आज समाज नेटवर्क
गोहाना। खानपुर कलां गांव स्थित बीपीएस राजकीय महिला मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में बुधवार की दोपहर को एक ऐसे शिशु का जन्म हुआ, जिसका दिल शरीर से बाहर धड़क रहा है।
उसे रोहतक के पीजीआई अस्पताल में रेफर किया गया है, लेकिन बाद में वहां से बालक को वापस खानपुर कलां भेज दिया गया। सोनीपत की बाबा कॉलोनी निवासी महिला रेखा गर्भवती होने के बाद डिलीवरी के लिए अपने मायके सांदल खुर्द ही रहने लगी थी। प्रसव पीड़ा होने पर बुधवार को उसे महिला मेडिकल कॉलेज में लाया गया। वहां दोपहर के समय उसने एक बेटे को जन्म दिया। लेकिन नवजात शिशु को देखकर न केवल परिजन, बल्कि चिकित्सक भी सकते में आ गए। बच्चे का दिल शरीर से बाहर धड़क रहा है। चिकित्सकों का कहना है कि छाती के पूरी तरह से विकसित न होने से दिल शरीर से बाहर निकल आया है, लेकिन ऐसे केस की सर्जरी की सुविधा न तो महिला मेडीकल कॉलेज में है, न ही रोहतक के पीजीआई अस्पताल में।
हालांकि डिलीवरी के बाद बच्चे को रोहतक रेफर कर दिया गया था पर वहां से इस तर्क के साथ वापस महिला मेडिकल कालेज में लौटा दिया गया कि रोहतक में भी ऐसे बालक की सर्जरी संभव नहीं है। अब महिला मेडीकल कालेज के बाल एवं शिशु विभाग ने नवजात शिशु को आईसीयू में रखा है तथा देश के प्रमुख अस्पतालों से संपर्क साधा जा रहा है। यह पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि उसका आप्रेशन कहां संभव है।
दुनिया में 20 लाख में से एक बच्चा ऐसा पैदा होता है, लेकिन ऐसे केस की सर्जरी की सुविधा न तो खानपुर कलां के महिला मेडिकल कॉलेज में है और न ही रोहतक के पीजीआई अस्पताल में है। फिलहाल बच्चे को महिला मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में भर्ती रखते हुए दूसरे अस्पतालों से संपर्क साधा जा रहा है।-डॉ. मनोज रावल, बाल एवं शिशु विभाग, महिला मेडिकल कॉलेज।
गोहाना। खानपुर कलां गांव स्थित बीपीएस राजकीय महिला मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में बुधवार की दोपहर को एक ऐसे शिशु का जन्म हुआ, जिसका दिल शरीर से बाहर धड़क रहा है।
उसे रोहतक के पीजीआई अस्पताल में रेफर किया गया है, लेकिन बाद में वहां से बालक को वापस खानपुर कलां भेज दिया गया। सोनीपत की बाबा कॉलोनी निवासी महिला रेखा गर्भवती होने के बाद डिलीवरी के लिए अपने मायके सांदल खुर्द ही रहने लगी थी। प्रसव पीड़ा होने पर बुधवार को उसे महिला मेडिकल कॉलेज में लाया गया। वहां दोपहर के समय उसने एक बेटे को जन्म दिया। लेकिन नवजात शिशु को देखकर न केवल परिजन, बल्कि चिकित्सक भी सकते में आ गए। बच्चे का दिल शरीर से बाहर धड़क रहा है। चिकित्सकों का कहना है कि छाती के पूरी तरह से विकसित न होने से दिल शरीर से बाहर निकल आया है, लेकिन ऐसे केस की सर्जरी की सुविधा न तो महिला मेडीकल कॉलेज में है, न ही रोहतक के पीजीआई अस्पताल में।
हालांकि डिलीवरी के बाद बच्चे को रोहतक रेफर कर दिया गया था पर वहां से इस तर्क के साथ वापस महिला मेडिकल कालेज में लौटा दिया गया कि रोहतक में भी ऐसे बालक की सर्जरी संभव नहीं है। अब महिला मेडीकल कालेज के बाल एवं शिशु विभाग ने नवजात शिशु को आईसीयू में रखा है तथा देश के प्रमुख अस्पतालों से संपर्क साधा जा रहा है। यह पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि उसका आप्रेशन कहां संभव है।
दुनिया में 20 लाख में से एक बच्चा ऐसा पैदा होता है, लेकिन ऐसे केस की सर्जरी की सुविधा न तो खानपुर कलां के महिला मेडिकल कॉलेज में है और न ही रोहतक के पीजीआई अस्पताल में है। फिलहाल बच्चे को महिला मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में भर्ती रखते हुए दूसरे अस्पतालों से संपर्क साधा जा रहा है।-डॉ. मनोज रावल, बाल एवं शिशु विभाग, महिला मेडिकल कॉलेज।