Haryana Assembly Election: बागियों पर कांग्रेस की बड़ी कार्रवाई

13 नेताओं को छह साल के लिए पार्टी से किया निष्कासित
भाजपा ने बागी नेताओं पर कार्रवाई करने से किया परहेज
Chandigarh News (आज समाज) चंडीगढ़: हरियाणा में 5 अक्टूबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में मैच एक सप्ताह बचा है और तमाम सियासी दल जीत सुरक्षित करने के लिए पुरजोर कोशिश में जुटे हैं। लेकिन 10 साल तक हरियाणा में शासन करने वाली भगवा पार्टी भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के लिए बागी नेता सर दर्द बने हुए हैं। यह चर्चा निरंतर उठती रही है कि दोनों पार्टी से जो बागी नेता टिकट नहीं मिलने या कटने पर बतौर निर्दलीय ताल ठोक रहे हैं या पार्टी केंडिडेट का विरोध कर रहे हैं, उनके खिलाफ दोनों पार्टी कार्रवाई से क्यों पीछे हट रही हैं या हिचक रही हैं। हालांकि इसी कड़ी में अब कांग्रेस ने बड़ी कार्यवाही करते हुए 27 सितंबर को 13 बागी नेताओं को पार्टी से निष्कासित कर दिया है और इससे पहले शुरूआती दौर में टिकट नहीं मिलने या कटने पर तीन बड़े नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। इसी कड़ी में यह भी बता दे कि फिलहाल तक भगवा पार्टी ने अपने बागी नेताओं पर कोई भी बड़ी कार्रवाई करने या उनको पार्टी से निकलने से फिलहाल पर ही किया है।

कुल 17 नेता किए निष्कासित, इनमें कई बड़े चेहरे भी

कांग्रेस पार्टी ने अब तक बड़ी कार्रवाई करते हुए कुल 17 बाकी नेताओं को निष्कासित किया है जो टिकट नहीं मिलने या कटने पर पार्टी कैंडीडेट्स का विरोध कर रहे हैं या चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस ने आरक्षित गुहला विधानसभा सीट से नरेश, जींद से प्रदीप गिल, पुंडरी से सज्जन ढुल और सुनीता बतान, आरक्षित नीलोखेड़ी से राजीव मामूराम और दयाल सिरोही, पानीपत ग्रामीण से विजय जैन, उचाना से दिलबाग सांडिल, दादरी से अजीत फौगाट, भिवानी से अभिजीत, आरक्षित बवानीखेड़ा से सतबीर रातेडा, पृथला से नीतू मान और कलायत से अनीता ढुल को छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। इससे पहले कांग्रेस ने टिकट नहीं मिलने पर बतौर निर्दलीय कैंडिडेट अंबाला कैंट से चुनाव लड़ रही और अंबाला शहर सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार निर्मल सिंह की बेटी चित्रा सरवारा को सबसे पहले निष्कासित किया था।

इसके बाद बहादुरगढ़ से टिकट नहीं मिलने पर वर्तमान कांग्रेस कैंडिडेट राजेंद्र जून के भतीजे लगने वाले राजेश जून को भी पार्टी से निष्कासित कर दिया था। इसी तरह टिकट नहीं मिलने पर बल्लभगढ़ से निर्दलीय चुनाव लड़ रही शारदा राठौर को भी निष्कासित कर दिया था। टिकट नहीं मिलने के पर बागी हुए तिगांव सीट से ललित नागर को भी निष्कासित कर दिया गया।

