Aaj Samaj (आज समाज), BJP Majority 2024 Lok Sabha Election, नई दिल्ली: लोकसभा की 542 सीटों के लिए मंगलवार को हुई मतगणना में बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए को 292 और कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन को को 233 सीटें मिल रही हैं। 292 में से बीजेपी को अकेले 240 सीटें मिली हैं और वह बहुमत के आंकड़े (272) से 32 सीट पीछे है। इस तरह एनडीए की सरकार तो बनती दिख रही है, लेकिन बीते दो बार के चुनावों में मिली सीटों से बीजेपी पिछड़ गई है। 2014 में अकेले बीजेपी को 278 और 2019 में 303 सीटें मिली थीं। इस बार बीजेपी के पिछड़ने कई कारण रहे हैं।
2019 में जीते 100 से ज्यादा सांसदों के टिकट काटे
बीजेपी ने इस बार 2019 में जीते 100 से ज्यादा सांसदों के टिकट काट दिए और ज्यादातर जगह नए चेहरे उतारे थे। इनमें भी अधिकतर नेता ऐसे थे, जो दूसरी पार्टियां छोड़कर बीजेपी में आए थे। बीजेपी की राजनीति को करीब से समझने वालों का कहना है कि चुनाव में पार्टी को इसका बड़ा नुकसान उठाना पड़ा।
बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दे की अनदेखी
‘मोदी की गारंटी’ जैसे दावे और मुफ्त राशन जैसी स्कीम के बावजूद महंगाई और बेरोजगारी इस बार के लोकसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बनकर उभरा। कई राज्यों में विपक्षी दल चुनाव प्रचार के दौरान महंगाई व बेरोजगारी के मुद्दे पर बीजेपी को घेरते दिखे थे। विपक्ष ने पेपर लीक और नौकरियों के खात्मे का मुद्दा भी उठाया, लेकिन बीजेपी ने इसकी अनदेखी की।
सांसदों से नाराज थे लोग
हिंदी बेल्ट के ज्यादातर राज्यों में लोग पार्टी के सांसदों से नाराज थे, क्योंकि पिछले 5 साल में अधिकतर सांसद अपने क्षेत्र में गए ही नहीं। जानकारों का कहना है कि 2014 और 2019 में तो उन्हें मोदी के चेहरे पर वोट मिला, लेकिन इस बार लोगों ने अपना मन बदल लिया
भारी पड़ा मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा
बीजेपी ने अपने प्रचार अभियान में बहुत एग्रेसिव तरीके से मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा उठाया। पीएम मोदी ने अपनी ज्यादातर रैलियों में विपक्ष पर आरक्षण की राजनीति का आरोप लगाया, लेकिन लगता है कि यह मुद्दा बीजेपी पर बैकफायर कर गया। मुस्लिम बहुल सीटों पर विपक्ष को एकमुश्त वोट गया है।
सीएए-एनआरसी और यूसीसी के मुद्दे पर भी बीजेपी को नुकसान
सीएए-एनआरसी और यूसीसी के मुद्दे पर भी बीजेपी को फायदे के बजाय नुकसान हुआ। विपक्ष ने इसके नाम पर मतदाताओं को एकजुट करने का प्रयास किया जो काफी हद तक सफल होता दिख रहा है। उदाहरण के तौर पर पश्चिम बंगाल में, जहां बीजेपी ने 2019 में 42 में से 18 सीटें जीती थीं, वहां अबकी सीटें कम होकर आधी रह गईं। जबकि ममता बनर्जी की सीटें 22 से बढ़कर 30 तक पहुंच गईं।
एससी-एसटी सीटों पर भी बीजेपी को बड़ा नुकसान
लोकसभा की कुल 543 सीटों में से 412 सामान्य सीटें हैं। इनमें से अनुसूचित जाति (एससी) के लिए 84 और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए 47 सीटें आरक्षित हैं। 2019 के चुनाव में एससी की कुल 84 सीटों में से बीजेपी 46 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। वहीं एसटी की 47 में से बीजेपी ने 31 सीटें जीती थीं। सामान्य 412 सीटों में से बीजेपी 226 पर जीत दर्ज करने में सफल रही थी। लेकिन इस बार एससी की 84 में से बीजेपी को केवल 28 और 47 में से सिर्फ 24 सीटें ही मिली हैं।
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