दिल्ली पैराओलंपिक तैराकी स्पर्धा में दो स्वर्ण और एक रजत पदक हासिल कर मुन्ना ने ये साबित कर दिया है जब दिल में कुछ कर गुजरने की चाह हो तो कोई भी मुश्किल हो हम उसको पार कर अपने लक्ष्य को पा लेते हैं। दृष्टिहीन मुन्ना शाह की स्वर्णिम सफलता के पीछे कड़ी मेहनत और लगन शामिल है। वर्तमान में बरौला में रह रहे मुन्ना शाह ने दिल्ली पैरालंपिक तैराकी के 50 और 100 मीटर फ्री स्टाइल में स्वर्ण पदक अपने नाम किया। वहीं 50 मीटर बैक स्ट्रोक में रजत जीता। वह राष्ट्रीय पैरालंपिक कबड्डी में दिल्ली का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। 2017 में दिल्ली को इस प्रतियोगिता में तीसरा स्थान मिला था। वहीं राष्ट्रीय तैराकी पैरालंपिक 2017 में उन्होंने रजत पदक अपने नाम किया है। मुन्ना छपरा के तिवारी टोला गांव के निवासी हैं। एक गंभीर बीमारी के कारण 14 साल की उम्र में ही मुन्ना की आंखों की रोशनी चली गई थी। इससे पहले वह नियमित रूप से तालाब में तैराकी किया करते थे। आंखों की रोशनी जाने के बाद भी वह तैराकी करते रहे, जिसका लाभ उन्हें प्रतियोगिताओं में मिला। इससे पहले भी मुन्ना तैराकी की कई प्रतियोगिताओं में भाग ले चुके हैं।