• विपक्ष के अस्तित्व पर खड़ा हो गया संकट

Delhi Chunav Result 2025, अजीत मेंदोला, (आज समाज), नई दिल्ली: हरियाणा, महाराष्ट्र और अब दिल्ली जीत बीजेपी ने विपक्ष के लिए बड़े खतरे की घंटी बजा दी है। ये तीनों वो राज्य हैं जिन्हें चुनाव से पहले माना जाता था कि बीजेपी मुश्किल में है। लेकिन बीजेपी ने एक के बाद एक तीनों राज्य जीत कर कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष को बता दिया कि मजबूत संगठन का क्या मतलब होता है।

ओडिशा में बीजेपी ने सरकार बनाकर साबित किया

बीजेपी अब गैर हिंदी भाषी राज्यों में भी यह फामूर्ला धीरे धीरे लागू कर सफलता हासिल करेगी। ओडिशा में बीजेपी, सरकार बना साबित कर चुकी है। उत्तर पूर्वी राज्यों में बीजेपी का दबदबा है। कर्नाटक में सरकार चला चुकी है। बीजेपी के पास कोई जादुई फामूर्ला नहीं है। बीजेपी के पास है समर्पित कार्यकतार्ओं का एक ऐसा विशाल मजबूत संगठन का फॉमूर्ला है जो दुनिया में किसी के पास नहीं है। इस विशाल संगठन में बीजेपी के कार्यकर्ता तो हैं ही, आरआरएस और विश्वहिंदू परिषद जैसे संगठनों के ऐसे कार्यकर्ता हैं जो बिना स्वार्थ के घर घर जाकर हारी हुई बाजी को जीत में बदलने का दम रखते हैं।

जीत में बीजेपी व सहयोगी संगठनों की भी बड़ी भूमिका

हरियाणा,महाराष्ट्र और दिल्ली की जीत में जितनी बड़ी भूमिका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की है उतनी ही बीजेपी और सहयोगी संगठनों के कार्यकर्ताओं की है। प्रधानमंत्री मोदी का ईमानदारी वाला फेस,अमित शाह जैसा चुनावी रणनीतिकार जो 24 घंटे दिन रात केवल और केवल पार्टी की जीत की रणनीति बनाने में लगे रहते हैं। संघ के कार्यकर्ता राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के एजेंड को घर-घर पहुंचाकर बताते हैं कि देश के लिए बीजेपी क्यों जरूरी है। इसी एजेंडे से संघ जातिवाद और क्षेत्रवाद के जहर को संघ काटता है।

कई दल एक ही परिवार के उत्थान की राजनीति तक सीमित

संघ की नीति के विपरीत कांग्रेस समेत अधिकांश विपक्षी दल एक परिवार के उत्थान की राजनीति तक सीमित हैं। उन्हें पता ही नहीं होता देश में क्या चल रहा है। जिसका खामियाज ये दल भुगत रहे हैं और आगे भी भुगतेंगे। जो परिवार इन पार्टियों को चला रहे वह अपने जयकारा लगाने वाले हलकारों से ऐसे घिरे रहते हैं कि उन्हें डूबती नैया की कोई खबर ही नहीं होती है। देश का मूड का क्या है, यह जानने के इच्छुक ही नहीं होते हैं। केवल जयकारा सुनने वालों की ही सुनते हैं।

कांग्रेस एक परिवार तक सिमट कर रह गई

आज के दिन बीजेपी से भिड़ने वाले प्रमुख दलों में 140 साल पुरानी कांग्रेस प्रमुख है। ये पार्टी एक परिवार तक सिमट कर रह गई है। कमजोर संगठन के चलते कांग्रेस आज अपना अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रही है।कभी पूरे देश में राज करने वाली कांग्रेस तीन राज्यों में सिमट कर रह गई है।परिवार के तीन सर्वोच्च नेता खुद ही संसद में पहुंच गए हैं। मतलब रीजनल पाटीर्यां जैसे समाजवादी पार्टी, एनसीपी और राजद की तरह कांग्रेस के लिए भी पहले परिवार फिर पार्टी संगठन।मतलब इन दलों के मुखिया अपनी जयकारा से खुश रहते हैं चाहे पार्टी खत्म होने की कगार पर हो।

दिल्ली की आप की हार से कांग्रेस खुश न हो बल्कि मंथन करे

कांग्रेस की असल मुखिया सोनिया गांधी अपने पुत्र मोह में इस कदर अंधी हो चुकी हैं कि खत्म होती पार्टी को बचाने की हिम्मत नहीं कर पा रही। उनके पुत्र राहुल गांधी और बेटी प्रियंका गांधी समझ ही नहीं पा रही हैं कि बिना मजबूत संगठन के उनके चेहरे पर वोट नहीं मिलने वाला है। दिल्ली की करारी हार से हो सकता गांधी परिवार खुश हो कि अरविंद केजरीवाल की पार्टी हार गई। एक सरदर्द तो चलो कम हुआ। लेकिन गांधी परिवार को खुश नहीं अध्ययन करना चाहिए कि कांग्रेस अब कैसे बचेगी। क्योंकि बीजेपी अब भविष्य में कभी भी आम चुनाव वाली गलती नहीं करने वाली है।

केरल जैसे राज्य को भी जीतकर दिखा सकती है बीजेपी

अगर बीजेपी ने तय कर लिया कि केरल जैसा राज्य भी इस बार कांग्रेस को नहीं जीतने देना है तो वो करके दिखा देंगे। बिहार में तो बीजेपी किसी को जीतने ही नहीं देगी।ले दे कर कांग्रेस की प्रतिष्ठा केवल केवल केरल से जुड़ी है जहां पर अगले साल इन्हीं दिनों चुनाव होगा। अब दूसरे दलों को लें।समाजवादी पार्टी परिवार के उत्थान के चलते ढलान पर है।

कई पार्टियों में पहले परिवार फिर कार्यकर्ता

लोकसभा और राज्यसभा में पति पत्नी,भाई भतीजा,चाचा मतलब पहले परिवार फिर बाद में कार्यकर्ता। यही स्थिति राजद, शरद पंवार की एनसीपी, उद्धव ठाकरे की शिवसेना का है। इन दलों में संगठन के नाम पर केवल परिवार है।अपने बेटे,बेटियों नाते रिश्तेदारों के चक्कर में पार्टियां डूबने के कगार में है।इन परिवार वाले दलों ने अपने को बचाने के लिए इंडिया गठबंधन बनाया था।दिल्ली की हार के बाद इसका भविष्य भी खतरे में है।

पराजय के बाद सबसे पहले कांग्रेस को टारगेट करेगी ‘आप’

आम आदमी पार्टी हार के बाद सबसे पहले कांग्रेस को ही टारगेट करेगी। क्योंकि दिल्ली की हार में तोड़ा बहुत योगदान कांग्रेस का भी रहा।टीएमसी की नेत्री भी अब इंडिया गठबंधन के बजाए दो साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के चलते दूरी बनाएगी।बाकी जो बचे हुए दल हैं उनमें भगदड़ मचेगी।इन हालात में कांग्रेस गांधी परिवार के मोह से बाहर निकल ढंग के नेताओं को आगे लाती है तो तब विपक्ष बचेगा। वर्ना देश बिना विपक्ष के चलते दिख रहा है।

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