकते हैं लेकिन एक आम आदमी ऐसे व्यक्ति पर भी डोपिंग के आरोप लगा देता है, जो सही नहीं है।