पंकज सोनी, भिवानी:
हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है और गुप्त नवरात्र का महोत्सव विशेष रूप से विश्व शांति के लिए आयोजित किया जाता है। गुप्त नवरात्रि में नौ की जगह 10 देवियों की पूजा होती है। शास्त्रों के अनुसार सालभर में 4 बार नवरात्रि आती हैं। आषाढ़ मास में पडऩे वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं। यह बात देवसर धाम माता मंदिर के मुख्य पुजारी कंवरपाल ने मंदिर में आचार्य गजानंद कौशिक के नेतृत्व में आयोजित गुप्त नवरात्रि महोत्सव के तीसरे दिन कही। उन्होंने कहा कि देवसर धाम माता मंदिर में मंगलवार को गुप्त नवरात्रे के तीसरे दिन गणेश अंबिका पूजन, षोडस मातृका पूजन, नवग्रह व मां भगवती दुर्गा के तीन रूप महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती का पूजन हुआ। इस दौरान कलश व घट स्थापना पूजन का कार्यक्रम भी आयोजित किया गया। कंवरपाल ने बताया कि गुप्त नवरात्रि में माता दुर्गा की 10 महाविद्याओं की पूजा करने से सभी दुख दूर हो जाते हैं।
इस नवरात्रि में त्रिपुरा भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां काली, मां भुवनेश्वरी, मां तारा देवी, माता मातंगी, त्रिपुरा सुंदरी, छिन्नमस्ता और माता कमला देवी की श्रद्धापूर्वक पूजा होती है। पुजारी कंवरपाल ने कहा कि गुप्त नवरात्रि का व्रत माता दुर्गा के भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। आचार्य गजानंद कौशिक ने गुप्त नवरात्रों पर मां दुर्गा के दश रूपों की पूजा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मां के सभी रूपों की पूजा बड़ी निष्ठा, श्रद्धा व सात्विकता से ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए करनी चाहिए। मां अपने किसी भी भक्त को कदाचित मासूस नहीं होने देती। आचार्य ने बताया कि यह आयोजन देवसर धाम के पुजारियों के सान्निध्य में आयोजित हो रहा है तथा इसका अनुष्ठान 18 जुलाई को नवमी को हवन, पूर्णाेहूति व प्रसाद वितरण के साथ होगा। इस अवसर पर राजबीर पुजारी, विक्रम पुजारी, धर्मबीर पुजारी, सुरेंद्र पुजारी, सूरज पुजारी, सुनील पुजारी, हर्ष पुजारी सहित प. पवन भारद्वाज, अनुप कौशिक, प. मुरारी लाल, प. अमित कौशिक व अन्य भक्तजन उपस्थित रहे।