BJP Organization Election In UP, MP & Uttarakhand, अजीत मेंदोला, नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्यप्रदेश हिंदी बेल्ट वाले इन तीन राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव ने बीजेपी आलाकमान को दुविधा में डाल दिया है। इन तीन अहम राज्यों में पार्टी के संगठन के चुनाव अभी तक पूरे नहीं हो पाए। हालांकि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए जितने राज्यों में चुनाव होने चाहिए थे पूरे कर लिए गए हैं,लेकिन उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में देरी हो रही है।

उत्तर प्रदेश में देरी की कई वजह

यूपी में देरी की कई वजह रही है। उप चुनाव, महाकुंभ के चलते भी संगठन चुनाव पर असर पड़ा। इसके चलते मंडल और जिलाध्यक्षों के भी चुनाव अभी तक पूरे नहीं हो पाए। ऐसा समझा जा रहा है कि एक दो दिन में मंडल अध्यक्षों के नाम घोषित कर दिए जाएंगे, लेकिन अब असल दुविधा अध्यक्ष के प्रत्याशी के चयन को लेकर हो रही है।

बीजेपी के पक्ष में माहौल

पार्टी में अभी मौजूदा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी जाट समुदाय से हैं। लेकिन राष्ट्रीय लोकदल के बीजेपी के साथ आने के बाद जाट राजनीति पर बीजेपी की पकड़ मजबूत हुई है। वैसे भी पश्चिम उत्तर प्रदेश में संभल जैसी घटनाओं ने बीजेपी के पक्ष में माहौल बना दिया है। इसलिए अब जाट को फिर मौका नहीं दिया जाएगा।

फिर से फ्रंट फुट पर खेल रही बीजेपी

आम चुनाव 2024 में भले ही बीजेपी जाति की राजनीति को लेकर गच्चा खा गई, लेकिन उप चुनाव, महाकुंभ ने उत्तर प्रदेश की राजनीति के हालात पूरी तरह से बदल दिए हैं। बीजेपी अब फिर से फ्रंट फुट पर खेल रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ बहुत ताकतवर हुए हैं।पार्टी अब इन हालात ने उत्तर प्रदेश में पार्टी की कमान ब्राह्मण को देने की रणनीति बना रही है।लेकिन दिक्कत यह आ रही है कि पड़ोसी राज्य उत्तराखंड और मध्यप्रदेश में भी मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष ब्राह्मण ही हैं। दोनों जगह बदलाव किया जाना है।

उत्तराखंड के जातीय समीकरण

उत्तराखंड के जातीय समीकरण देखें तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राजपूत समाज से आते हैं और कुमाऊं रीजन से है। ऐसे में पार्टी को गढ़वाल रीजन से किसी ब्राह्मण चेहरे को ही मौका देना होगा। हालांकि कांग्रेस ने तो कुमाऊं रीजन से ही प्रदेश अध्यक्ष और विधायक दल नेता बनाए हुए हैं।जाति के हिसाब से राजपूत और पिछड़ी जाति का समीकरण बिठाया हुआ जिसके चलते कांग्रेस हाशिए पर है। उत्तराखंड में दो ही प्रमुख प्रभावशाली वाली जातियां हैं इनमें एक राजपूत और दूसरी ब्राह्मण।इसलिए ब्राह्मण फेस को ही बीजेपी मौका देगी।

मौजूदा सेटअप जातीगत राजनीति के हिसाब से फिट

इसी तरह मध्यप्रदेश में पार्टी का अभी मौजूदा सेटअप जातीगत राजनीति के हिसाब से फिट है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ओबीसी से हैं तो बाकी अहम पदों पर भी ओबीसी और पिछड़ी जाति को ही ज्यादा मौका दिया गया है। केंद्र में मंत्री बनाए गए नेताओं में भी यही स्थिति है। इन हालात में बीडी शर्मा की जगह बीजेपी को किसी ब्राह्मण को ही मौका देना मजबूरी हो गई है।क्योंकि 2003 से चल रहे इस जातिगत सेटअप के चलते बीजेपी मध्यप्रदेश में ताकतवर हुई है। हालांकि आदिवासी नाम पर भी विचार चल रहा है।अब पार्टी में यही दुविधा बनी हुई है कि तीन अगल बगल के राज्य में ब्राह्मण चेहरों को मौका दे दिया तो इससे कहीं जातीगत समीकरण गड़बड़ा तो नहीं जाएंगे।

यूपी-उत्तराखंड में दो साल बाद होने हैं विधानसभा के चुनाव

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में दो साल बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं। अब जो भी अध्यक्ष बनेगा उसकी अहम भूमिका होगी।आम चुनाव के समय कांग्रेस की पिछड़ों की राजनीति ने जरूर चिन्ता बढ़ाई थी लेकिन हाल में हुए तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव मिली जीत के बाद विपक्ष का पिछड़ों वाली राजनीति का मुद्दा ही खत्म हो गया।विपक्ष खुद आपसी खींचतान में उलझ गया।फिर भी बीजेपी पूरा गुणाभाग लगा उत्तर प्रदेश का फैसला करने में जुटी है।उम्मीद की जा रही है कि अब आने वाले दिनों में कभी भी इन तीनों राज्यों में अध्यक्ष के नाम की घोषणा कर दी जाएगी।इसके साथ ही राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की भी प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

पार्टी कभी भी कर सकती है चुनाव कार्यक्रमों की घोषणा

चुनाव के कार्यक्रमों की घोषणा पार्टी आने वाले हफ्ते में कभी भी कर सकती है। इस बीच अगले हफ्ते 21 मार्च से 23 मार्च के बीच संघ की बेंगलूर में होने वाली अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की अहम बैठक भी हो चुकी होगी।इस बैठक में मुख्यरूप से बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ प्रस्ताव लाया जा सकता है और संघ के शताब्दी वर्ष पर चर्चा होगी।बीजेपी के कई प्रमुख नेता इसमें शामिल होंगे जिसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष के प्रत्याशी के नाम पर भी चर्चा हो सकती है।इस बैठक के बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संघ प्रमुख मोहन भागवत भी बैठक कर सकते हैं।जिससे नवरात्रि के शुरू में राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम की घोषणा की जा सके।समाप्त

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