- नायब सैनी को प्रदेशाध्यक्ष बनाना बड़ा स्ट्रोक साबित हुआ भाजपा के लिए,कांग्रेस के लिए सत्ता की डगर अब आसान नहीं है हरियाणा में भाजपा को मिली जीत संगठन कार्यकर्ताओं के बुलंद हौंसले और जीत के लिए सांझी मेहनत के बल पर
Aaj Samaj (आज समाज),BJP Won In Three States , प्रवीण वालिया, करनाल, 4 दिसंबर :
आखिरकार संगठन कार्यकर्ताओं का बुलंद हौंसला, और जीत के लिए सांझी मेहनत के साथ सोशल इंजीनियरिंग के बल पर भाजपा ने हारी हुई बाजी को भी जीत लिया। भाजपा की जीत के लिए प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री भी एक कार्यकर्ता के रूप में समर्पित दिखाई दिए। उधर कांग्रेस ने तीन राज्यों में अपनी जीती हुई बाजी अहंकार, फील गुड और अपने पंरपरागत वोटों से कटाव के चलते गंवा दी।
भाजपा ने जहां पिछड़े और दलितों को साथ लाने के लिए हरियाणा में भाजपा ने पिछड़े बर्ग के प्रतिनिध के तौर पर नायब सैनी को प्रदेशाध्यक्ष बनाया। उसके बाद तीनों राज्यों में सैनी समाज के साथ पिछड़े वर्ग के वोटर भजपा की तरफ खिसक गए। तीन राज्यों में जीत के बाद भारतीय जनता पार्टी का मोरल हरियाणा में बूस्ट अप हुआ है। इसके विपरीत हरियाणा में कांग्रेस के लिए परेशानी बड़ी है। बताया जाता है कि पूर्व मंत्री कुमारी सैलजा छत्तीसगढ़ में रणदीप सुर्जेवाला मध्यप्रदेश में तथा राजस्थान में कांग्रेस के बड़े नेता फ्लाप हुए हैं।
यदि कांग्रेस ने सबक नहीं सीखा तो लोकसभा के चुनावों में कांग्रेस जीत के करीब भी दिखाई नहीं देगी। कांग्रेस के परंपरागत वोटर को मध्यप्रदेश राजस्थान छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस के साथ लाने में नेता विफल रहे हैं। हरियाणा में भी कांग्रेस अभी हाल की पोजीशन के अनुसार जीत के काफी दूर है। तीन राज्यों में प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व चाटुकारों के बीच उलझा रहा। जीमीनी हकीकत की जानकारी से आलाकमान को दूर रखा। भाजपा ने संगठन के दम पर जीत अर्जित की। संकट के समय आरएसएस ने भी पार्टी की मदद की। प्रधानमंत्री मोदी का जादू अभी भी बरकरार है।
इसके अलावा जिस तरह से भाजपा ने यह जताने का प्रयास किया कि हाईकमान के आगे किसी का भी अस्तित्व नही है। कांग्रेस की तरफ से वैश्य, ब्राह्मण, दलित और पिछड़े वोटर दूर होते जा रहे हैं। कांग्रेस सभी जगह आंतरिक कलह में उलझी है। कांग्रेस में जीत नहीं हारने के लिए टिक़ट दीं। तीन राज्यों के नतीजों ने यह साफ कर दिया कि आम लोग कांग्रेस को सत्ता देना चाहते हैं लेकिन कांग्रेस अपनी कमजोरियों के कारण आम मतदाता की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर पाती है। तीन राज्यों में जीत के बाद हरियाणा में भाजपा को अभी फील गुड की जरूरत नहीं है। भजपा में भी सुधार की जरूरत है।
प्रधानमंत्री और अमित शाह को हरियाणा में भी काम करने की जरूरत है। कांग्रेस के बड़े नेता पुराने पंरपरागत कार्यकर्ताओं की उपेक्षा कर रहे हैं । पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुउ्डा कुमारी सैलजा, रणदीप सुर्जेवाला के बीच टकराव को दूर करने की जरूरत है। कांग्रेस को इन तीनों नेताओं का विकल्प तलाशना होगा। कांग्रेस नेताओं को पिछड़े दलित बर्ग में से जन आधार बाले नेताओं को आगे लगाना होगा। अन्यथा कांग्रेस के लिए सत्ता दूर रहेगी।
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