Bhupendra Yadav: भारत में दुनिया की 17% आबादी, वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में हिस्सेदारी 5 प्रतिशत से भी कम

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Bhupendra Yadav भारत में दुनिया की 17% आबादी, वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में हिस्सेदारी 5 प्रतिशत से भी कम
Bhupendra Yadav : भारत में दुनिया की 17% आबादी, वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में हिस्सेदारी 5 प्रतिशत से भी कम

Union Environment Minister Bhupendra Yadav, (आज समाज), गांधीनगर: भारत में दुनिया की 17 फीसदी जनसंख्या रहती है लेकिन वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में देश की हिस्सेदारी 5 प्रतिशत से भी कम है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने गुजरात के गांधीनगर में वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा निवेशक सम्मेलन और एक्सपो में आज यह बात कही। उन्होंने कार्यक्रम के एक सत्र में भाग लिया था।

विकसित देशों का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन 60 फीसदी

भूपेंद्र यादव ने कहा कि भारत को दुनिया में ग्रीनहाउस गैसों के तीसरे या चौथे सबसे बड़े उत्सर्जक के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। बल्कि इसके बजाय देश के प्रति व्यक्ति उत्सर्जन पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा, भारत में विश्व की 17 प्रतिशत आबादी रहती है, लेकिन वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में हमारे देश की हिस्सेदारी पांच फीसदी से भी कम है। वहीं इसके विपरीत विकसित देशों की 17 फीसदी आबादी का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन वैश्विक उत्सर्जन का 60 फीसदी है।

प्रति व्यक्ति उत्सर्जन विकसित देशों की तुलना में काफी कम

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने कहा, हम (संचयी) कार्बन उत्सर्जन के मामले में चौथे अथवा पांचवें नंबर पर हो सकते हैं, लेकिन हमारा प्रति व्यक्ति उत्सर्जन विकसित देशों की तुलना में काफी कम है। उन्होंने कहा, जहां तक जीवाश्म ईंधन के उपयोग की बात है, तो भारत समेत विकासशील देशों का मानना है कि उनके पास अब भी महत्वपूर्ण विकास की आवश्यकताएं हैं और इसलिए इस मुद्दे पर बातचीत के लिए ‘साझा लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारियों’ का सिद्धांत होना चाहिए।

जलवायु परिवर्तन से निपटने की सभी देशों की जिम्मेदारी

यह सिद्धांत यह स्वीकार करता है कि जलवायु परिवर्तन से निपटने की सभी देशों की जिम्मेदारी है, लेकिन ऐतिहासिक रूप से विकसित देशों ने वैश्विक उत्सर्जन में ज्यादा योगदान दिया है। इस समस्या से निपटने के लिए विकसित देशों के पास अधिक तकनीकी व वित्तीय क्षमताएं हैं। विकासशील देशों का तर्क है कि उनके पास गरीबी उन्मूलन और बुनियादी ढांचे के विकास जैसी अहम विकास संबंधी जरूरतें हैं, जिसके लिए आने वाले टाइम में जीवाश्म ईंधन के उपयोग की आवश्यकता हो सकती है।

निष्पक्षता और समानता की वकालत करते हैं विकासशील देश

विकासशील देश निष्पक्षता और समानता की वकालत करते हैं। ये देश स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों में परिवर्तन लिए ज्यादा समय और समर्थन का आग्रह करते हैं। साथ ही विकासशील देश यह भी सुनिश्चित करते हैं कि उनकी विकास संबंधी आवश्यकताएं पूरी हों। भूपेंद्र यादव ने कहा कि वर्तमान में भारत अपनी राष्ट्रीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए कम कार्बन विकास रणनीति के साथ आगे बढ़ रहा है।

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