भाजपा से कई बागी भी चुनाव मैदान में

भाजपा की तमाम कोशिशें के बावजूद भी पार्टी के कई बाकी नेताओं ने मैदान नहीं छोड़ा है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पार्टी एक सधी हुई रणनीति के तहत बाकी नेताओं पर कार्रवाई करने से परहेज कर रही है। पार्टी को लगता है कि अगर पार्टी को पूरी मेजोरिटी नहीं मिली तो निर्दलीय चुनाव लड़ रहे बागी नेताओं के विधायक बनने पर उनकी मदद लेकर सरकार बनाने का रास्ता तय किया जा सकता है। बीजेपी के बागी नेताओं में पार्टी सांसद नवीन जिंदल की मां और उद्योगपति सावित्री जिंदल भी हैं, जिन्हें हिसार विधानसभा क्षेत्र से टिकट देने से इनकार कर दिया गया था। जिंदल और गौतम सरदाना पार्टी उम्मीदवार डॉ. कमल गुप्ता के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।

इसके अलावा बीजेपी के बागी नेताओं में रानिया से रणजीत सिंह, तोशाम से शशि रंजन परमार, गन्नौर से देवेंद्र कादयान, पृथला से नयन पाल रावत और दीपक डागर, लाडवा से संदीप गर्ग, भिवानी से प्रिया असीजा, रेवाडी से प्रशांत सन्नी, सफीदों से जसवीर देशवाल, बेरी से अमित, महम से राधा अहलावत, झज्जर से सतबीर सिंह, पूंडरी से दिनेश कौशिक, कलायत से विनोद निर्मल और आनंद राणा और इसराना से सत्यवान शेरा ने ताल ठोक रखी है।

पार्टी को बागी नेता को छ: साल निष्कासित करने का अधिकार

यह पूछे जाने पर कि अगर कोई पार्टी नेता या कार्यकर्ता पार्टी टिकट न मिलने कारण या टिकट कटने कारण स्वयं ही पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र देकर पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार के विरूद्ध निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ता है, तो क्या फिर भी ऐसे बागी नेता के विरूद्ध उसकी मूल पार्टी द्वारा कार्रवाई की जा सकती है, को लेकर राजनीतिक विश्लेषक हेमंत कुमार का कहना है कि चूँकि हर राजनीतिक दल का संगठन और पार्टी संविधान किसी भी व्यक्ति से ऊपर होता है, इसलिए बेशक अगर कोई पार्टी नेता या कार्यकर्ता बेशक पार्टी छोड़कर अपनी पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार विरूद्ध चुनाव लड़ता है, तो उसकी मूल पार्टी को ऐसे बागी नेता को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से छ: वर्ष के लिए निष्कासित देना बनता है।

बागी नेताओं पर पहले भी हो चुकी कार्रवाई

5 वर्ष पूर्व अक्टूबर, 2019 में जब निवर्तमान 14 वीं हरियाणा विधानसभा के आम चुनाव हुए थे, तब कांग्रेस पार्टी के चौधरी निर्मल सिंह, जो प्रदेश सरकार में पूर्व मंत्री और चार बार अम्बाला की तत्कालीन नग्गल सीट से विधायक रहे और उनकी पुत्री चित्रा सरवारा दोनों को क्रमश: अम्बाला शहर और अम्बाला कैंट विधानसभा सीटों से कांग्रेस पार्टी का टिकट नहीं मिला जिसके बावजूद उन्होंने उन दो सीटों से कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवारों के विरूद्ध निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन भर दिया था जिस कारण मतदान से दस दिन पूर्व कांग्रेस पार्टी की तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा द्वारा उन दोनों सहित पार्टी के कुल 16 बागी नेताओं को 6 वर्षो से कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया था।

उसके बाद इन दोनों ने पहले हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट के नाम से अपनी अलग राजनीतिक पार्टी बना कर चुनाव आयोग से रजिस्टर कराई एवं उसके बाद अप्रैल, 2022 में दोनों आम आदमी पार्टी (आप) में शामिल हो गये थे। दिसम्बर, 2023 में इन दोनों ने आप पार्टी छोड़ दी। तत्पश्चात जनवरी,2024 में पिता-पुत्री निर्मल-चित्रा की कांग्रेस पार्टी से निष्कासन के सवा चार वर्ष बाद ही पार्टी में घर-वापसी हो गयी थी।

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Rajesh

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