Aaj Samaj (आज समाज), Bishkek SCO Summit 2023, बिश्केक: भारत ने एक बार फिर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की पसंदीदा परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का समर्थन करने से इनकार कर दिया है। बिश्केक में आयोजित एससीओ के शासनाध्यक्षों की परिषद की 22वीं बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बीआरआई का विरोध किया। बैठक के अंत में एक संयुक्त बयान में कहा गया कि ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिज गणराज्य, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान ने चीन के बीआरआई के लिए अपने समर्थन की पुष्टि की।
पीओके में बनाया जा रहा चीन-पाक आर्थिक गलियारा
बता दें कि नई दिल्ली में जुलाई में आयोजित एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान भी भारत ने बीआरआई का समर्थन नहीं किया था जबकि अन्य सदस्यों ने परियोजना का समर्थन किया। भारत ने 60 अरब अमेरिकी डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (बीआरआई की प्रमुख परियोजना) पर चीन का इसलिए भी विरोध किया क्योंकि इसे पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में बनाया जा रहा है।
हमें मजबूत कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे की जरूरत
एस जयशंकर ने कहा कि एससीओ सदस्यों को अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों का सख्ती से पालन करके, एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करके और आर्थिक सहयोग को प्रोत्साहन देकर क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। अपने संबोधन में जयशंकर ने साफ किया कि इलाके के भीतर व्यापार में सुधार के लिए हमें मजबूत कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे की जरूरत है, लेकिन ऐसी पहलों को सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए। जयशंकर ने कहा, ग्लोबल साउथ को अपारदर्शी पहलों से पैदा होने वाले अव्यवहार्य कर्ज के बोझ से नहीं दबाना चाहिए।
समृद्धि का स्रोत बन सकते हैं ये कॉरिडोर : : जयशंकर
जयशंकर ने एससीओ शिखर सम्मेलन में यह भी कहा भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईईसी) और अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (आईएनएसटीसी) समृद्धि का स्रोत बन सकते हैं। गौरतलब है कि अमेरिका, भारत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ के नेताओं ने सितंबर में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान आईएमईईसी की संयुक्त रूप से घोषणा की थी, जिसे कई लोग चीन के बीआरआई के विकल्प के रूप में देखते हैं। अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा भारत, ईरान, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के बीच माल ढुलाई के लिए जहाज, रेल और सड़क मार्गों का 7,200 किमी लंबा मल्टी-मोड नेटवर्क है।
.यह भी पढ़ें :
- PM Modi Address India Mobile Congress: 6जी पर करेंगे दुनिया का नेतृत्व, ‘मेड इन इंडिया’ स्मार्टफोन यूज करेगी दुनिया
- Home Ministry Permits: सीआरपीएफ के खुफिया तंत्र को मजबूत करने के लिए 659 अधिकारियों की तैनाती पर मुहर
- India Mobile Congress 2023: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया इंडिया मोबाइल कांग्रेस का उद्घाटन