Bihar Politics, अजीत मेंदोला, (आज समाज), नई दिल्ली: कांग्रेस के सर्वोच्च नेताओं की कमजोरियों के चलते बिहार में फिलहाल किसी प्रकार का कोई खेला नहीं होने जा रहा है। सूत्र बताते हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) इस बार कोई पलटी नहीं मारने वाले हैं, क्योंकि उनके पास राजग में बने रहने के अलावा कोई चारा नहीं है। राजद नेता लालू यादव (RJD leader Lalu Yadav) के छोड़े शिगूफे की हवा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दौरे से निकल जाएगी।
अमित शाह रविवार से दो दिन के पटना दौरे पर
अमित शाह रविवार से दो दिन के दौरे पर पटना जा रहे हैं, जहां वह पार्टी के कार्यक्रमों में भाग लेने के साथ चुनाव को लेकर कार्यकर्ताओं की नब्ज भी टटोलेंगे। ऐसे संकेत हैं कि वह सीएम नीतीश कुमार से भी मिल सकते हैं। हालांकि सीएम नीतीश ने अपनी प्रगति यात्रा शनिवार से फिर शुरू कर दी है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन के चलते उन्होंने चुनावी यात्रा स्थगित की हुई थी।
लालू यादव ने की है भ्रम की स्थिति बनाने की कोशिश
दरअसल पिछले दिनों लालू यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश को महागठबंधन में आने का आॅफर दे बिहार में भ्रम की स्थिति बनाने की कोशिश की। बिहार में इस साल अक्टूबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं। लालू यादव को लगने लगा है कि बीजेपी और जेडीयू के गठबंधन से पार पाना मुश्किल होगा। सहयोगी कांग्रेस की स्थिति यूं भी खराब होती जा रही है। महाराष्ट्र और हरियाणा की हार के बाद से लालू यादव समझ गए हैं कि बीजेपी किसी भी हद तक जा कर चुनाव जीत सकती है।
सर्वोच्च नेतृत्व में अब प्रियंका भी पर पार्टी में नहीं कोई बदलाव
कांग्रेस का सर्वोच्च नेतृत्व जिसमें अभी तक राहुल गांधी अकेले थे अब उनकी बहन प्रियंका गांधी भी शामिल हो गई हैं, लेकिन पार्टी में कोई बदलाव नहीं आया। भाई बहन की अब तक की रणनीति और कार्यप्रणाली से साफ है कि कांग्रेस में कुछ भी नया नहीं होने वाला है। बेलगाम में अभी हाल में हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक भी एक तरह से 2022 के उदयपुर संकल्प का ही दूसरा पार्ट था। बदलाव की बड़ी बड़ी बातें जरूर हुई लेकिन कुछ बड़ा होगा लगता नहीं है।
प्रियंका-राहुल की उदासीनता के चलते मामला पड़ा ठंडा
बेलगाम का सीधा संदेश यही था कि कांग्रेस राहुल ओर प्रियंका के नेतृत्व में ऐसे ही चलेगी। कोई बड़ा बदलाव नहीं होने जा रहा है। जिसे कांग्रेस में रहना है रहे, जिसे जाना है जाए। कार्यसमिति में संविधान ओर जयभीम जैसे नारे के साथ यात्रा शुरू करने की घोषणा भी की गई। लेकिन दोनों भाई बहनों की उदासीनता के चलते मामला ठंडा पड़ गया। यात्रा जोर पकड़ती दिख नहीं रही है।
राहुल के बाद प्रियंका भी छुट्टियां मनाने शिमला गईं
उदासीनता की स्थिति यह है कि राहुल ऐसे समय पर विदेश दौरे पर चले जब पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर देशभर में शोक घोषित किया हुआ था। इसके साथ दिल्ली चुनाव के साथ आगे की रणनीति जैसे फैसले किए जाने थे। अपने भाई राहुल की देखा देखी प्रियंका भी छुट्टियां मनाने बच्चों के साथ शिमला चली गई।प्रियंका पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की याद में आयोजित अंतिम अरदास तक के लिए दिल्ली में नहीं ठहरी। दोनों भाई बहन के चलते कांग्रेस में असमंजस का माहौल है।
दल बिहार चुनाव में जुटे, कांग्रेस में सन्नाटा, सहयोगी भी बेचैन
राजनीतिक दल दिल्ली से लेकर बिहार चुनाव की रणनीति ओर संगठन को ताकत देने में जुटे हैं, लेकिन कांग्रेस में सन्नाटा है। इन हालात में सहयोगियों में भी बेचैनी है। बिहार के सीएम नीतीश भी जानते हैं कि इन हालात में महाराष्ट्र में बीजेपी कभी भी कोई खेला कर सकती है। उद्धव ठाकरे और शरद पंवार की पार्टी के नेताओं के बयान इसके संकेत दे भी रहे हैं। इसलिए नीतीश ऐसे में बीजेपी से अलग होने का कोई खतरा मोल लेने की स्थिति में नहीं है।
कांग्रेस नीतीश को नहीं बनाने वाली इंडिया गठबंधन का नेता
नीतीश जानते हैं कि कांग्रेस इंडिया गठबंधन का नेता उन्हें कभी बनाने वाली नहीं है। इसलिए जो कुछ भी बयान बाजी चल रही है वह केवल ओर केवल बराबर की सीटों के लिए।बीजेपी इस बार नीतीश को उनके हिसाब से सीटें दे भी सकती है।जहां तक महागठबंधन का सवाल है तो राजद नेता लालू यादव अपने बेटे तेजस्वी यादव के भविष्य की राजनीति को लेकर चिन्तित है।कांग्रेस से गठबंधन कर कोई फायदा राजद को दिख नहीं रहा है।इसलिए चुनाव तक बयान वीर बयान दे माहौल को भ्रमित करते रहेंगे।
ये भी पढ़ें : Rajasthan: आलाकमान के भरोसे पर खरे उतरते सीएम शर्मा, कांग्रेस ने पर्ची वाली सरकार कहना छोड़ा