Satish Poonia | Bjp | अजीत मेंदोला | नई दिल्ली । हरियाणा में हुई शानदार जीत ने बीजेपी को फिर से नई ताकत दे दी। इसके साथ सतीश पूनिया (Satish Poonia) के रूप में पार्टी की मजबूत जाट नेता की तलाश भी पूरी हुई। पार्टी को इसका लाभ दूसरे राज्यों में भी मिलेगा।
बीजेपी Haryana bjpHaryana ने हरियाणा में लगातार तीसरी बार सरकार का गठन कर पूरे देश को संदेश दे दिया कि जीत के लिए पार्टी कार्यकर्ता अंतिम दिन तक कोशिश नहीं छोड़ते हैं। नायब सिंह सैनी (Haryana Cm Nayab Singh Saini) पर भाजपा ने विश्वास जताते हुए फिर से मुख्यमंत्री बनाया है।
विपक्ष भी बीजेपी की रणनीति का कायल हो गया। कांग्रेस अपनी हार के बचाव को लेकर अब कितने भी बहाने ढूंढ ले, लेकिन पार्टी के बड़े नेता भी दबी जुबान से मानने लगे हैं कि गलतियां हुई हैं। धीरे-धीरे सच बाहर आने भी लगा है। बीजेपी ने जहां कांग्रेस के अति आत्मविश्वास की कमजोरियों का पूरा फायदा उठा जमीनी स्तर पर चुपचाप काम किया, वहीं संघ के कार्यकतार्ओं ने आमजन को अपने तरीके से समझा एंटी इनकंबेसी को खत्म किया।
संघ के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, अध्यक्ष जेपी नड्डा जैसे कई बड़े-बड़े दिग्गज तो थे, जिन्होंने पार्टी को जीत दिलवाई। हालांकि इन सब दिग्गजों के बीच एक नाम है सतीश पूनिया का भी। राजस्थान के पूनिया को लोकसभा चुनाव में हरियाणा का चुनावी प्रभारी बनाया तो तब भी सवाल उठे, लेकिन विपरीत परिस्थितियों में पूनिया पार्टी को आधी सीट जिताने में सफल रहे।
ऐसे में 10 में से बीजेपी ने 5 सीटें जीती थीं। इसके बाद पार्टी ने विधानसभा चुनाव के समय पूनिया को हरियाणा का प्रभारी महामंत्री बनाया तो विरोधी तब भी हैरान थे। उन्हें लगा महत्वपूर्ण राज्य में किसे जिम्मेदारी दे दी, लेकिन पूनिया ने अपने तरीके से विधानसभा सीटों का दौरा कर पता लगाया कि उनको क्या सुधार करना है और विपक्ष की क्या-क्या कमजोरियां हैं?
पूनिया ने उसी तरह की रिपोर्ट आलाकमान को भेजी, जिस पर पार्टी ने काम किया। बीजेपी के टिकट बंटवारे के बाद जानकार मान रहे थे कि कांग्रेस की राह आसान कर दी। किसी ने इस बात का आंकलन ही नहीं किया कि बीजेपी ने हर सीट का बहुत बारीकी से मंथन किया है।
जहां टिकट काटने थे वो टिकट काटे और जहां नए चेहरों को लाना था वो लेकर लाए। सोशल इंजीनियरिंग इस तरह से की हुई कि कांग्रेस उसमें उलझ गई। पूनिया पहले नेता थे जिन्होंने कांग्रेस को दलित और पिछड़ों की राजनीति को लेकर सीधी चुनौती दी थी। उन्होंने कांग्रेस को चुनौती दी थी कि हिम्मत हो तो किसी एसटी को सीएम फेस बनाएं।
यही नहीं पूनिया ने कांग्रेस पर इस बात को लेकर भी हमला बोला था कि कहने के लिए कांग्रेस ने राष्ट्रीय अध्यक्ष एससी के मल्लिकार्जुन खड़गे को बनाया है, लेकिन पार्टी में उनकी कोई सुनवाई ही नहीं है। गांधी परिवार ही फैसला करता है। पूनिया का दलित और पिछड़ा वाला दांव इतना चला कि पार्टी के बड़े नेताओं ने कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सैलजा को मुद्दा बना दिया। कांग्रेस की हार में आपसी लड़ाई तो प्रमुख मुद्दा है ही, लेकिन शैलजा के मुद्दे ने भी बड़ी मदद की।
बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व का प्रदेश में सैनी को फेस बनाना ऐसा दांव था, जिसका कांग्रेस के पास कोई तोड़ नहीं था। हरियाणा की जीत के बाद पूनिया की चर्चा उनके गृह राज्य राजस्थान में तो है ही, लेकिन केंद्र में भी उन्होंने अपनी उपयोगिता को साबित कर दिया। आलाकमान ने उन्हें जो जिम्मेदारी दी उसमें वह खरे उतरे। समझा जा रहा है कि आलाकमान उन्हें केंद्र में ही सक्रिय रखेगा। इसलिए वह राजस्थान में उप चुनाव नहीं लड़ेंगे।
उनके वहां पर उप चुनाव लड़ाने की बातें हो रही थी। पूनिया ऐसे अकेले नेता हैं, जिन्होंने राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी को साढ़े तीन साल उस समय निभाया, जब पार्टी सत्ता से बाहर थी। आपसी झगड़ों के चलते नेता झंडा उठाने से बचते थे।पूनिया अकेले ही पार्टी का झंडा ले निकल पड़ते। पिछले साल विधानसभा चुनाव से पूर्व उन्हें अचानक अध्यक्ष पद से हटा दिया गया। इसका पार्टी को नुकसान भी हुआ।
जाट समुदाय बीजेपी से दूर हो गया। ऐसा लगा कि संगठन के जानकार पूनिया कमजोर पड़ गए, लेकिन पार्टी ने भरोसा कर हरियाणा जैसे महत्वपूर्ण राज्य की जिम्मेदारी देकर जो दांव चला उसमें वह सफल रही। पूनिया धीरे-धीरे पार्टी के अंदर बड़े नेता के रूप में स्थापित हो गए। पार्टी को जिस जाट नेता की तलाश थी, वह उन्हें पूनिया के रूप में मिल गया लगता है।
हरियाणा की जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह ने उनकी पीठ भी थपथपाई। पूनिया हरियाणा में मिली जीत का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और संघ की सूझबूझ वाली रणनीति को देते हुए कहते हैं कि इस जीत ने कांग्रेस के घमंड को चूर चूर कर दिया। लोकसभा में जनता को भ्रमित कर कांग्रेस ने 99 सीट क्या जीती कि उन्होंने जमीन ही छोड़ दी थी।
हमारे नेताओं पर हमला बोलते थे। संसद सत्र के दौरान राहुल गांधी घमंड में सब कुछ भूल गए। उन्होंने प्रधानमंत्री पद की गरिमा तक नहीं रखी।जनता सब देखती है और समझती है। राहुल गांधी ने संविधान खतरे में और आरक्षण खत्म करने संबंधी झूठे बयान देकर जनता को भ्रमित किया था, जिसका जवाब हरियाणा की जनता ने चुनाव में दे दिया। हमारे पहलवानों, किसानों और नौजवानों को बरगलाने की कोशिश की, लेकिन परिणामों ने बता दिया कि झूठ बोल गुमराह नहीं कर सकते।
पूनिया कहते हैं जब लोकसभा चुनाव के समय उन्होंने हरियाणा संभाला था तो कांग्रेस ने आरक्षण खत्म करने, किसानों, पहलवानों और अग्निवीर जैसी योजनाओं को लेकर हमारी सरकार के खिलाफ ऐसा माहौल बनाया हुआ था कि बीजेपी एक भी सीट भी नहीं जीतेगी, लेकिन हमने दस में पांच सीट जीत विधानसभा की नींव डाल दी थी। उस समय ही हमारी पार्टी पांच सीटें जीत एक तरह से हरियाणा की 90 में से 44 सीट पर लीड में थे।
प्रभारी पद की जिम्मेदारी मिलते ही मैंने उस लीड को बढ़ाने पर काम किया और बहुमत से ज्यादा सीटें जीतने में विधानसभा चुनाव में सफलता पाई। पार्टी ने उन पर भरोसा कर उन्हें संगठन का काम दिया, उसी पर अभी पूरा फोकस है। पार्टी के सिपाही हैं, जो आदेश मिलता है उसे मानते हैं।
राजस्थान के उप चुनाव को लेकर पूनिया कहते हैं कि हरियाणा की जीत से कार्यकर्ता जोश में हैं। कांग्रेस के झूठ की पोल खुल गई है। इसलिए राजस्थान की सभी सात सीटें जीतेंगे।
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