Supreme Court Orders Jail Superintendent, (आज समाज), नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के जेल अधीक्षकों को जल्द से जल्द नए कानून भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 479 के प्रावधान को लागू करने के आदेश दिए हैं। केंद्र सरकार द्वारा कानून के पूर्व प्रभाव से लागू करने के बारे में स्थिति स्पष्ट किए जाने के बाद न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने देश की जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों के संबंध में एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को ये आदेश दिए।
जानिए केंद्र सरकार ने क्या कहा
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में साफ किया कि बीएनएसएस की धारा 479 का लाभ सभी विचाराधीन कैदियों को मिलेगा, चाहें उनके मामले एक जुलाई से पहले ही क्यों न दर्ज हुए हों। यानी एक तिहाई सजा भुगतने पर जमानत पाने का लाभ नए पुराने सभी विचाराधीन कैदियों को समान रूप से मिलेगा। सीआरपीसी की जगह एक जुलाई से बीएनएसएस की धारा 479 लागू हुई है। इसमें विचाराधीन कैदियों को अधिकतम जेल में रखने के बारे में प्रावधान है।
जानें 479 में क्या है प्रावधान
धारा 479 में प्रावधान है कि पहली बार के अपराधी विचाराधीन कैदी यदि उस कानून के तहत अपराध में दी गई अधिकतम सजा की एक तिहाई जेल काट लेता है तो कोर्ट उसे बांड पर रिहा कर देगा। इसके अलावा उम्रकैद और मृत्युदंड की सजा के अलावा किसी अपराध में आरोपी विचाराधीन कैदी अगर कुल सजा की आधी सजा काट लेता है तो कोर्ट उसे जमानत पर रिहा कर देगा।
कोर्ट ने पिछले बार केंद्र को स्थिति स्पष्ट करने को कहा था
पिछली सुनवाई पर शीर्ष कोर्ट ने केंद्र सरकार से एक तिहाई सजा काटने पर जमानत मिलने के प्रविधान को पूर्व प्रभाव से लागू करने के बारे में स्थिति स्पष्ट करने को कहा था। शुक्रवार को केंद्र की ओर से एडीशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी ने स्थिति स्पष्ट करते हुए प्रविधानों को शीर्ष अदालत की पीठ के समक्ष पूर्व प्रभाव से लागू होने की बात कही।
जानिए एएसजी ने क्या कहा
ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि एक तिहाई सजा भुगतने पर जमानत मिलने के बीएनएसएस की धारा 479 (1) के प्रविधान देश भर में सभी विचाराधीन कैदियों पर समान रूप से लागू होंगे, चाहें उनका अपराध एक जुलाई 2024 के पहले ही क्यों न रजिस्टर हुआ हो। इसके बाद कोर्ट ने देश भर के जेल अधीक्षकों को इसे लागू करने का आदेश दिया।
सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया
कोर्ट ने कहा कि इसके मुताबिक विचाराधीन कैदियों की अर्जियों को जल्दी से जल्दी निपटाया जाए और दो महीने में प्रक्रिया पूरी करके कोर्ट में रिपोर्ट दी जाए। साथ ही कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे भी हलफनामा दाखिल कर बताएंगे कि कितने विचाराधीन कैदी ऐसे हैं, जिन पर यह प्रावधान लागू होते हैं और कितनी अर्जियां इस संबंध में आई हैं तथा कितनों की रिहाई हुई है।
जेलों में अत्यधिक भीड़ के मामले में सुनवाई कर रहा कोर्ट
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट जेलों में अत्यधिक भीड़ के मामले में सुनवाई कर रहा है। पिछली सुनवाई पर कोर्ट के मददगार न्यायमित्र वरिष्ठ वकील गौरव अग्रवाल ने बीएनएसएस की धारा 479 का हवाला देते हुए कहा था कि पहली बार के अपराधी विचाराधीन कैदियों के लिए इसमें एक छूट है कि यदि उन्होंने आरोपित अपराध में निर्धारित अधिकतम सजा की एक तिहाई जेल काट ली है तो उन्हें रिहा कर दिया जाएगा। हालांकि, तभी सवाल उठा कि क्या यह कानून पूर्व प्रभाव से (रेट्रेस्पेक्टिव) लागू होगा। इस पर पीठ ने केंद्र को स्थिति स्पष्ट करने को कहा था