- भगवान नेमिनाथ पर सुन्दर नाटिका का मंचन किया
- सैकड़ों श्रावक-श्राविकाओं के जयकारों से गूंज उठा आयड़ तीर्थ
Aaj Samaj (आज समाज),Birth Welfare Festival of Lord Neminath,कुलदीप नाहर ,उदयपुर 23 जुलाई: श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ पर बरखेड़ा तीर्थ द्वारिका शासन दीपिका महत्ता गुरू माता सुमंगलाश्री की शिष्या साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री एवं वैराग्यपूर्णाश्री आदि साध्वियों के सानिध्य में रविवार को विशेष चातुर्मासिक मांगलिक प्रवचन के साथ नेमिनाथ भगवान का जन्म कल्याणक महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे दोनों साध्वियों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। उसके बाद तीर्थकर प्रभु नेमिनाथ परमात्मा का जन्म कल्याणक भव्याति भव्य रूप से मनाया गया।
महाराज ने बताया कि तीर्थंकर परमात्मा का पावन जन्म-प्रसंग त्रिभुवन में एक अनोखा वातावरण फैला देता है। नरक में भी एक क्षण के लिए उजियारा – प्रकाश छा जाता है। समस्त सृष्टि आनंद से झूमने लगती है। स्टेज कार्यक्रम के माध्यम से पिता समुद्र विजय महाराजा, माता शिवा देवी के रूप में ललित – रेखा नाहर, प्रियवंदा के रूप में कलावती अम्बावत, राजगुरु के रूप में प्रद्योतन कुमार जैन (महात्मा) एवं भुआसा- फुफासा के रूप में अनिलकुमार-सरोज नलवाया तथा विभिन्न चौदह स्वप्न के रूप में बालिकाओं ने अपनी प्रस्तुति दी। स्टेज कार्यक्रम का संचालन अंकित एवं रश्मि नलवाया थे।
समुद्रविजय राजा की ओर से सभी का बहुमान किया गया। इस दौरान आत्म वल्लभ सभागार में सैकड़ों श्रावक-श्राविकाओं ने भगवान के जयकार लगाते हुए वातावरण को गूंजायमान कर दिया। चातुर्मास संयोजक अशोक जैन ने बताया कि प्रवचनों की श्रृंखला में प्रात: 9.15 बजे साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री व वैराग्यपूर्णा ने कहा कि दश वैकालिक सूत्र के प्रथम अध्याय के प्रथम लोक में शय्यंभव सूरिजी महाराज ने धर्म के मुख्य तीन अंग बताये हैं. जो अपने आप में मंगल स्वरूप हैं। आत्मा के लिये धर्म अमृत है, धर्म ही आत्मा और उत्तम से उत्तम वस्तु है तो एकमात्र धर्म ही है। परमात्मा और गुरु धर्म देने वाले है, परमात्मा द्वारा बताई गई क्रियाएं धर्म साधन है, क्रियाओं के द्वारा ही धर्म को साधा जा सकता है। जैन श्वेताम्बर महासभा के अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि आयड़ जैन तीर्थ पर प्रतिदिन सुबह 9.15 बजे से चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृंखला में धर्म ज्ञान गंगा अनवरत बह रही है।
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