तीसरी जीत दर्ज करते हुए भाजपा ने रचा इतिहास
Chandigarh News (आज समाज) चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में भाजपा ने जबरदस्त जीत दर्ज करते हुए इतिहास रच दिया। यह पार्टी के लिए लगातार तीसरी जीत रही, जिसमें उसने 90 में से 48 सीटों पर विजय हासिल की। इस चुनाव में कांग्रेस को भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गढ़ में तगड़ा झटका लगा, जबकि अहीरवाल क्षेत्र में भाजपा का वर्चस्व एक बार फिर से कायम रहा। रोहतक, झज्जर और सोनीपत के जाटलैंड में कांग्रेस को बड़ी हार का सामना करना पड़ा, जो भूपेंद्र सिंह हुड्डा का राजनीतिक किला माना जाता था।
इस बार भाजपा ने सोनीपत जिले की 6 में से 4 सीटें जीत लीं, जिसमें गोहाना और खरखौदा जैसी सीटें भी शामिल हैं, जो पहले कभी भाजपा के पास नहीं थीं। यहां तक कि 2014 और 2019 के मोदी वेव के दौरान भी ये सीटें कांग्रेस के पास थीं, लेकिन इस बार हुड्डा के गढ़ में भाजपा की सेंध साफ दिखी। कांग्रेस इस जिले में सिर्फ बरौदा सीट बचा पाई। गन्नौर सीट पर भाजपा के बागी देवेंद्र कादियान ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की, जो कांग्रेस के लिए और भी बड़ी चिंता का विषय रहा।
अहीरवाल, जहां भाजपा का पुराना दबदबा रहा है, इस बार भी पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया। रेवाड़ी, गुरुग्राम और महेंद्रगढ़ जिलों में आने वाली 11 सीटों में से 9 पर भाजपा ने विजय पाई। 2014 में सभी 11 सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार नांगल चौधरी सीट भाजपा के हाथ से फिसल गई। इसके बावजूद, अहीरवाल में पार्टी की पकड़ बरकरार रही और उसने अपने मजबूत गढ़ को सुरक्षित रखा।
चुनाव से पहले भाजपा ने सत्ता-विरोधी लहर को भांपते हुए 14 विधायकों के टिकट काट दिए, जिसमें 4 मंत्री भी शामिल थे। पार्टी ने इन सीटों पर नए उम्मीदवार उतारने का साहसिक निर्णय लिया, जो सही साबित हुआ। 14 में से 12 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की। यह रणनीति दिखाती है कि मतदाता पार्टी से नाराज नहीं थे, बल्कि स्थानीय विधायकों और मंत्रियों से असंतुष्ट थे। भाजपा की यह समझदार रणनीति पार्टी की सफलता का एक प्रमुख कारण बनी।
हरियाणा में दलित वोटबैंक पर कांग्रेस का प्रभाव इस बार भाजपा की रणनीति से कमजोर पड़ा। भाजपा ने कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा की उपेक्षा को लेकर सवाल उठाए, जिससे दलित समुदाय का समर्थन भाजपा की ओर खिसकता नजर आया। इस चुनाव में दलित मतों में सेंधमारी ने कांग्रेस को गंभीर नुकसान पहुंचाया और कई सीटों पर पार्टी की पकड़ कमजोर कर दी।
भाजपा ने इस बार 23 सीटों पर नए चेहरों को मौका दिया, जिसमें से 12 उम्मीदवार जीतने में कामयाब रहे। करनाल से जगमोहन आनंद, समालखा से मनमोहन भड़ाना, और खरखौदा से पवन खरखौदा जैसे नए नाम पार्टी के विजयी उम्मीदवारों में शामिल रहे। पार्टी ने उन नेताओं को दोबारा मौका नहीं दिया, जो 2019 में चुनाव हार चुके थे, और इसका लाभ भी उसे मिला।
हरियाणा की 17 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों में भाजपा ने 8 सीटों पर जीत हासिल की। इन सीटों में बवानी-खेड़ा, पटौदी, खरखौदा, नरवाना, नीलोखड़ी, बावल, इसराना और होडल प्रमुख रहीं। कांग्रेस ने शेष 7 सीटों पर विजय पाई, लेकिन भाजपा ने आरक्षित सीटों पर भी अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखी। हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में भाजपा की जीत ने साबित कर दिया कि राज्य में पार्टी की पकड़ और रणनीतिक कौशल अटूट है। कांग्रेस ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कुछ सीटें जीतीं, लेकिन भाजपा की रणनीतिक बदलावों और नए उम्मीदवारों के चयन ने कांग्रेस को कड़ी चुनौती दी।
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