आज समाज डिजिटल,वाशिंगटन:
तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा जमा लिया है। राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए हैं और हथियारबंद तालिबान लड़ाके राष्ट्रपति भवन में टहल रहे हैं। इसी बीच पूरी दुनिया में तालिबान और अफगानिस्तान की चर्चा ने जोर पकड़ लिया है। लोग इसे अमेरिका की हार भी कह रहे हैं। इसी कड़ी में अमेरिकी राष्ट्रपति भवन, वाइट हाउस के बाहर सोमवार को अफगानी नागरिक जुटे और बाइडेन प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। लोगों ने नारे लगाए कि अफगानिस्तान की स्थिति के लिए बाइडेन जिम्मेदार हैं।
दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ऐलान किया था कि अमेरिकी सेना अफगानिस्तान छोड़ देगी, उसी के बाद से तालिबान ने अपना मिशन तेज कर दिया था। इसके बाद बहुत तेजी से तालिबान ने अफगानिस्तान को अपने कब्जे में कर लिया है। रविवार को तालिबान ने राजधानी काबुल में प्रवेश किया। उन्होंने कहा कि वह खून-खराबा टालना चाहते हैं। तालिबान के प्रवक्ता ने कहा कि युद्ध खत्म हो गया है और अफगान लोगों को जल्द पता चलेगा कि नई सरकार कैसी होगी। रविवार को मची भगदड़ रविवार को जब तालिबान के काबुल में घुसने की सूचनाएं फैलने लगीं तो शहरभर में भगदड़ मची हुई थी।
इतना ही नहीं अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के हेलीकॉप्टर अपने कर्मचारियों और नागरिकों को वहां से निकालने के लिए आसमान पर मंडरा रहे थे। काबुल के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर जाम लगा हुआ था और सैकड़ों लोग देश से निकलने के लिए उड़ानों का इंतजार कर रहे थे। इसी बीच अमेरिका के वाशिंगटन में रहने वाले अफगानी लोगों ने वाइट हाउस के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। व्हाइट हाउस के बाहर सोमवार को अफगानी नागरिक जुटे और बाइडेन प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। वाइट हाउस के बाहर प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों ने कहा कि 20 साल के बाद हम एक बार फिर 2000 वाली स्थिति में आ गए हैं। उनका कहना है कि हम शांति चाहते हैं, अगर तालिबान टेकओवर करता है तो हजारों ओसामा बिन लादेन पैदा होंगे। तालिबानी लोग पाकिस्तान के साथ मिल जाएंगे और तबाही मचाएंगे। एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा कि तालिबानी लोग महिलाओं को निशाना बना रहे हैं, हर कोई निशाने पर है।
बता दें कि इन सबके बीच दुनिया के 60 देशों ने साझा बयान जारी कर तालिबान से अपील की है कि देश छोड़कर जाने वालों को सुरक्षित निकलने दिया जाए। अफगानिस्तान को लेकर सिर्फ भारत और पश्चिमी देश ही परेशान नहीं हैं बल्कि इस्लामिक देशों की भी चिंता बढ़ी है। सऊदी अरब ने अफगानिस्तान में स्थित अपने दूतावास से भी कर्मचारियों को वापस बुला लिया है। इसके अलावा कई देशों की ओर से स्पेशल प्लेन भेजा जा रहा है।