कहा- अगर हुड्डा अपने कैंडिडेट के बजाय हैवीवेट कैंडिडेट को टिकट दिलवाते तो चुनाव परिणाम कुछ और होत
Chandigarh News (आज समाज) चंडीगढ़: हरियाणा में कांग्रेस के नेता विधानसभा चुनाव में मिली हार को भुला नहीं पा रहे है। हार के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा को ठहराया जा रहा है। अब हरियाणा के पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को विधानसभा चुनाव में हार का जिम्मेदार ठहराया है। एक चैनल से बातचीत में बीरेंद्र सिंह ने कहा कि अगर हुड्डा अपने कैंडिडेट के बजाय हैवीवेट कैंडिडेट को टिकट दिलवाते तो चुनाव परिणाम कुछ और होते।
मुझे पता था भाजपा को हराना आसान नहीें
बीरेंद्र ने कहा कि जब मैं भाजपा में था तो मुझे पता था कि वह आसानी से नहीं जाएगी। भूपेंद्र हुड्डा मेरे रिश्तेदार हैं। मैं जब भी उनसे मिलता था तो कहता था कि हरियाणा में कांग्रेस को हराना और जिताना एक ही आदमी के हाथ में है और वह हो तुम। अगर तुम यह सोचकर टिकट दिलवाते हो कि ये मेरा कार्यकर्ता है और दूसरा टिकटार्थी हैवीवेट है तो इससे कांग्रेस को नुकसान होगा। कैंडिडेट सही न चुनना और जातीय गणित को नहीं समझ पाना विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार का कारण बना।
संगठन का न होना भी बना हार का कारण, हुड्डा के अलावा कोई लीडर नहीं
बीरेंद्र सिंह ने कहा कि हार का सबसे पहला और बड़ा कारण यह है कि 10-12 साल से कोई संगठन नहीं है। कांग्रेस अपने वर्कर्स रूपी मशीन का सही प्रयोग नहीं कर पाई। लीडरशिप एक व्यक्ति विशेष पर आकर खड़ी हो गई। भूपेंद्र हुड्डा के अलावा कोई लीडर नहीं था। कांग्रेस पार्टी कांग्रेसियों तक सीमित नहीं होनी चाहिए थी, कांग्रेस को जनता की पार्टी बनना चाहिए था।
चहेतों को दी टिकट
कांग्रेस पार्टी एक व्यक्ति विशेष की होकर रह गई। टिकट वितरण में कैंडिडेट का अच्छा होना मायने नहीं रख पाया। जिसकी टिकट वितरण में मुख्य भूमिका होगी, उसी के चहेतों को टिकट मिला तो इससे पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा, क्योंकि कई सीटों पर हैवी वेट कैंडिडेट के बजाय चहेतों को टिकट मिली।
कास्ट लाइन की राजनीति को भाजपा ने समाप्त किया
बीरेंद्र ने कहा कि भाजपा का जातीय आधार पर बांटने का गणित ठीक रहा, लेकिन कांग्रेस इसे समझ नहीं पाई। किसान आंदोलन के बाद जीटी रोड पर पंजाबी मतदाता, ज्यादा जमीन वाले सिख भाजपा विरोधी हो गए थे। इसके बावजूद भी कांग्रेस समझ नहीं पाई और परिणाम उल्टे आए। कास्ट लाइन की राजनीति को भाजपा ने समाप्त कर दिया।
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